scorecardresearch

कहीं डेंगू तो कहीं निपाह...देशभर में अलग-अलग बीमारियां कैसे खराब कर रही हैं मॉनसून का मजा?

विशेषज्ञों को आशंका है कि अगर इससे निपटने में देरी हुई तो संक्रमण और अधिक व्यापक रूप से फैल सकता है, खासकर जब बरसात के एक-दो महीने अभी बाकी हैं

डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए धुआं छिड़कते हुए बेंगलुरु महानगर पालिका के कर्मचारी
डेंगू के प्रसार को रोकने के लिए धुआं छिड़कते हुए बेंगलुरु महानगर पालिका के कर्मचारी
अपडेटेड 22 अगस्त , 2024

बारिश आती है, तो वायरस भला कैसे पीछे रह सकते हैं? मई के आखिरी हफ्तों में देश में दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की वजह से लोगों को भीषण गर्मी से बहुत जरूरी राहत मिली, मगर उसके साथ ही देशभर में कई तरह के वायरल संक्रमणों का प्रकोप भी फैल गया. नई दिल्ली के इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स में संक्रामक रोग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. जतिन आहूजा बताते हैं, "बारिश और उच्च आर्द्रता (उमस) मच्छरों के प्रजनन के लिए आदर्श परिस्थितियां हैं. और, ये मच्छर दरअसल कई वायरस के वाहक होते हैं. इसके अलावा, उच्च आर्द्रता की वजह से वायरस जानवरों और मवेशियों को आसानी से अपनी चपेट में लेते हैं. खासकर एक जगह जमा हुआ पानी वायरल प्रकोपों के लिए एकदम सही प्रजनन भूमि होता है."

लिहाजा, गुजरात में चांदीपुरा वायरस (ज्यादातर बच्चों को लगने वाला वायरल इंसेफेलाइटिस का अपेक्षाकृत नया प्रकार) का प्रकोप है, केरल निपाह वायरस से जूझ रहा है, तो स्वाइन फ्लू ने मुंबई और राजस्थान को अपनी चपेट में ले रखा है. वहीं, जून में पश्चिम बंगाल में हाइ अलर्ट जारी किया गया था, क्योंकि वहां इस साल देश का एवियन फ्लू का पहला मानवीय मामला सामने आया, जिसकी पुष्टि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने की थी. पश्चिम बंगाल में स्थिति नियंत्रण में नजर आती है, मगर महाराष्ट्र में जीका और डेंगू का प्रकोप नजर आ रहा है, जैसा कि कर्नाटक में भी हुआ. हालांकि इनमें कोई भी वायरस नया नहीं है और स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, इनके अचानक प्रकोप की वजह मौसम में आ रहा बदलाव हो सकता है.

केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, जुलाई में राज्य में बुखार के 2,02,122 मामले, डेंगू के 2,250 मामले और मम्प्स या गलसुआ के 1,850 मामले दर्ज किए गए हैं. जनवरी से जुलाई के दौरान, राज्य में अन्य संक्रामक रोगों के 4,00,000 से अधिक मामले सामने आए हैं. वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि देश में सबसे अच्छी सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा, स्वास्थ्य डेटा रिकॉर्डिंग और रेफरल प्रणाली केरल में है, इसलिए राज्य में इतनी बड़ी संख्या में मामले सामने आ रहे हैं.

स्वास्थ्य विशेषज्ञों के मुताबिक, गुजरात में चांदीपुरा वायरस जून की शुरुआत से अब तक करीब 66 लोगों की जान ले चुका है और फिलहाल देश में फैले सभी वायरल संक्रमणों में इसकी मृत्यु दर सबसे अधिक है. इस वायरस के संक्रमण से इंसेफेलाइटिस होता है, जिसमें मस्तिष्क में सूजन आ जाती है. इससे मस्तिष्क के ऊतकों को नुक्सान हो सकता है, जिससे संभावित रूप से कई न्यूरोलॉजिकल लक्षण हो सकते हैं. उन लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, दौरे और होश खो बैठना शामिल है.

