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रिश्वत मामले में झटके के बाद अदाणी ग्रुप के लिए राह क्यों नहीं आसान?

गौतम अदाणी समूह पर एक अमेरिकी अदालत ने सौर ऊर्जा करार में रिश्वत देने का आरोप लगाया और अमेरिकी बाजार नियामक एसईसी ने कारगुजारियों को छुपाने की तोहमत मढ़ी. इससे उनका कारोबारी साम्राज्य हिल उठा है

गौतम अदाणी, अध्यक्ष, अदाणी समूह
गौतम अदाणी, अध्यक्ष, अदाणी समूह
अपडेटेड 11 दिसंबर , 2024

उनके जीवनी लेखक उन्हें ऐसा व्यक्ति बताते हैं जो तकदीर लिखाकर लाया है. अहमदाबाद के 30 अरब डॉलर (2.5 लाख करोड़ रुपए) के अदाणी समूह के 62 वर्षीय चेयरमैन गौतम अदाणी कई हादसों से बचे हैं, 1998 में बंदूक के बल पर अपहरण की कोशिश और नवंबर 2008 में मुंबई के ताजमहल होटल में आतंकवादी हमले से. उन्होंने अमेरिकी शॉर्टसेलर हिंडनबर्ग के जनवरी 2023 में लगाए आरोपों से भी पार पा लिया, जिसके मुताबिक, समूह की कंपनियों ने शेल कंपनियों और बाहर पैसा ले जाकर वापस देश में अपने शेयरों की कीमतें बढ़ाईं.

हालांकि, एक अमेरिकी अदालत के अभियोग में कहा गया है कि न्यूयॉर्क शेयर बाजार में सूचीबद्ध भारत की सौर बिजली कंपनी एज्यूर पावर के शीर्ष अधिकारियों ने 2020 में अदाणी और उनके दो वरिष्ठ अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके सौर बिजली करारों के लिए पांच राज्यों के सरकारी अधिकारियों को 26.5 करोड़ डॉलर (2,236 करोड़ रुपए) की रिश्वत दी. अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग (एसईसी) के आरोप हैं कि इन कथित गलत कामों को निवेशकों से छिपाया गया.

यह अभी तक का सबसे बड़ा झटका है. आरोपों के अगले ही दिन 21 नवंबर को 11 अदाणी फर्मों के शेयर 20 फीसद से ज्यादा गिर गए. निवेशकों को 2.25 लाख करोड़ रुपए का नुक्सान हुआ. केन्या ने 2 अरब डॉलर (16,866 करोड़ रुपए) की अदाणी एयरपोर्ट परियोजना और 73.6 करोड़ डॉलर (6,207 करोड़ रुपए) का पावर ट्रांसमिशन लाइन का सौदा रद्द कर दिया.

बांग्लादेश भी पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के कार्यकाल में हस्ताक्षरित बिजली उत्पादन करारों की समीक्षा कर रहा है जिनमें अदाणी की भी कुछ परियोजनाएं शामिल हैं.

मुश्किलें यहीं खत्म न हुईं. अदाणी के अक्षय ऊर्जा और गैस वितरण कारोबार में साझेदार फ्रांस की तेल दिग्गज टोटलएनर्जी ने कहा कि जब तक आरोप खत्म नहीं हो जाते, वह अदाणी की कंपनियों में निवेश नहीं करेगी. अदाणी ग्रीन एनर्जी को 60 करोड़ डॉलर (5,060 करोड़ रुपए) का बॉन्ड निर्गम रद्द करना पड़ा. रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अदाणी की 7 फर्म की रेटिंग 'स्थिर' से 'ऋणात्मक' कर दी जिससे उधारी महंगी हो जाएगी. फिच ने भी कुछ बॉन्ड को डाउनग्रेड के लिए निगरानी में रखा है जिससे 26 नवंबर को शेयर लुढ़क गए.

