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सोने का बाजार कब्जाने के लिए अब कॉर्पोरेट घरानों में होड़ क्यों मच रही है?

चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा सोने की खपत वाला देश है, जहां इस पीली धातु की वार्षिक खपत 700 से 800 टन के बीच है

नई दिल्ली में 27 जुलाई को उद्घाटन में इंद्रिय ब्रांड की एंबेसडर अभिनेत्री अदिति राव हैदरी
‘इंद्रिय’ की ब्रांड एंबेसडर अभिनेत्री अदिति राव हैदरी
अपडेटेड 7 अक्टूबर , 2024

पश्चिम दिल्ली के 68 वर्षीय कारोबारी विनोद मित्रा और उनका परिवार पीढ़ियों से करोलबाग की बैंक स्ट्रीट में अपने ज्वेलर्स का वफादार ग्राहक था. वे कहते हैं, "आपको सिर्फ घर ही विरासत में नहीं मिलता, ज्वेलर भी विरासत में मिलता है." लेकिन नई पीढ़ी कुछ अलग तरह से सोचती है. मित्रा की बहू प्रेरणा पारंपरिक और पुराने फैशन की ज्वेलरी से हटकर देखती हैं जिसे उन्हें सिर्फ विवाह में नहीं पहनना होता, बल्कि काम और सामाजिक कार्यक्रमों में भी पहनना होता है.

उनकी अभिलाषा को पूरी करने के लिए तनिष्क, कल्याण ज्वेलर्स, रिलायंस ज्वेल्स जैसे बड़े रिटेल ज्वेलरी स्टोर हैं. और अब इस समूह में एक नया नाम - इंद्रिय - शामिल हो गया है जिसे इस जुलाई में मशहूर कारोबारी घराने आदित्य बिड़ला समूह की नॉवेल ज्वेल्स ने शुरू किया है. इसे सोने के प्रति नई ललक भी कह सकते हैं. देश के प्रमुख कॉर्पोरेट घराने 6.4 लाख करोड़ रु. के चमकते-बढ़ते ज्वेलरी बाजार पर नजर गड़ाए हुए हैं.

आदित्य बिड़ला समूह का इंद्रिय ब्रांड टाटा के तनिष्क और रिलायंस रिटेल के रिलायंस ज्वेल्स के साथ-साथ कल्याण ज्वेलर्स, मलाबार, जॉयलुकास और सेनको जैसे ज्वेलरी रिटेलरों के साथ होड़ करेगा.

आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला

आदित्य बिड़ला समूह के अध्यक्ष कुमार मंगलम बिड़ला ने दिल्ली में इंद्रिय की शुरुआत के अवसर पर कहा, "मौजूदा अनौपचारिक से औपचारिक क्षेत्र की ओर जारी वैल्यू माइग्रेशन, उपभोक्ताओं की मजबूत, विश्वसनीय ब्रांड की पसंद और सदाबहार विवाह बाजार के ज्वेलरी बिजनेस के आकर्षण के कारण हम इसमें उतरे हैं. ये सब अच्छी-खासी वृद्धि के मौके देते हैं." समूह इसमें अच्छा-खासा 5,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगा. 

रिलायंस रिटेल भी पीछे नहीं रहना चाहता. उसने भी इस साल अल्ट्रा-लग्जरी ज्वेलरी बाजार में उतरने की घोषणा करके इस क्षेत्र में और निवेश योजनाओं का संकेत दिया. इस बाजार में सबसे पहले उतरने का फायदा उठाते हुए तनिष्क और कल्याण ज्वेलर्स जैसे देशव्यापी कारोबारी मौजूदा बाजार में और ज्यादा बढ़ते जा रहे हैं जबकि जॉयलुकास और सेनको जैसे क्षेत्रीय ब्रांड भारत भर में विस्तार पर निगाह लगाए हुए हैं. अब जैसे-जैसे त्योहारी सीजन नजदीक आ रहा है, ये ब्रांड फेस्टिवल थीम की ज्वेलरी अपने यहां सजा रहे हैं और ग्राहकों को प्रमोशन तथा तोहफों के जरिए लुभा रहे हैं.

