
खासी उथल-पुथल मचा देने वाली गतिविधियों से भरपूर भारतीय उद्यमिता के क्षेत्र में कुछ नया करने वालों की नई पौध कारोबार, टेक्नोलॉजी और सामाजिक असर पैदा करने के नियम नए सिरे से लिख रही है. हालांकि कुछ अनुभवी उद्यमी हैं अभी भी मजबूती से जमे हुए हैं. फूड डिलिवरी कारोबार में क्रांति करने से लेकर अंतरिक्ष यात्रा को लोकतांत्रिक बनाने वाले ये पथ प्रदर्शक न केवल कंपनियां खड़ी कर रहे हैं बल्कि वे समूचे उद्योगों को नया आकार दे रहे हैं और सफलता के नए मानक गढ़ रहे हैं.
इस परिवर्तन के सूत्रधारों में अग्रणी हैं, दीपेंद्र गोयल जो इस साल जोमैटो को मुनाफे में ले आए और ओला के संस्थापक भवीश अग्रवाल जो अब आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में भी कदम रख रहे हैं. यह सूची बताती है कि महत्वाकांक्षाओं में कितनी विविधता है: स्काइरूट एयरोस्पेस के युवा संस्थापक पवन कुमार चांदना और नाग भरत डाका देश के लिए अपना स्पेसएक्स सपना खड़ा कर रहे हैं जबकि 'बोट’ के जोशीले उद्यमी समीर मेहता और अमन गुप्ता का वियरेबल मार्केट में यह उपक्रम ऐपल सरीखे वैश्विक दिग्गजों से टक्कर ले रहा है.
इन नवाचारियों को जो चीज खास बनाती है, वह है समस्या के समाधान का अनूठा भारतीय नजरिया. चाहे वह श्रीधर वेम्बू की जोहो स्कूलों के जरिए ग्रामीण शिक्षा को लेकर प्रतिबद्धता हो या डब्ल्यूटीफंड के जरिए युवा उद्यमियों को पल्लवित करने की निखिल कामत की पहल, वे साबित कर रहे हैं कि मुनाफा और मकसद दोनों साथ-साथ चल सकते हैं.
इनमें सबसे युवा हैं जेप्टो के 22 वर्षीय संस्थापक आदित पालीचा और कैवल्य वोहरा जिन्होंने महामारी के दौरान पूरी तरह एक नई मार्केट श्रेणी खड़ी कर दी जबकि संजीव बीखचंदानी जैसे अनुभवी उद्यमी रणनीतिक निवेशों और संस्था निर्माण के जरिए भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को आकार देने में लगे हुए हैं. निडर नवाचारी क्लब के ये सारे नाम भविष्य में भारत को छलांग लगाने में मदद कर रहे हैं जहां टेक्नोलॉजी बड़ी समानता लाने में मददगार बनती है.
1. दीपेंद्र गोयल, को-फाउंडर और सीईओ, जोमैटो
● क्योंकि जोमैटो—रेस्तरां एग्रीगेटर से फूड डिलिवरी ऐप वाले इस कारोबार को आईआईटी स्नातक ने 2008 में सह-स्थापित किया—ने वित्त वर्ष-24 के दौरान पहली बार 351 करोड़ रुपए का मुनाफा दर्ज किया. इससे पिछले वाले वित्त वर्ष में उसे पूरे 971 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था. उसके राजस्व में भी बी2सी (फूड ऑर्डर/ क्विक कॉमर्स) और बी2बी (हाईपरप्योर जो रेस्तरांओं को सप्लाई देता है) कारोबारों में बढ़ोतरी के बल पर 56 फीसद का इजाफा हुआ.
● क्योंकि खुद भी कंधे से कंधा मिलाकर काम करने वाले गोयल अब 'गोइंग आउट’ बिजनेस—डाइनिंग आउट, आउटडोर एंटरटेनमेंट वगैरह पर फोकस कर रहे हैं. उनका ताजा उपक्रम पेटीएम के मूवी टिकट कारोबार और इवेंट डिविजन को खरीदना था जिसे जोमैटो ने नकद सौदे में अधिग्रहीत किया.
● क्योंकि क्यू-कॉमर्स वर्टिकल ब्लिंकइट—2022 में अधिग्रहीत संकटग्रस्त स्टार्ट-अप—का वैल्युएशन अब जोमैटो के मुख्य फूड डिलिवरी की पेशकशों से भी अधिक है. वित्त वर्ष 24 में यहां तक कि ब्लिंकइट भी मुनाफे में आ गया.