डॉ. आहूजा कहते हैं, "वायरस 1 से 2 दिन में ही फैलता है, इसलिए जल्द से जल्द जांच करवाना जरूरी है. अगर इलाज न किया जाए तो इससे जान भी जा सकती है." भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद की वेबसाइट पर एक लेख के मुताबिक, भारत में जापानी इंसेफेलाइटिस की पहली पहचान 1955 में तमिलनाडु में हुई थी. अहमदाबाद के स्टर्लिंग हॉस्पिटल में इंटरनल मेडिसिन के कंसल्टेंट डॉ. योगेश गुप्ता कहते हैं कि बुनियादी सावधानी स्वच्छता और साफ-सफाई है, जैसे कि मास्क पहनना, हाथ धोना और मेलजोल में दूरी बनाए रखना, वगैरह.

इस बीच, महाराष्ट्र में पिछले महीने जीका वायरस के संक्रमण के 50 से अधिक मामले सामने आए. उसके बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राज्यों को मच्छरों के प्रजनन और मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया सरीखी मच्छर जनित बीमारियों के प्रसार को रोकने के लिए उपाय शुरू करने के लिए स्वास्थ्य सलाह जारी किया. वहीं, जीका भी संक्रमित मच्छरों के काटने से फैलता है. महाराष्ट्र में जनवरी से जुलाई के दौरान डेंगू के मामलों में भी पिछले साल की इसी अवधि की तुलना में 83 फीसद की वृद्धि देखी गई. कर्नाटक के स्वास्थ्य विभाग ने भी जनवरी से जुलाई के दौरान राज्य में डेंगू के 19,313 मामलों की सूचना दी. वहीं, पिछले साल कर्नाटक में इसी अवधि के दौरान यह संख्या 4,864 ही थी.

विशेषज्ञों का कहना है कि मच्छर जनित वायरस के प्रसार को रोकने के लिए, नगर निकायों को मॉनसून के दौरान जल जमाव को साफ करना चाहिए, कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए और मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए साफ-सफाई बढ़ा देनी चाहिए. पिछले कुछ वर्षों में, दिल्ली उन राज्यों में से एक रहा है, जिसने मच्छरों के प्रजनन को रोकने के अपने कड़े प्रयासों के जरिए डेंगू के मामलों को कम करने में कामयाबी हासिल की है. मगर, राष्ट्रीय राजधानी के अधिकारी इस साल अभियान में पिछड़ते दिख रहे हैं. दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 6 जुलाई तक, दिल्ली में इस साल डेंगू के 256 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जो पिछले साल इसी अवधि में दर्ज किए गए 136 मामलों से लगभग दोगुना है और साल 2020 के बाद से सबसे अधिक है.

फिलहाल, विभिन्न राज्यों में अधिकांश प्रकोप अलग-अलग इलाकों से रिपोर्ट किए जा रहे हैं. विशेषज्ञों को आशंका है कि निष्क्रियता या देरी से कार्रवाई के परिणामस्वरूप संक्रमण और अधिक व्यापक रूप से फैल सकता है, खासकर जब बरसात के एक-दो महीने अभी बाकी हैं.

ये रहे वायरस

> चांदीपुरा: दिमाग में सूजन हो सकती है. लक्षणों में बुखार और शरीर में दर्द शामिल है. गुजरात में इसका प्रकोप दर्ज किया गया 

> निपाह: श्वसन संबंधी समस्याएं, बुखार, खांसी, गले में खराश और दिमाग में सूजन हो सकता है. केरल में इसके प्रकोप का पता चला

> जीका: गर्भवती महिलाओं में गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा हो सकती हैं. इसके लक्षणों में बुखार और शरीर में दर्द शामिल हैं. महाराष्ट्र और कर्नाटक में प्रकोप का पता चला

> स्वाइन फ्लू: मध्यम से लेकर गंभीर श्वसन दिक्कतें, बुखार और गले में खराश होता है. मुंबई और राजस्थान में इसका प्रकोप सामने आया है

> एवियन फ्लू: दिमाग में सूजन और न्यूमोनिया हो सकता है. पश्चिम बंगाल के कोलकाता में इसके प्रकोप का पता चला 

> डेंगू: इसमें तेज बुखार होता है और रक्त प्लेटलेट्स में कमी आ जाती है. महाराष्ट्र, कर्नाटक और केरल में इसका प्रकोप दर्ज किया गया है

> चिकनगुनिया: तेज बुखार और मांसपेशियों में बहुत अधिक दर्द होता है. महाराष्ट्र में इसके प्रकोप का पता चला है

Advertisement
Advertisement