वित्तीय सेवा फर्म मोतीलाल ओसवाल की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में परिधान और जूते-चप्पल के बाद ज्वेलरी सबसे संगठित खुदरा श्रेणी है, जिसकी कुल ज्वेलरी बाजार में 36 फीसद हिस्सेदारी है. वित्त वर्ष-19 में यह 22 फीसद थी. जहां संगठित क्षेत्र 18-19 फीसद की दर से बढ़ रहा है, वहीं कुल बाजार वित्त वर्ष 19 से 24 के बीच आठ फीसद से अधिक की सालाना चक्रवृद्धि दर से बढ़ा है.

इस क्षेत्र में यह कॉर्पोरेट रुझान सिर्फ उपभोक्ता मांग से ही नहीं बढ़ रहा, बल्कि इसकी  कई वजहें हैं, जिनमें नोटबंदी, माल और सेवा कर (जीएसटी), दो लाख रु. से अधिक की ज्वेलरी के लिए पैन कार्ड की जरूरत जैसे नियम और सोने की अनिवार्य हॉलमार्किंग शामिल है.

साजगार माहौल

चीन के बाद भारत दूसरा सबसे बड़ा स्वर्ण उपभोक्ता है जहां इस पीली धातु की वार्षिक खपत 700 और 800 टन के बीच है. इसमें से 66 फीसद जेवरात में जाता है, बाकी गिन्नियों और बिस्कुटों में. ज्यादातर मांग आयात के जरिए पूरी होती है. सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (सीएमआईई) के आंकड़ों के मुताबिक, मजबूत घरेलू जेवरात मांग के कारण वित्त वर्ष-24 में आयात 34 फीसद बढ़कर 3.8 लाख करोड़ रुपए हो गया जो एक साल पहले 2.8 लाख करोड़ रुपए था. रिटेल खिलाड़ी चार-पांच साल से अनुकूल उपभोग माहौल में बड़े पैमाने पर विस्तार कर रहे हैं.  

18,548 करोड़ रुपए के कल्याण ज्वेलर्स ने इस वित्त वर्ष में 130 स्टोर खोलने की योजना की घोषणा की है, जिसमें 80 शोरूम उसके प्रमुख ब्रांड कल्याण के तहत होंगे और 50 केंडेर के तहत, जो उसका लाइटवेट ओम्नीचैनल ब्रांड है. कल्याण ज्वेलर्स के कार्यकारी निदेशक रमेश कल्याणरामन कहते हैं, "एकदम स्थानीय कारोबारी होने का हमारा विजन स्पष्ट है, जहां हम क्षेत्रीय और असंगठित क्षेत्र के कारोबारियों से प्रतिस्पर्धा करते हैं जिनके पास सबसे बड़ा बाजार हिस्सा है."

कल्याण ज्वेलर्स

कल्याण की 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मौजूदगी है. उसने तेजी से विस्तार के लिए दो साल पहले फोको (फ्रेंचाइजी-स्वामित्व, कंपनी-संचालित) मॉडल की शुरुआत की. कल्याणरामन बताते हैं, "इस मॉडल के जरिए हम पूंजी के बिना विस्तार कर सकते हैं और साथ ही कीमत, इन्वेंटरी, लोकेशन, स्टाफ की नियुक्ति और भी काफी कुछ पर अपना नियंत्रण रख सकते हैं." वित्त वर्ष-25 में 130 स्टोर में से 80 में फ्रेंचाइज के जरिए निवेश की उम्मीद है. 