रिश्वत का बड़ा मामला

20 नवंबर को 54 पेज के अभियोग में अमेरिकी जिला अदालत—न्यूयॉर्क ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट—ने कहा कि अदाणी, उनके भतीजे सागर अदाणी, अदाणी ग्रीन एनर्जी के सीईओ विनीत एस. जैन और एज्यूर पावर के चार अधिकारियों ने आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, ओडिशा और जम्मू-कश्मीर में बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) के अधिकारियों को रिश्वत दी और रिश्वत भारत में अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं की नोडल एजेंसी सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) के साथ उत्पादन से जुड़ी परियोजनाओं के तहत बिजली खरीद करारों के लिए दी गई.

सेकी फिर अदाणी और एज्यूर से बिजली खरीदता और डिस्कॉम को बेचता. 26.5 करोड़ डॉलर में करीब 22.8 करोड़ डॉलर (1,926 करोड़ रुपए) आंध्र सरकार के अज्ञात उच्च अधिकारी को दिए गए जिसने डिस्कॉम को 7 गीगावॉट बिजली खरीदने को राजी किया.

इसके साथ ही एज्यूर पावर ने अमेरिका के विदेश भ्रष्ट आचरण अधिनियम (एफसीपीए) का उल्लंघन किया जो कंपनियों को विदेशी अधिकारियों को रिश्वत देने की मनाही करता है. इस आपराधिक आरोप के अलावा एसईसी ने एक दीवानी मामला भी बनाया है. उसके अनुसार अदाणी समूह ने अमेरिका से अरबों डॉलर जुटाए जबकि जांच के बारे में निवेशकों को नहीं बताया.

2020 और 2024 के बीच अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 2 अरब डॉलर (16,866 करोड़ रुपए) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों और अमेरिका की ऐसेट मैनेजमेंट कंपनियों से कर्ज के रूप में और प्रतिभूतियों के जरिए 1 अरब डॉलर (8,433 करोड़ रु.) जुटाए.

पूर्व केंद्रीय वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग कहते हैं, "ये बहुत ही गंभीर आरोप हैं. अमेरिकी व्यवस्था तभी अभियोग के चरण में पहुंचती है जब काफी जांच हो चुकी हो, सबूत जुटाए जा चुके हों और आरोपियों से पूछताछ की जा चुकी हो. मामला बहुत मजबूत है."

इससे भारतीय कंपनियों की अमेरिकी बाजार में वित्त जुटाने की क्षमता पर असर पड़ेगा. गर्ग कहते हैं, इन आरोपों से विदेशी निवेशकों की निगाह में भारतीय अधिकारियों और कारोबारियों की छवि भी खराब होगी. 

अदाणी समूह ने आरोपों से इनकार किया है. उसने 21 नवंबर को एक बयान में कहा, "जैसा कि अमेरिकी न्याय विभाग ने कहा है, 'अभियोग आरोप के स्तर पर हैं और उन्हें तब तक बेगुनाह माना जाएगा जब तक कि वे दोषी साबित नहीं हो जाते.' सभी कानूनी उपाय किए जाएंगे." अदाणी ग्रीन एनर्जी ने 27 नवंबर को शेयर बाजारों को बताया कि गौतम, सागर और जैन पर अभियोग में उल्लिखित एफसीपीए के उल्लंघन का कोई आरोप नहीं है.

उसने कहा, "इन निदेशकों पर आपराधिक अभियोग में तीन बिंदुओं पर आरोप हैं, ये हैं कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी साजिश, कथित वायर फ्रॉड साजिश और कथित प्रतिभूति धोखाधड़ी." उसने यह भी कहा कि एफसीपीए के उल्लंघन की साजिश में पहले बिंदु पर सिर्फ एज्यूर पावर के अधिकारियों और कनाडाई पेंशन फंड सीडीपीक्यू का नाम है, जो एज्यूर पावर में सबसे बड़ा शेयरधारक है. इस मामले में इंडिया टुडे की ओर से भेजे गए सवालों का अदाणी समूह ने जवाब नहीं दिया.

इधर, भारत में रिश्वत और धोखाधड़ी के आरोपों से समूह और अधिक छानबीन के दायरे में आ सकता है. सत्तारूढ़ भाजपा ने उम्मीद की होगी कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में एनडीए की जीत के बाद संसद का शीतकालीन सत्र बढ़े मनोबल के साथ शुरू होगा. लेकिन विपक्ष के सदस्यों ने अदाणी मसले पर बहस की मांग करते हुए कार्यवाही नहीं चलने दी.

लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता राहुल गांधी ने अदाणी की गिरफ्तारी की मांग की तो कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने अरबपति कारोबारी के खिलाफ जेपीसी जांच की जरूरत दोहराई.

राहुल ने कहा, "अदाणी को फौरन गिरफ्तार किया जाए और उनकी 'संरक्षक' माधवी पुरी बुच (सेबी की अध्यक्ष जिन पर हिंडनबर्ग ने साल के शुरू में अपनी रिपोर्ट में अदाणी के साथ घनिष्ठ संबंध होने के आरोप लगाए थे) की जांच की जाए." उन्होंने यह भी कहा: "लेकिन हम जानते हैं कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाएगा क्योंकि भारत के प्रधानमंत्री का उन पर हाथ है, वे उनके संरक्षक हैं...(प्रधानमंत्री) मोदी कहते हैं एक हैं तो सेफ हैं. मोदी और अदाणी भारत में सुरक्षित हैं अगर ये दोनों एक हैं."

राज्यों को झटका

मई 2022 में अदाणी के साथ जगन मोहन रेड्डी दावोस में

हालांकि अभियोग में पूर्व मुख्यमंत्री वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी और उनकी युवजन श्रमिक रायतु कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) पर उंगली उठी है जो उस समय सत्ता में थी लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार जब तक आरोप अदालत में साबित नहीं हो जाते, वे जांच से बच सकते हैं. आंध्र डिस्कॉम कृषि क्षेत्र को हर वर्ष 1,250 करोड़ यूनिट बिजली मुफ्त सप्लाई करती है और राज्य इसकी कीमत चुकाता है.

नतीजतन, कई दफा सरकार भारी-भरकम शुल्क दर पर बिजली खरीद समझौतों (पीपीए) को अंजाम देती है और यह ध्यान नहीं रखती कि राज्यों की डिस्कॉम पर इसका क्या असर होगा. सप्लाई लागत के हिस्से के रूप में बिजली खरीद की लागत बढ़कर करीब 5.10 रु. प्रति किलोवाट ऑवर (केडब्ल्यूएच) तक पहुंच गई है. इस कारण राज्य पर सब्सिडी का बोझ बहुत ज्यादा बढ़ गया है.

इंडिया टुडे ने जिन दस्तावेज को देखा, उनके अनुसार, आंध्र प्रदेश को 15 सितंबर, 2021 को सेकी से 2.49 रुपए प्रति केडब्ल्यूएच की शुल्क दर पर 9 गीगावॉट बिजली आपूर्ति की पेशकश मिली. उसके बाद राज्य ने 25 साल के लिए 7 गीगावॉट बिजली खरीद का समझौता किया.

जहां जगन इस मामले पर खामोश हैं, वाईएसआरसीपी ने आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि प्रतिस्पर्धी कीमतों पर बिजली खरीद से 3,700 करोड़ रुपए की बचत हुई है. लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू कथित अदाणी-जगन सौदे को लेकर सतर्क हैं. उन्होंने 22 नवंबर को विधानसभा में कहा, "अगर गलत काम हुआ है तो कार्रवाई जरूर होगी. भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों, उन्हें रोकने का यही रास्ता है."

इसी तरह सेकी और छत्तीसगढ़ राज्य बिजली वितरण कंपनी के बीच अगस्त 2021 में करार हुआ. तब के मुख्यमंत्री, कांग्रेस के भूपेश बघेल के पास उस समय ऊर्जा विभाग भी था. अदाणी ग्रीन एनर्जी और एज्यूर पावर को 2.54 रु. प्रति यूनिट पर क्रमश: 2,000 मेगावाट और 1,000 मेगावाट की आपूर्ति करनी थी. उधर, ओडिशा में यह आरोप लगाया गया है कि अदाणी समूह ने पीपीए हासिल करने के लिए 2021-22 में रिश्वत दी. नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली पूर्व बीजू जनता दल सरकार पर उंगलियां उठाई जा रही हैं.