चख भी तो लें: जोमैटो ने भले ही प्योर वेज फ्लीट शुरू की हो—इस सेवा में पूरी तरह शाकाहारी खाना परोसने वाले रेस्तरांओं के ऑर्डर डिलिवर किए जाते हैं—लेकिन दीपेंद्र खुद बटर चिकन के शौकीन हैं.
------------------------------------------------------------
2. संजीव भीखचंदानी, 61 वर्ष, संस्थापक और एग्जीक्यूटिव वाइस चेयरमैन, इन्फो एज इंडिया

● क्योंकि इन्फो एज 1995 में स्थापित होने के तीन दशक बाद भी कुछ ऐसी चुनिंदा उपभोक्ता इंटरनेट कंपनियों में शुमार है जो बुलंदियां छू रही हैं. आइआइएम अहमदाबाद के पूर्व छात्र संजीव की स्थापित की हुई यह कंपनी जॉब पोर्टल नौकरी और मैट्रिमोनी साइट जीवनसाथी की मूल कंपनी है. वित्त वर्ष 2024 में इसने 2,536 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया.
● क्योंकि भीखचंदानी ने 2010 में इन्फो एज के रोजमर्रा के कामकाज से अपना हाथ भले पीछे खींच लिया हो लेकिन पॉलिसीबाजार और जोमैटो जैसे अन्य स्टार्ट-अप की खोज का श्रेय उन्हें ही जाता है. इसमें उन्होंने अपने इन्फो एज वेंचर्स के माध्यम से निवेश किया. जोमैटो में इसकी 13 फीसद हिस्सेदारी का मूल्य मौजूदा समय में 30,000 करोड़ रुपए से ज्यादा है.
● क्योंकि पद्मश्री से सम्मानित भीखचंदानी ने हरियाणा स्थित अशोका यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी के तौर पर भारत में एक विश्वस्तरीय उदार कला संस्थान स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई.
पर्दे के पीछे: अपनी निजी संपत्ति से करीब 150 करोड़ रुपए देने के बावजूद भीखचंदानी ने अशोका यूनिवर्सिटी में किसी भी इमारत या कार्यक्रम को अपना नाम देने से साफ इनकार कर दिया.
------------------------------------------------------------
3. श्रीधर वेंबू, 56 वर्ष, संस्थापक और सीईओ, जोहो कॉर्पोरेशन

● क्योंकि क्लाउड सॉफ्टवेयर, कस्टमर रिलेशन मैनेजमेंट और प्रोडक्टिविटी टूल्स मुहैया कराने के मामले में छोटे और मध्यम व्यवसायों के बीच अपनी अहम जगह बना चुकी बहुराष्ट्रीय टेक फर्म वेंबू आज सेल्सफोर्स, गूगल, हबस्पॉट, ओरेकल, एसएपी और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी वैश्विक कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा कर रही. इस कंपनी की स्थापना 1996 में हुई और इसका मुख्यालय चेन्नै में है. 2023 में ग्राहकों की संख्या में 31 फीसद की वृद्धि देखी गई.
● क्योंकि वेंबू प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के साथ काम करने वाले एकमात्र उद्यमी हैं, जो सुरक्षा और शिक्षा दोनों क्षेत्रों के लिए डिजिटल बुनियादी ढांचा तैयार करने में भारतीय नीति-निर्माताओं की मदद करते हैं.
● क्योंकि उन्होंने विश्वविद्यालय-आधारित शिक्षा के लिए एक विकल्प स्थापित किया. जोहो स्कूल तमिलनाडु के ग्रामीण छात्रों को व्यावसायिक सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की शिक्षा दे रहे हैं, जहां जोहो कोर इंजीनियरों की भागीदारी 20 फीसद है.
अकेले का दमः यूनिकॉर्न होने के बावजूद जोहो को ग्लोबल फंड के प्रभाव से दूर रखने के लिए वेंबू ने ही वित्त पोषित किया.