अग्रणी रिटेलर टाइटन के पास बाजार का 8.5 फीसद हिस्सा है और वह 1994 में तनिष्क की शुरुआत के साथ से ही स्थापित है. टाइटन का जेवरात विभाग अब 15-20 फीसद सालाना चक्रवृद्धि की दर से बढ़ रहा है और उसका टर्नओवर 38,353 करोड़ रुपए हो गया है (इसमें 3,940 करोड़ रुपए की सोने-चांदी की बिक्री शामिल नहीं). वह विभिन्न मॉडल में स्टोर चलाता है, जो कंपनी नियंत्रित, फ्रेंचाइजी-परिचालित (कोफो) और फ्रेंचाइजी-स्वामित्व, फ्रेंचाइजी-परिचालित (फोफो) स्टोर हैं. इसके अलावा कंपनी के अपने खुद के स्टोर भी हैं.

कल्याण और तनिष्क की तरह ज्यादातर रिटेलर ने अपने खुद के स्टोर के साथ शुरुआत की है. लेकिन उनकी आपूर्ति शृंखलाएं और साख स्थापित हो जाती है तो वे विभिन्न फ्रेंचाइजी मॉडल अपनाने लगते हैं जिससे स्टोर के लिए ज्यादा पूंजी निवेश की जरूरत घट जाती है. मसलन, सेनको जब नए राज्य में जाती है तो कंपनी के अपने स्टोर से शुरुआत करती है और फिर आसपास के शहरों में फ्रेंचाइजी स्टोरों के जरिए अपनी मौजूदगी बढ़ाती है. उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में फोकस करने के साथ वित्त वर्ष 24 में उसके 159 स्टोर थे जिनमें 93 कंपनी के अपने हैं और 66 फ्रेंचाइजी हैं.

केरल का जॉयलुकास यहां सबसे अलग है. वह सिर्फ कंपनी स्वामित्व वाले स्टोरों के जरिए ही परिचालन करता है और हर शॉप खोलने के लिए औसतन 80 करोड़ रुपए का निवेश करता है. इस क्षेत्रीय रिटेलर का लक्ष्य अब अखिल भारतीय ब्रांड बनने का है जिसके तहत 75 स्टोर खोलने के लिए वह 6,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगा.

सीईओ बेबी जॉर्ज कहते हैं, "हमारी पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे उत्तरी और पश्चिमी राज्यों में मौजूदगी है मगर यह सांकेतिक है और आगे चलकर हम इसे बढ़ाना चाहते हैं." रिलायंस ज्वेल्स 200 से अधिक शहरों में शॉप इन शॉप और शोरूम में 380 से अधिक स्टोरों का परिचालन करता है.

आप सोच रहे होंगे कि इस आक्रामक विस्तार से बाजार में भीड़ बढ़ती जा रही है लेकिन विशेषज्ञ दूसरी तरह से सोचते हैं. क्रिसिल रेटिंग्स में वरिष्ठ निदेशक अनुज सेठी कहते हैं, "अवसर अपार हैं और संगठित रिटेलर असंगठित क्षेत्र की हिस्सेदारी झटक कर बढ़ रहे हैं."

रिलायंस ज्वेल्स

नॉवेल ज्वेल्स के सीईओ संदीप कोहली बताते हैं, बाजार में आखिरी बड़े खिलाड़ी के उतरने के बाद से पिछले दशकों में काफी कुछ बदला है—उपभोक्ता महत्वाकांक्षा और खरीद में पसंद-नापसंद से लेकर रिटेल अनुभव और नई तकनीक की आमद तक. वे कहते हैं, "इन बदलाव से हमें अवसर मिल रहे हैं क्योंकि हमारे साथ कोई विरासत नहीं जुड़ी हुई है और हम अलहदा ब्रांड सृजित करने के लिए इस नए इकोसिस्टम की अपनी समझ का फायदा उठाएंगे."

बढ़ती प्रतिस्पर्धा और बाजार के बदलते स्वरूप पर प्रतिष्ठित खिलाड़ी ध्यान दे रहे हैं. टाइटन कंपनी में ज्वेलरी डिविजन के सीईओ अजय चावला कहते हैं, "दो-तीन साल पहले हमने अपने स्टोरों के लिए व्यापक खुदरा बदलाव की कवायद शुरू की जिसमें हमने यह तय करने के लिए हर जगह का आकलन किया कि क्या हमें नए स्टोर और खोलने, उन्हें बढ़ाने या मौजूदा की जगह बदलने या विवाह या महंगी ज्वेलरी में नई श्रेणियां शामिल करने की जरूरत है जिससे हम उस इलाके की नई जरूरतों को बेहतर तरीके से पूरी कर सकें."