बढ़ती बहस

एक बड़ा सवाल जो उभरा है वह यह है कि क्या अदाणी और उनके अधिकारियों पर दूसरे देशों के न्यायिक क्षेत्र के आरोपों के आधार पर मुकदमा चलाया जा सकता है? और अगर ऐसा है तो यह कौन करेगा? कुछ की राय है कि भारत में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत आरोपों की जांच होनी चाहिए.

गर्ग कहते हैं, "सेकी, जिसने नीलामी की, इस मामले के केंद्र में है और उसे मामले की जांच के लिए सीबीआई से संपर्क करने की जरूरत है. सेकी अदाणी और एज्यूर से ऑफ मार्केट, ऊंची कीमतों पर बिजली खरीदने के लिए सहमत हो गया जिसे राज्य की डिस्कॉम नहीं खरीद रही थीं. बाद में एक बार जब कीमत घटाई गईं और पार्टियां फिर से बैठीं तो सेकी ने बदलाव लागू किया. सेकी की प्रतिष्ठा भी दांव पर है और उसे कथित भ्रष्टाचार और रिश्वत की जांच के लिए सीबीआइ से शिकायत करनी चाहिए."

गर्ग कहते हैं, अगर सेकी ऐसा नहीं करता है तो केंद्रीय नवीन और नवीनीकृत ऊर्जा मंत्रालय ऐसा कर सकता है. सेकी के अध्यक्ष आर.पी. गुप्ता ने कहा है कि अदाणी मामले में "किसी भी गलत काम" या "अनियमितता" के लिए निगम का जिक्र नहीं किया गया है.

दूसरी तरफ कुछ विशेषज्ञ कहते हैं कि सेबी को मार्च 2024 में कथित अदाणी रिश्वत मामले की मीडिया खबरों पर संज्ञान लेना चाहिए था और उसकी जांच करनी चाहिए थी क्योंकि यह मामला निवेशकों से तथ्य छुपाने का था. वे कहते हैं सेबी, जो अंतरराष्ट्रीय प्रतिभूति आयोगों के संगठन की एशिया प्रशांत क्षेत्रीय कमेटी का हिस्सा है, को अमेरिकी न्याय विभाग या एसईसी से संपर्क करना चाहिए था. तब वे सेबी को जानकारी दे सकती थीं. अमेरिकी एसईसी के मामलों से वाकिफ कुछ कानूनी विशेषज्ञ कहते हैं कि ग्रैंड जूरी जांच को किसी सिटिंग जज की मंजूरी की जरूरत है.

एक बार प्रतिवादियों (अदाणी और अन्य) को अपनी बात कहने और गवाही का मौका मिलता है, दूसरा जूरी मामले को सुनेगा जिसका विचार अलग हो सकता है. चूंकि प्रतिवादी अमेरिका में नहीं हैं तो द्विपक्षीय समझौते के तहत अमेरिका उनके औपचारिक प्रत्यर्पण के लिए भारत सरकार से अनुरोध कर सकता है और मुकदमे की कार्यवाही का सामना करने के लिए उनकी मौजूदगी की मांग कर सकता है.

भारत अगर आरोपियों को अमेरिका को प्रत्यर्पित नहीं करता है, जैसा कि इस मामले में अंदेशा है, तो प्रतिवादियों की नुमांइदगी वकील कर सकते हैं और बाद में निबटारे के लिए बातचीत कर सकते हैं. विशेषज्ञ कहते हैं कि रिश्वत में दोषसिद्धि पर 5 साल की जेल की सजा है, लेकिन एसईसी मामले में यह सजा 20 साल तक भी हो सकती है. हालांकि इतनी लंबी सजा शायद ही दी जाती हो. पूरी संभावना है कि मामला 2026 या उससे आगे तक खिंच सकता है.

केंद्रीय बिजली और आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ई.ए.एस. सरमा कहते हैं, "भारतीय कंपनियों और सेकी पर अभियोग से बड़े स्तर के कॉर्पोरेट भ्रष्टाचार को लेकर परेशान करने वाली चिंताएं खड़ी होती हैं जो भारत और अमेरिका में जाहिर तौर पर मौजूद है. साथ ही यह भी कि पसंदीदा कारोबारी समूहों के कहने पर केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने कैसे धोखाधड़ी वाली नीतियां अपनाईं. उसने देश भर में बिजली उपभोक्ताओं के साथ धोखा किया है."