--------------------------------------------------------
4. निखिल कामत, 37 वर्ष, सह-संस्थापक और सीएफओ, जेरोधा

● क्योंकि इस मृदुभाषी और अति-विनम्र उद्यमी ने भारत के शीर्ष स्टॉक ब्रोकिंग प्लेटफॉर्म के सह-संस्थापक होने से लेकर उद्यमिता संस्कृति को विकसित करने तक में बेहद खास योगदान दिया. सितंबर में निखिल ने अपने डब्ल्यूटीफंड के तहत 15 स्टार्ट-अप को अनुदान दिया. डब्ल्यूटीफंड विभिन्न क्षेत्रों में 25 वर्ष या उससे कम उम्र के संस्थापकों को 20 लाख रुपए तक का अनुदान बिना किसी शर्त के प्रदान करता है.
● क्योंकि 3.1 अरब डॉलर (26,000 करोड़ रुपए) की व्यक्तिगत संपत्ति वाले निखिल परोपकार से भी जुड़े हैं. पिछले वर्ष वॉरेन बफेट और बिल गेट्स के द गिविंग प्लेज में शामिल होने वाले वे चौथे और सबसे कम उम्र के भारतीय बने. इस अभियान के तहत अरबपति अपनी आधी से ज्यादा संपत्ति सामाजिक कार्यों के लिए दान करने का प्रण लेते हैं. इसी तर्ज पर निखिल की यंग इंडियन फिलैंथ्रोपिक प्लेज 45 वर्ष से कम उम्र के उद्यमियों को अपनी संपत्ति का कम से कम 25 फीसद हिस्सा दान करने को प्रेरित करती है.
तीखा और तेजः फिटनेस के शौकीन निखिल थोड़ा-थोड़ा खाने की सलाह देते हैं. हालांकि, उन्हें 'तीखा और मसालेदार’ चीजें खाना पसंद है.
---------------------------------------------------------------
5. भवीश अग्रवाल, 39 वर्ष, सीएमडी, ओला इलेक्ट्रिक

● क्योंकि ओला के संस्थापक अगस्त में अपनी इलेक्ट्रिक वाहन (ईवी) कंपनी के सूचीबद्ध होने के बाद अरबपति क्लब में शामिल. इस वित्तीय वर्ष की शुरुआत में ओला इलेक्ट्रिक मोबिलिटी ने भारत के दुपहिया ईवी बाजार में 52 फीसद हिस्सेदारी हासिल की.
● क्योंकि अब वे नए क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं. उनके एआइ उद्यम कृत्रिम ने जनवरी में एक अरब डॉलर (8,410 करोड़ रुपए) के कुल वैल्युएशन पर 5 करोड़ डॉलर (420 करोड़ रुपए) जुटाए. यह इस साल का भारत का पहला यूनिकॉर्न स्टार्ट-अप है.
● क्योंकि कृत्रिम ने एक बेस लार्ज लैंग्वेज मॉडल (एलएलएम) की शुरुआत की, जिसका उपयोग कंपनियां कई भारतीय भाषाओं में एआइ-संचालित सहायक बनाने के लिए कर रही हैं. भारत की पहली एआइ सिलिकॉन चिप और एआइ स्टैक से जुड़े हार्डवेयर पर काम चल रहा है.
टास्कमास्टरः साफगोई पसंद और अक्सर एक सख्त बॉस के तौर पर पेश आने वाले भवीश अनुभवी सलाहकार टी.वी.जी. कृष्णमूर्ति को अपना गुरु मानते हैं.
--------------------------------------------------
6. कैवल्य वोहरा, 21 वर्ष, सह संस्थापक, जेप्टो, आदित पलीचा, 22 वर्ष, सह संस्थापक और सीईओ, जेप्टो
● क्योंकि स्टैनफोर्ड की पढ़ाई छोड़कर आए इन दो नौजवानों को क्विक कॉमर्स की एक क्रांतिकारी श्रेणी खड़ी करने के लिए जाना जाता है. 2021 में महामारी के दौरान उन्हें 10 मिनट में परचून का सामान डिलिवर करने की जरूरत का पता चला. इसके बाद तो अमेजन, फ्लिपकार्ट और रिलायंस जैसे बड़े उपक्रम भी इस क्षेत्र में उतरने को तत्पर हो उठे.
● क्योंकि आदित और कैवल्य, जिनकी नेटवर्थ क्रमश: 4,300 करोड़ और 3,600 करोड़ रुपए है, 2024 की हुरुन लिस्ट में शामिल होने वाले सबसे युवा अरबपतियों में से हैं.
● क्योंकि अगस्त में जेप्टो ने 34 करोड़ डॉलर (2,850 करोड़ रुपए) जुटाए और इस साल कुल जुटाई गई राशि 1 अरब डॉलर (8,410 करोड़ रु.) पहुंच गई. 2024 में यह फंड जुटाने का सबसे बड़ा राउंड था. इसके साथ ही इसका मूल्यांकन 5 अरब डॉलर (42,000 करोड़ रुपए) पहुंच गया है.