मसलन, छोटे 3,000 वर्ग फुट के स्टोर का विस्तार किया गया या लाउंज के साथ ब्राइडल ज्वेलरी के लिए अलग फ्लोर बनाया गया, ताकि उपभोक्ता अपने वैवाहिक परिधानों के साथ ज्वेलरी पहन कर देख सकें या ग्राहक इवेंट्स स्थान जोड़े गए. अब 150 से अधिक तनिष्क स्टोरों में अलग से वेडिंग फ्लोर हैं. नतीजे में ब्रांड की उन्हीं स्टोर की सेल्स ग्रोथ 16 फीसद हो गई. 

डिजाइन की नजाकत

आज के उपभोक्ताओं के खरीद फैसलों में डिजाइन महत्वपूर्ण हो गई है. वे ऐसी ज्वेलरी चाहते हैं जो उनकी पर्सनल स्टाइल और सौंदर्य दृष्टि से मेल खाती हो. नई दुलहनें बॉलीवुड अभिनेत्रियों की नकल करती हैं—चाहे वह अनुष्का शर्मा के अनकट डायमंड और पर्ल चोकर हों या आलिया भट्ट की शानदार सब्यसाची हेरिटेज ज्वेलरी हो जो माथापट्टी और अनकट डायमंड नेकलेस से सुशोभित हो. गुड़गांव की ब्रांड मैनेजर 36 वर्षीया रिद्धिमा कुकरेजा कहती हैं, "प्लेन गोल्ड ज्वेलरी की सीमा है और इसे शादी-विवाह में ही पहना जा सकता है लेकिन मैं कई मौकों पर पोलकी पहन सकती हूं, यहां तक कि काली ड्रेस के साथ इसके ईयररिंग्स भी."

पिछले साल उनकी शादी के लिए यह उनकी पसंद की ज्वेलरी थी. बाजार इस विकसित होती नई रुचि को पूरी करने के लिए अनूठे डिजाइन के साथ रेस्पॉन्ड कर रहा है. डिजाइन प्रमुख अभिषेक रस्तोगी कहते हैं, "इंद्रिय के जरिए मैं ऐसी दुनिया सृजित करना चाहता हूं जहां परंपरा और आधुनिकता दोनों साथ-साथ फले-फूलें, जहां हमारी सदियों पुरानी विरासत वह आकार ले जो हम सृजित करें और नए दौर के लिए इसे हमारे शिल्प में फिर से गढ़ा जाए."

टाइटन ज्वेलरी

समसामयिक डिजाइन की तलाश करती युवा भारतीयों की नई पौध को देखते हुए ज्वेलरी फर्म कई सब ब्रांड भी शुरू कर रही हैं. मसलन, टाइटन अपने चार ब्रांडों से अपने 985 स्टोरों के जरिए हर साल 38 लाख ग्राहकों तक पहुंचती है. इनमें 483 स्टोर उसके मुख्य तनिष्क ब्रांड के तहत हैं और बाकी लग्जरी ब्रांड जोया, जो डायमंड ज्वेलरी में विशिष्ट है, तनिष्क का कंटेंपरेरी ज्वेलरी ब्रांड मिया और ओम्नीचैनल ब्रांड कैरटलेन आधुनिक ज्वेलरी उपलब्ध कराता है. इसी तरह रिलायंस के पास कामकाजी समय के लिए बेला, बच्चों के लिए नितारा, पुरुष संग्रह और विवाह संग्रह के साथ-साथ 'ज्वेल्स ऑफ इंडिया' और विवाहम जैसे सिग्नेचर लाइन भी हैं.

