
चंद्रशेखर आजाद, 37 वर्ष, (आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) ), नगीना (अनुसूचित जाति), उत्तर प्रदेश
आजाद समाज पार्टी (कांशीराम) और भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद पश्चिमी उत्तर प्रदेश की नगीना (आरक्षित) सीट से चौकोने मुकाबले में जीतकर आए हैं. समाजवादी पार्टी ने तो शुरुआती बातचीत के बाद उन्हें 'इंडिया’ ब्लॉक से बाहर रखने का फैसला किया था. युवा दलित नेता 37 वर्षीय आजाद का पश्चिम उत्तर प्रदेश के दलितों पर खासा असर माना जाता है. उन्होंने 51 फीसद वोट हिस्सेदारी हासिल करके भाजपा के ओम कुमार को 1,51,000 से ज्यादा वोटों से हराया.
आजाद मानवाधिकार कार्यकर्ता भी हैं और बहुजन समाज पार्टी के बिखराव का फायदा उठाकर उत्तर प्रदेश की और बाकी देश की दलित राजनीति के नए आइकन के रूप में उभर रहे हैं. असपा (के) के सामाजिक आधार का निर्माण करने वाली उनकी भीम आर्मी पूरे उत्तर प्रदेश में मौजूद है और देश भर में उसके करीब 1 करोड़ सदस्य हैं. आजाद को दलितों के ही नहीं, पिछड़े मुसलमानों के भी वोट मिले. 2017 में सहारनपुर में दलितों पर राजपूतों के कथित हमलों के बाद एक प्रदर्शन की अगुआई करते हुए दिल्ली में, और 2019 में सीएए विरोधी प्रदर्शनों के बाद भी, उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था.

मनोज कुमार, 41 वर्ष, (कांग्रेस) सासाराम (एससी), बिहार
मनोज कुमार ने राजनीति में पहला कदम 2019 के लोकसभा चुनाव में रखा. वे सासाराम सीट से बसपा के टिकट पर मैदान में उतरे और 86,000 से ज्यादा वोट बटोरकर तीसरे नं. पर रहे. पांच साल बाद जब लंबे समय से यहां कांग्रेस की उम्मीदवार रही मीरा कुमार ने विदा ली, तो पार्टी ने मनोज कुमार पर दांव लगाया.
करीबी मुकाबले में वे भाजपा के छेदी पासवान से यह सीट छीनने में कामयाब रहे. हालांकि कुमार की जीत का अंतर सिर्फ19,157 वोट था, पर उनकी चुनावी छलांग असाधारण है. पर गरीब दिहाड़ी मजदूर के बेटे मनोज अब भी याद करते हैं कि उनके पिता कैसे उन्हें ब्लॉक के अफसरों के पास ले जाते और इंदिरा आवास की मंजूरी के लिए चिरौरी करते थे. वे कहते हैं, "वे मुझे इसलिए ले जाते क्योंकि उन्हें लगता था कि अफसर मुझ पर तरस खाएंगे. पर ऐसा होता नहीं था."

गोविंद करजोल, 73 वर्ष, (भाजपा) चित्रदुर्ग (अनुसूचित जाति), कर्नाटक
कर्नाटक भजपा के प्रमुख दलित नेता करजोल उत्तरी कर्नाटक के मुधोल कस्बे के हैं, जिसकी उन्होंने 1994 से पांच बार विधायक के रूप में नुमाइंदगी की. उन्होंने चित्रदुर्ग (आरक्षित) सीट पर कांग्रेस के बी.एन. चंद्रप्पा को 48,000 से ज्यादा वोटों से हराकर जीत दर्ज की. करजोल भाजपा के उन नेताओं में हैं, जो 2004 में तत्कालीन जनता दल से पाला बदलकर पार्टी में आए थे. 2019 से 2021 के बीच वे उप-मुख्यमंत्री भी रहे.

अवधेश प्रसाद पासी, 78 वर्ष, (सपा) फैजाबाद, उत्तर प्रदेश
एक युवा नेता के तौर पर अवधेश प्रसाद पासी ने आपातकाल विरोधी संघर्ष समिति में अहम भूमिका अदा की थी. वयोवृद्ध नेता ने अब फैजाबाद में दलित वोटों के समर्थन की बदौलत भाजपा के लल्लू सिंह को 1,51,00 वोटों से ज्यादा के अंतर से हराया. उनकी जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि इस निर्वाचन क्षेत्र में अयोध्या भी आता है, जहां राम मंदिर है. पासी समुदाय से आने वाले प्रसाद हालांकि दलित नेता के रूप में पहचाना जाना नहीं चाहते, लेकिन उन्हें समाजवादी पार्टी का दलित चेहरा माना जा रहा है. 78 वर्षीय प्रसाद नौ बार विधायक, राज्य में अतीत के जनता दल और समाजवादी पार्टी की सरकारों में छह बार मंत्री रह चुके हैं, और अब पहली बार सांसद बने हैं.
आर.के. चौधरी, 65 वर्ष, ( सपा ) मोहनलालगंज (अनुसूचित जाति), उत्तर प्रदेश
आर.के. चौधरी ने मध्य उत्तर प्रदेश की मोहनलालगंज (आरक्षित) सीट भाजपा के कौशल किशोर को हराकर जीती. चौधरी बसपा के संस्थापक सदस्य थे और कांग्रेस से होते हुए 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सपा में आ गए.


योगेंद्र चंदोलिया, 62 वर्ष, (भाजपा) उत्तर पश्चिम दिल्ली (अनुसूचित जाति)
भाजपा में दिल्ली के प्रभारी महामंत्री चंदोलिया पार्टी के स्थानीय दलित चेहरे हैं. करोलबाग के देव नगर से नगर निगम पार्षद चंदोलिया उत्तर दिल्ली नगर निगम के मेयर रहे हैं.
— अजय सुकुमारन और अभिषेक जी. दस्तीदार.