बात बुद्धिमानी कीः कैवल्य अक्सर सलाह के लिए अपनी मां के पास जाते हैं. आदित जीवन का यह मंत्र अपनाते हैं, 'जिसे मापा जा सकता है, उसे संभाला जा सकता है’.
-------------------------------------------------------
7. राहुल सिंह, 40 वर्ष, वीपी इंजीनियरिंग, आइडियाफोर्ज, आशीष भट्ट, 41 वर्ष, वीपी आरऐंडडी, आइडियाफोर्ज, अंकित मेहता, 41 वर्ष, सीईओ, आइडियाफोर्ज टेक्नोलॉजी लिमिटेड, विपुल जोशी, 42 वर्ष, सीएफओ, आइडियाफोर्ज

● क्योंकि मुंबई की यह फर्म अनमैन्ड एरियल व्हीकल (यूएवी) की देश की सबसे बड़ी निर्माता है जिसका बाजार में हिस्सा करीब 50 फीसद होने का अनुमान है.
● क्योंकि आइडियाफोर्ज के पास 38 पेटेंट हैं. इसके अलावा 34 अन्य के लिए उसने आवेदन कर रखा है. 2007 में आइआइटी मुंबई में शुरू हुई इस फर्म ने शुरुआत ही मुख्य टेक्नोलॉजी बनाने पर ध्यान देने के साथ की है. जुलाई 2023 में आइपीओ लाने वाली फर्म का राजस्व वित्त वर्ष 24 में 314 करोड़ रुपए था जबकि टैक्स वगैरह निकालकर उसने 45.3 करोड़ रुपए का मुनाफा कमाया.
● क्योंकि आइडियाफोर्ज के ड्रोनों ने नक्शानवीसी और निगरानी के लिए 4,50,000 से ज्यादा उड़ानें पूरी कर ली हैं. इस दशक में यूएवी के लिए जोरदार बढ़ोतरी की उम्मीद को देखते हुए मेहता और उनकी टीम का मानना है कि वे आम आदमी के तथा रक्षा क्षेत्र में भी प्रयोग के अवसरों को भुनाने के लिए तैयार हैं. इनमें 'ड्रोन ऐज अ सर्विस’ मॉडल का विकास भी शामिल है.
ऑल इज वेलः आइडियाफोर्ज के क्वाडरोटर हेलिकॉप्टर का शुरुआती प्रोटोटाइप 2009 की बॉलीवुड की हिट फिल्म 3 इडियट्स में दिखाया गया था. आज उसका 75 फीसद से ज्यादा राजस्व रक्षा क्षेत्र से आता है और उसकी ऑर्डर बुक 125 करोड़ रुपए की है.
-------------------------------------------------------
8. प्रतीक श्रीवास्तव, 38 वर्ष, चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, ड्रोनआचार्य एरियल इनोवेशंस, निकिता श्रीवास्तव, 34 वर्ष, सीएफओ और डायरेक्टर, ड्रोनआचार्य एरियल इनोवेशंस

● क्योंकि भारत में 2022 में आइपीओ लाने वाली पहली ड्रोन कंपनी बनने वाला इस युगल का स्टार्ट-अप जल्द ही अमेरिकी और यूरोपीय बाजारों के लिए एडवांस्ड ड्रोन सोल्यूशंस मुहैया कराने जा रहा है. कैलिफोर्निया स्थित अमेरिकन ब्लास्ट सिस्टम में अक्तूबर में हुए एक समझौते के जरिए अगले तीन वर्षों में पांच करोड़ डॉलर (420 करोड़ रु.) का राजस्व आने का अनुमान है.
● क्योंकि वैसे तो इसके संचालन से वित्त वर्ष 24 में राजस्व में 90 फीसद की बढ़ोतरी हुई है लेकिन पुणे की इस कंपनी की नजर इसे 200 फीसद बढ़ाने पर है. इसके लिए वह एआइ आधारित कृषि और रक्षा जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर रही है.