इतना ही नहीं, जेवरात की स्थानीय विशेषताएं भी भूमिका निभाती हैं. यानी इलाका बदलने के साथ ही खपत का तौर-तरीका भी बदल जाता है. दक्षिणी राज्यों में जहां पारंपरिक भारी प्लेन गोल्ड ज्वेलरी को प्राथमिकता दी जाती है जबकि उत्तरी और पश्चिमी क्षेत्रों में हल्के और जड़ाऊ जेवरात ज्यादा लोकप्रिय हैं. कल्याण ज्वेलर्स के कल्याणरामन कहते हैं कि उनकी करीब 30-40 फीसद ज्वेलरी इलाके की विशिष्टता के अनुसार तैयार की जाती है. वे कहते हैं, "निपट स्थानीयता के भाव के साथ पंजाब में हम पंजाबी हैं और गुजरात में गुजराती."

नॉवेल ज्वेल्स पारंपरिक डिजाइन को आधुनिक बनाने पर काम कर रहा है. इसके लिए वह क्षेत्रीय शिल्पकला को राष्ट्रीय स्तर पर ला रहा है. नॉवेल ज्वेल्स केसीईओ कोहली कहते हैं, ''नक्काशी और मीनाकारी जैसे शिल्प पारंपरिक हैं पर हम यह देख रहे हैं कि किस तरीके से उन्हें आधुनिक बनाया जाए कि वे देश भर में उपभोन्न्ताओं का आकर्षण बनें.’’ इस ब्रांड ने 15,000 क्यूरेटेड ज्वेलरी पीस के साथ शुरुआत की है और उसके हरेक चार स्टोर में से एक में 5,000 विशिष्ट डिजाइन के जेवरात हैं और उसकी हर 45 दिन में नए संग्रह जोड़ने की योजना है. 

ऐसा लगता है कि फ्रेश कलेक्शन रिटेलरों की बिक्री का मुख्य आधार बन गए हैं. चावला कहते हैं कि तनिष्क हर साल 20-25 नए संग्रह बाजार में उतारता है. यूं तो ज्यादातर डिजाइन इन हाउस डिजाइनरों से तैयार कराई जाती है लेकिन उन्होंने डिजाइन के मामले में बाकियों से आगे रहने और नया वेडिंग कलेक्शन-रिवाह—उतारने के लिए तरुण ताहिलयाणी जैसे नामी डिजाइनरों से साझेदारी भी की है, जो खास आकर्षण है. इसके लिए चिकनकारी, कशीदा, जरदोजी और जड़ाऊ जैसे लोकप्रिय एंब्रॉयडरी से प्रेरणा ली गई है. इन्हें रावा, फिलीग्री, चांडक और एनेमेल काम जैसी कारीगरी तकनीकों के जरिए ज्वेलरी में बदला गया है. 

खांटी भरोसे का भाव

पिछले दो साल में बढ़ती मांग, भू-राजनैतिक अनिश्चितता और महंगाई के दबाव के कारण सोने की कीमत तेजी से बढ़ी है. 10 ग्राम सोने की कीमत वित्त वर्ष-18 में 29,289 रुपए थी जो वित्त वर्ष-21 में 43,472 रुपए हो गई और इस साल 60,608 रुपए पहुंच गईं. हालांकि गोल्ड ज्वेलरी पर तीन फीसद का जीएसटी लगता है.

बढ़ती कीमतों के साथ सोने की मांग घटने का रुझान होता है क्योंकि उपभोक्ता कीमतों में गिरावट का इंतजार करते हैं. जॉयलुकास के जॉर्ज कहते हैं, "जब सोने की कीमत बढ़ती है तो उपभोक्ता अपना बजट नहीं बढ़ाते. वे या तो अपनी तात्कालिक जरूरत पूरी करने के लिए लाइट ज्वेलरी का विकल्प चुनते हैं या अपनी खरीद टाल देते हैं."