अभी नागरिक समाज समूह पीपल्स कमिशन ऑन पब्लिक सेक्टर ऐंड पब्लिक सर्विसेज चलाने वाले सरमा इस मामले की स्वतंत्र न्यायिक निगरानी में व्यापक जांच चाहते हैं.

अन्य लोग कहते हैं कि अभियोग सिद्ध करने में अमेरिकी अभियोजकों को लंबा समय लगेगा. सुप्रीम कोर्ट के वकील एच.पी. रानिना कहते हैं, अगर रिश्वत लेनदेन के ठोस सबूत नहीं हैं तो यह मामला अमेरिकी अदालत में टिक नहीं पाएगा. "अमेरिकी अदालतों को वाजिब संदेह से परे वास्तविक सबूत की जरूरत होती है."

लिहाजा, अदाणी पर सिर्फ इस आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता कि अमेरिका में क्या कहा जा रहा है. "यह अभी भी आरोप है. अगर सेबी जांच करना चाहे तो कर सकता है. अदाणी ने कहा है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया है. अगर ओपन टेंडर के जरिए सौदे किए गए हैं तो फिर रिश्वत देने की संभावनाएं कहां उठती हैं?" रानिना यह पूछते हुए कहते हैं कि जब तक कुछ बैंकों के लेनदेन का विवरण नहीं मिल जाता तब तक रिश्वत को साबित करना मुश्किल होगा.

जानकार कहते हैं, जब डोनाल्ड ट्रंप जनवरी 2025 में अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालेंगे तो चीजें अदाणी के पक्ष में जा सकती हैं. अदाणी समूह ने आने वाले वर्षों में अमेरिका में 10 अरब डॉलर (84,490 करोड़ रुपए) की ऊर्जा और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का वादा किया है जिनसे 15,000 रोजगार पैदा होंगे.

दूसरों पर चोट

विशेषज्ञ कहते हैं कि अदाणी रिश्वत कांड इस समूह को दूसरे नुक्सान पहुंचा सकता है. अमेरिका की निवेश प्रबंधन कंपनी जीक्यूजी पार्टनर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इससे विदेशी पूंजी जुटाने की समूह की क्षमता सीमित हो सकती है. उसने अदाणी समूह की कंपनियों में (कुल परिसंपत्तियों का 5.2%) 8 अरब डॉलर का निवेश कर रखा है. उसके मुताबिक, आरोप गंभीर हैं, लेकिन ऐसे कई उदाहरण हैं जब वैश्विक कंपनियों और उनके अधिकारियों को बड़ी सरकारी कार्रवाई का सामना करना पड़ा जिनमें एफसीपीए के उल्लंघन भी शामिल हैं.

कुछ प्रमुख उदाहरणों में वालमार्ट, ओरेकल, थेल्स, सीमेंस, ग्लेनकोर, पेट्रोब्रास, फाइजर, टोयोटा, हनीवेल, एयरबस और सैप शामिल हैं. उसने कहा, "इन कार्रवाइयों और जांचों में आमतौर पर लंबा समय लग जाता है और अंत में घटा हुआ जुर्माना लगता है. इस बीच कंपनियां अपना काम चालू रखती हैं, अपने व्यापार व्यवहार में सुधार करती हैं."

इतना ही नहीं, गौतम अदाणी को केंद्र सरकार का समर्थन बरकरार रहने की संभावना है. ऐसे संकेत नहीं हैं कि घरेलू बैंक, खास तौर पर भारत के सरकारी बैंक, समूह को ऋण देना बंद कर देंगे. एक वित्तीय सलाहकार कहते हैं, ''अमेरिका की धारणा यह है कि केंद्र सरकार बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने की हड़बड़ी में है और इसके लिए वह काफी तेजी दिखा रही है. सरकार ने कॉर्पोरेट ढांचा खड़ा करने में अदाणी की क्षमता देखी है और उनके पास विदेशी निवेशकों को लुभाने के लिए बैलेंस शीट भी है."