● क्योंकि ड्रोनआचार्य ने पिछले वित्त वर्ष में डीजीसीए प्रमाणित 391 ड्रोन पायलटों को ट्रेनिंग दी और 2025 में इसमें 400 फीसद बढ़ोतरी का लक्ष्य है. अगस्त में इन योजनाओं को हौसला मिला जब इसने आइआइटी रोपड़ से 150 लोगों को ड्रोन टेक्नोलॉजी में प्रशिक्षित करने का 50 लाख रु. का ऑर्डर हासिल किया.
उद्यमों का एक सिलसिलाः रिमोट सेंसिंग और जीआइएस में मास्टर्स करने वाले प्रतीक ने ड्रोनआचार्य की लॉचिंग से पहले भी इस क्षेत्र में कुछेक स्टार्ट-अप शुरू किए थे; पत्नी निकिता एचआर और फाइनेंस की पृष्ठभूमि वाली हैं.
9. अमन गुप्ता, 43 वर्ष, सह संस्थापक और सीएमओ, बोट, समीर मेहता, 47 वर्ष, सह संस्थापक और सीईओ, बोट

● क्योंकि बीओएटी (बोट) की पैरेंट कंपनी यानी उनका आठ साल पुराना स्टार्ट-अप इमेजिन मार्केटिंग वित्त वर्ष 2024 में मुनाफे की ओर लौटा. उसने 14 करोड़ रु. का लाभ कमाया. यह पिछले साल के मुकाबले बड़ा बदलाव था क्योंकि तब इसे 50 करोड़ रु. का नुक्सान उठाना पड़ा था. आज यह देसी कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स ब्रांड स्मार्ट वियरेबल्स के बाजार में एपल और सैमससंग से होड़ लगा रहा है.
● क्योंकि उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनी मैन्युफैक्चरिंग की अपनी घरेलू क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दे रही है और अगस्त में उसने 'मेड इन इंडिया’ उत्पादों में 5 करोड़ का आंकड़ा पार कर लिया. अब बोट के 75 फीसद ब्लूटूथ स्पीकर, एयरफोन, स्मार्ट वियरेबल आदि देश मंस ही बनाए जाते हैं.
● क्योंकि अगले 18 महीनों में आइपीओ लाने के लिए तैयारी कर रही बोट अब प्रीमियम उत्पादों के लिए उपभोक्ताओं की मांग भी पूरी कर रही है. इसकी प्रीमियम रेंज 'निर्वाण’ ऑडियो टेक्नोलॉजी में लगातार नई सीमाएं छू रही है.
जमीन से जुड़े दोनोंः दोनों अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़े हुए हैं. समीर मुंबई स्टाइल में वड़ा पाव और फ्रैंकी खाना पसंद करते हैं जबकि खांटी दिल्ली वाले अमन का जी बटर चिकन के लिए मचलता है.
-------------------------------------------------
10. पवन कुमार चांदना, 34 वर्ष, सह संस्थापक और सीईओ, स्काइरूट एयरोस्पेस, नाग भरत डाका, 35 वर्ष. सह संस्थापक, स्काइरूट एयरोस्पेस

● क्योंकि इसरो से भी जुड़े रहे आइआइटी के इन दो स्नातकों द्वारा 2018 में स्थापित स्काइरूट अब प्रक्षेपण यान के लिए बढ़ती वैश्विक मांग को भुनाने की तैयारी कर रहा है क्योंकि उपग्रह अब छोटे से छोटे होते जा रहे हैं. आप इसे भारत का स्पेसएक्स भी कह सकते हैं.
● क्योंकि उनका हैदराबाद स्थित स्टार्ट-अप कमर्शियल रॉकेट विक्रम-1 को प्रक्षेपित करने वाला पहला भारतीय उद्यमी बनने की राह पर है. इसके लिए उसने अभी तक 750 करोड़ रुपए जुटा लिए हैं. जुलाई में उसने कार्बन फाइबर से बने पहले चरण के हार्डवेयर का प्रूफ प्रेशर परीक्षण सफलता के साथ पूरा किया है.
● क्योंकि स्काइरूट का मिशन है 'ओपन स्पेस फॉर ऑल’ जिससे कि अंतरिक्ष यात्रा आसान बन जाए. चांदना कहते हैं कि ''आप बस फ्लाइट में बैठें और अंतरिक्ष में जा पहुंचें.’’
यान का अभियान ः स्काइरूट के पहले निवेशक थे मिंत्रा के संस्थापक मुकेश बंसल जिन्होंने महज 45 मिनट की मुलाकात के बाद दोनों को 10 करोड़ रुपए का चेक दे दिया.
—अजय सुकुमारन.