जॉर्ज यह भी कहते हैं, हालांकि इस साल के बजट में आयात शुल्क 15 फीसद से घटाकर 6 फीसद किए जाने से मांग में कम से कम 30 फीसद का इजाफा हुआ है. और ये संगठित रिटेलर ही हैं जिनके उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ती जा रही है जिसकी वजह उनका भरोसे और ब्रांड वफादारी का यूएसपी होना है.

प्रेरणा कहती हैं, "सोने में मिलावट आम है लेकिन मुझे लगता है कि बड़े ब्रांड ऐसी हरकतों में शामिल होकर अपनी प्रतिष्ठा के लिए जोखिम नहीं लेंगे." मसलन, तनिष्क ने 25 साल पहले कम कैरट के मसले से निबटने के लिए अपने सभी स्टोर में सबसे पहले कैरटमीटर शुरू किया था.

वरिष्ठ ऐडमैन ऐम्बी परमेश्वरन कहते हैं, "तनिष्क बाजार में पहला बड़ा खिलाड़ी था लेकिन शुरू के चार साल के दौरान उसे संघर्ष करना पड़ा क्योंकि उपभोक्ता अपने पारिवारिक ज्वेलरों को लगातार प्राथमिकता देते रहे. कंपनी ने सोने में मिलावट की समस्या को पहचाना और चीजें बदलने के लिए इस रणनीति का फायदा उठाया. नतीजे में तनिष्क टाइटन का ताज बन गया." इसी तरह कल्याण की माई कल्याण पहल उपभोक्ताओं को जागरूक खरीद का फैसला करने में मदद करती है.

वित्त वर्ष 24 के दौरान उसके 1,006 माई कल्याण केंद्रों ने उसके घरेलू कमाई में 15 फीसद का योगदान दिया और उसकी परचेज एडवांस स्कीम के तहत 2024 में 37 फीसद से अधिक पंजीकरण किए गए. ज्वेलरी एक्सचेंज स्कीम, ऑथेंटिसिटी के सर्टिफिकेट और बाइबैक ऑफर भी संगठित रिटेलरों को अपना प्रभाव बढ़ाने में मदद कर रहे हैं. ओम्नीचैनल रणनीतियां भी ब्रांड विस्तार का एकीकृत हिस्सा बन गई हैं. जहां ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को प्राथमिक रूप से खोजबीन के लिए इस्तेमाल किया जाता है, वहीं ज्यादातर खरीद अभी दुकान या शोरूम पर जाकर ही होती हैं.

कोहली कहते हैं, "हमने जोरदार तकनीकी आधार बनाया है, ताकि जरूरत पड़े तो हम अपने बिजनेस मॉडल में बदलाव कर सकें." तनिष्क की वेबसाइट पर 40 लाख से अधिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं. मिया बाई तनिष्क आइपैड के साथ होम विजिट की पेशकश करती है जिसमें ग्राहक को ब्राउज करने और स्टोर में कदम रखे बगैर ऑर्डर देने की सुविधा होती है. इस समय उनके ज्वेलरी बिजनेस का 9-10 फीसद ओम्नीचैनल के जरिए आता है. 

संगठित ज्वेलरी क्षेत्र के लिए भविष्य निश्चित ही चमकदार है. तो क्या अब पड़ोस के सुनार को अलविदा कहने का समय आ गया है? 

कल्याण ज्वेलर्स

कुल कारोबार - 18,548 करोड़ रु.

दुकानें - 217 (शोरूम और 1,006 ग्रासरूट सेंटर)

टाइटन ज्वेलरी

कुल कारोबार - 38,352 करोड़ रु.

(विव 24) (चारों ब्रांड-तनिष्क, मिया, कैरेटलेन और जोया का. 3,940 करोड़ रुपए की सोने-चांदी की बिक्री शामिल नहीं)

दुकानें - 985 (सभी चारों ब्रांड की)

रिलायंस ज्वेल्स

कुल कारोबार - उपलब्ध नहीं

रिलायंस ज्वेल्स हिस्सा है रिलायंस रिटेल वेंचर्स लि. की

दुकानें - 380+ शोरूम और शॉप- इन-शॉप्स

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