अदाणी अतीत की तरह इन आरोपों से भी उबर सकते हैं. लेकिन इस विवाद से विश्व मंच पर भारत की साख को ऐसे समय ठेस लगी है जब देश दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की आकांक्षा पाले हुआ है. इन सबके मद्देनजर आत्मनिरीक्षण करना बेहतर रहेगा.

—साथ में अमरनाथ के मेनन, राहुल नरोन्हा और अर्कमय दत्त मजूमदार

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अतीत से उभरा जिन्न

- अमेरिकी अभियोग में कहा गया है कि 1,926 करोड़ रुपए की रिश्वत "विदेशी अधिकारी नंबर #1" को दी गई थी, जो आंध्र प्रदेश की तत्कालीन वाई.एस. जगन मोहन रेड्डी सरकार का हिस्सा थे.

- अमेरिकी अदालत में दाखिल दस्तावेजों के अनुसार, 2021 में आंध्र प्रदेश सरकार के एक अनाम उच्च पदस्थ अधिकारी को सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (सेकी) से 7 गीगावाट सौर ऊर्जा खरीदने के लिए राज्य के डिस्कॉम के समझौते को सुविधाजनक बनाने के बदले में ''भ्रष्ट भुगतान’’ की पेशकश की गई थी.

- अदालत के अभियोग में कहा गया है कि गौतम अदाणी ने सेकी और राज्य के डिस्कॉम के बीच बिजली बिक्री समझौते को आगे बढ़ाने के लिए 7 अगस्त, 12 सितंबर और 20 नवंबर, 2021 को आंध्र प्रदेश में ''विदेशी अधिकारी नंबर#1’’ से व्यक्तिगत रूप से मुलाकात की.

- पूर्व मुख्यमंत्री जगन इस पर चुप हैं लेकिन उनकी पार्टी वाईएसआरसीपी ने आरोपों का खंडन करते हुए कहा है कि प्रतिस्पर्धी मूल्य पर बिजली खरीदने से 3,700 करोड़ रुपए की बचत हुई.

अमेरिकी अदालत के अभियोग

न्यूयॉर्क की ईस्टर्न कोर्ट ऑफ लॉ के सामने इस मामले में हुए खुलासे के हिसाब से गौतम अदाणी और अन्य के खिलाफ लगे आरोपों का सार.

1. सौदा क्या था

सोलर टेंडर - एज्यूर पावर + अदाणी ग्रीन एनर्जी

● अदाणी ग्रीन एनर्जी और एनवाईएसई में लिस्टेड भारतीय सोलर पावर कंपनी एज्यूर पावर को दिसंबर 2019 और जुलाई 2020 के बीच सोलर एनर्जी कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (एसईसीआई) से 8 और 4 गीगावाट सौर ऊर्जा सप्लाई का ठेका मिला. केंद्रीय पीएसयू एसईसीआई ग्रीन एनर्जी प्रोजेक्ट्स की नोडल एजेंसी है.

● लेकिन कीमतें ऊंची होने से एसईसीआई को ग्राहक पाना मुश्किल हो गया. राज्यों के डिस्कॉम से बिजली खरीद समझौते के बिना एसईसीआई को अदाणी ग्रीन एनर्जी और एज्यूर पावर के साथ सौदा फाइनल करना मुश्किल हो गया. अमेरिकी अभियोजकों के मुताबिक, तब जाकर रिश्वत के जरिए इसे सिरे चढ़ाने की युक्ति अपनाई गई.

2. कथित साजिश

● अदाणी ग्रीन एनर्जी और एज्यूर पावर ने 2020 के आसपास एसईसीआई के साथ खरीद सौदे के लिए भारतीय पावर डिस्कॉम अफसरों को रिश्वत देने की साजिश रची.

● बाद में चार अन्य इस साजिश में आ जुड़े. कनाडा की एक पेंशन फंड कंपनी सीडीपीक्यू दरअसल एज्यूर की सबसे बड़ी शेयर होल्डर है.

● बताते हैं अदाणी के अफसर 2021 में आंध्र प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ सरकार के अफसरों से कथित तौर पर 26.5 करोड़ डॉलर (2,236 करोड़ रु.) की रिश्वत देने की योजना के साथ मिले; 22.8 करोड़ डॉलर (1,926 करोड़ रु.) अकेले आंध्र प्रदेश के लिए थे.

