
• क्योंकि वे हालात बदल गए हैं जब उन्हें कमजोर पितामह से कुछ ज्यादा नहीं समझा जाता था जो संकेतों में बात करता था, जिसके असली मुद्दों के लिए कुछ खास मायने नहीं थे. आम चुनाव में संघ की बिगड़ैल संतान को सजा मिली तो उनके विचारों को अब एक तरह से मोदी 3.0 और भाजपा शासित राज्यों के लिए नीति-निर्देश माना जाने लगा है.
• क्योंकि संघ के अनुरूप अब भाजपा में बदलाव हो रहे हैं, राजनैतिक नियुक्तियों पर असर दिख रहा है, दलबदलुओं, उम्मीदवारों और गठजोड़ पर नीति बन रही है. हरियाणा में भाजपा की जीत का कुछ श्रेय आरएसएस की खामोश सक्रियता को है, जो लोकसभा चुनाव की सफलता दर से अलग थी, जिससे संघ की जरूरत जाहिर होती है.
अगले भाजपा अध्यक्ष के चयन में उनकी मंजूरी महत्वपूर्ण होगी. उनका वीटो बेहद जरूरी है. कुल मिलाकर वे देश के राजकाज और सियासत की परदे के पीछे बेहद अहम शख्स हैं.
• क्योंकि वे इकलौते ऐसे हैं, जो राजनैतिक शाखा के हुक्मरानों को झिड़की देने का फरमान जारी कर सकते हैं, यानी भगवा खेमे में वे बेहद जरूरी आत्म-सुधार की आवाज हैं. संघ के प्रिय मुद्दों पर प्रामाणिक सैद्घांतिक सुर के नाते विचारधारा में उनकी राय शक्तिशाली है.
बदली राह
वे प्रशिक्षित पशु चिकित्सक हैं. 1975 में इमरजेंसी के दौरान पोस्टग्रेजुएशन का कोर्स बीच में छोड़ा और संघ के पूर्णकालिक प्रचारक बन गए.
अमित शाह, 59 वर्ष, केंद्रीय गृह मंत्री
फौलादी छवि

• क्योंकि वे अभी भी देश में दूसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं—उनकी छाप हर उस चीज में दिखती है जिसके बल पर मोदी सरकार देश में बरकरार है. सरकार चलाने की कला से लेकर एकदम स्थानीय स्तर के चुनावी आंकड़े, वे सभी को किसी सुपर कंप्यूटर की भांति विजेता की तरह साधते हैं.
2024 का आम चुनाव भले ही चौंकाने वाला रहा हो जिसमें जमीनी राजनीति की उनकी महारत धूल चाट गई हो, लेकिन जब धूल भरी हवाओं का गर्दो-गुबार थमा और हरियाणा का मैदान खुला, तो शाह ने फिर बाजी पलट दी.
• क्योंकि वे लालकृष्ण आडवाणी और गोविंदबल्लभ पंत के बाद देश के तीसरे सबसे लंबे कार्यकाल वाले गृह मंत्री हैं, उन्होंने देश की आंतरिक सुरक्षा के ऊपर लौह कवच लगा दिया है. तीन नई आपराधिक संहिताओं के साथ कानून की किताबों में उनकी छाप साफ दिखती है.
• क्योंकि राजनैतिक और नीतिगत मामलों में उनकी चौतरफा निगरानी अक्सर उन्हें सिंहासन के पीछे की असली ताकत बनाती है. वे अकेले मंत्री हैं, जो कैबिनेट की नियुक्ति समिति में मोदी की बगल में बैठते हैं और सभी महत्वपूर्ण कैबिनेट समितियों में शामिल हैं. हर बड़ा फैसला उनके सामने से गुजरने के बाद ही लागू हो पाता है.
उनके काम में बेशुमार यात्राओं का बोझ शामिल है लेकिन वे अपने घर कॉल करने और चीजें दुरुस्त होने की खबर के लिए हमेशा समय निकालते हैं. वे हर किसी से, पत्नी सोनल, बेटा जय, बहू ऋषिता और दोनों पोतियों से बात करना नहीं भूलते.