● जुलाई 2021 और फरवरी 2022 के बीच ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, छत्तीसगढ़ और आंध्र प्रदेश के डिस्कॉम ने एसईसीआइ के साथ खरीद सौदे कर लिए.

● अक्तूबर 2021 और फरवरी 2022 के बीचएज्यूर पावर और अदाणी ग्रीन एनर्जी ने एसईसीआई के साथ सौदा किया था. अभियोजकों का आरोप है कि इस डील में कुल 6 अरब डॉलर (50,682 करोड़ रु.) के निवेश की बात थी. 2 अरब डॉलर (16,894 करोड़ रु.) के टैक्स के बाद 20 साल में मुनाफे की उम्मीद थी.

3. जांच

● अमेरिकी न्याय विभाग, सिक्योरिटीज ऐंड एक्सचेंज कमीशन (एसईसी) और फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (एफबीआई) ने 2020 में इस डील की जांच शुरू की.

● डील के लिए 26.5 करोड़ डॉलर की कथित रिश्वत में से एज्यूर का हिस्सा 650 मेगावाट पीपीए के लिए 70 लाख डॉलर (59 करोड़ रु.) और 2.3 गीगावाट पीपीए के लिए 7.6 करोड़ डॉलर (642 करोड़ रु.) तय हुआ. गौतम ने कथित रूप से एज्यूर के सामने कैश देने की बजाए 2.3 गीगावाट वाला पीपीए अदाणी ग्रीन एनर्जी को देने की पेशकश की. सागर और विनीत ने फिर ये पीपीए कथित रूप से अदाणी को रीअलोकेट करने के लिए एसईसीआई को प्रभावित किया.

● एसईसी ने एज्यूर के सौदों के बारे में मार्च 2022 में पड़ताल शुरू की. एज्यूर ने रिश्वत की रकम संबंधी अदाणी की पेशकश की कुछ बातों का खुलासा करने का फैसला किया पर इसमें अपनी भूमिका छिपा ली.

● उधर 2020 और 2024 के बीच अदाणी ग्रीन एनर्जी ने अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं और अमेरिकी एसेट मैनेजमेंट कंपनियों (एएमसी) दो अरब डॉलर बतौर कर्ज उगाह लिए. एक अरब डॉलर तो उसने अमेरिकी निवेशकों को शेयर बेचकर उगाहे. अभियोजकों का कहना है कि उन्होंने किसी तरह की धोखाधड़ी से इनकार किया.

● कबानेस, सौरभ, दीपक और रूपेश ने रिश्वत की योजना वाली बात कथित रूप से अमेरिकी अधिकारियों से छिपा ली. उन्होंने न्यूयॉर्क में एक ग्रैंड जूरी, एफबीआइ और एसईसी की जांच में रोड़े अटकाए.

● मार्च 2023 में एफबीआई ने अमेरिका में सागर अदाणी की इलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेज जब्त कीं. राज्यों को रिश्वत और सोलर पावर कॉन्ट्रैक्ट की निगरानी वही कर रहे थे.

4. आरोप

अदाणी ग्रीन एनर्जी और एज्यूर पावर के खिलाफ

● सौर ऊर्जा के ठेके हासिल करने के लिए राज्य सरकार के अफसरों को रिश्वत दी.

● छलछद्म में शामिल होने की बात बताए बगैर अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थाओं और अमेरिकी एएमसीज से पैसे उगाहे.

● एज्यूर से अदाणी को सौदे ट्रांसफर करने और कथित रिश्वतखोरी के मामले में अमेरिकी जांच के रास्ते में रोड़े अटकाना.

5. बचाव

"जैसा कि अमेरिकी न्याय महकमे ने खुद ही कहा है कि 'अभियोजन में लगाए गए चार्ज आरोप हैं और आरोप साबित होने तक प्रतिवादी को निर्दोष माना जाता है.' इस मामले में हरसंभव कानून समाधान तलाशा जाएगा." - अदाणी समूह, 21 नवंबर

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