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नौकरशाही छोड़ी तो राजनीति में आजमाया हाथ, अब पहली बार चुनकर संसद पहुंचे ये अफसर

पूर्व नौकरशाह चुनावी राजनीति का हिस्सा बने. सरकारी प्रशासन की बाबूगीरी वाली कुर्सी-मेज से आगे निकलकर वे देश की विधायी व्यवस्था के बड़े मंच पर पहुंचे

 जी. कुमार नाइक, कांग्रेस सांसद
जी. कुमार नाइक, कांग्रेस सांसद
अपडेटेड 26 जुलाई , 2024

जी. कुमार नाइक, 69 वर्ष, (कांग्रेस) रायचूर (अनुसूचित जनजाति), कर्नाटक

नाइक 1990 बैच के आईएएस अधिकारी रहे हैं और सितंबर 2023 में बेंगलूरू विकास प्राधिकरण के आयुक्त पद से सेवानिवृत्त हुए. 1999 से 2002 के बीच रायचूर के उपायुक्त के तौर पर काम किया. अब संसद में रायचूर का ही प्रतिनिधित्व करते हुए कहीं बड़ी चुनौती से रू-ब-रू हैं.

कल्याण कर्नाटक क्षेत्र में आने वाला रायचूर राज्य का आर्थिक रूप से पिछड़ा क्षेत्र है, जहां स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति काफी खराब है. वहां एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान) का एक कैंपस लाना नाइक की प्राथमिकताओं में शुमार है.

 शशिकांत सेंतिल,  45 वर्ष. (कांग्रेस) तिरुवल्लूर, तमिलनाडु

 शशिकांत सेंतिल

सेंतिल ने चुनावी राजनीति में पदार्पण के साथ 5,72,000 से ज्यादा वोटों के अंतर से लोकसभा चुनाव जीतकर एक नया रिकॉर्ड बनाया. उन्होंने तमिलनाडु में सबसे बड़े अंतर से जीत दर्ज की है. 2009 बैच के कर्नाटक काडर के इस आईएएस अधिकारी ने 2019 में यह कहते हुए नौकरी छोड़ दी थी कि भाजपा के सत्ता में आने के बाद "विविधतापूर्ण लोकतंत्र के बुनियादी ढांचे को चोट पहुंचाई जा रही है" और ऐसे माहौल में अपने इस पद पर रहकर काम करने में असमर्थ हैं.

उन्होंने नागरिकता (संशोधन) कानून, 2019 और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर को लेकर चल रहे विवाद के बीच विरोध में यह कदम उठाया था. एक साल बाद वे कांग्रेस में शामिल हुए और 2023 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अपनी टीम के साथ पार्टी को जिताने में मदद करके वॉर रूम रणनीतिकार के तौर पर पहचान बनाई.

चेन्नै में जन्मे सेंतिल ने अपनी मां के गृहनगर तिरुवल्लूर से चुनाव लड़ा. उनके पास इंजीनियरिंग की डिग्री है, और कुछ समय के लिए एक सॉफ्टवेयर कंपनी में काम करने का अनुभव भी है. प्रशासनिक सेवा में जाने से पहले वे टीचिंग के पेशे से जुड़े रहे.

मन्ना लाल रावत, 52 वर्ष, (भाजपा )  उदयपुर (अनुसूचित जनजाति), राजस्थान

मन्ना लाल रावत

उदयपुर में बतौर अतिरिक्त परिवहन आयुक्त अपने कार्यकाल के दौरान रावत ने आदिवासी समुदायों के बीच अच्छी पैठ बनाई. फिर आरएसएस और उसकी आदिवासी शाखा वनवासी कल्याण परिषद की गतिविधियों में भागीदारी ने उनके प्रभाव को और मजबूत किया.

इन्हीं वजहों से उन्होंने भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व का ध्यान भी अपनी ओर खींचा. आखिरकार एक साधारण कार्यकर्ता होने के बावजूद उन्हें अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव मैदान में उतारा गया. विद्या वाचस्पति (पीएचडी के बराबर) और लोक प्रशासन में स्नातकोत्तर की डिग्री रखने वाले रावत ने यहां सेवानिवृत्त आइएएस अफसर और कांग्रेस उम्मीदवार तारा चंद मीणा को हराया.

सुखदेव भगत, 63 वर्ष, (कांग्रेस ) लोहरदग्गा (अनुसूचित जनजाति), झारखंड

सुखदेव भगत

नौकरशाह से नेता बने सुखदेव भगत 2019 के लोकसभा चुनाव में मामूली अंतर से हारने के बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गए. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ क्योंकि उसी साल बाद में विधानसभा चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा. जनवरी 2022 में भगत फिर कांग्रेस में लौट आए और दो साल बाद 1,39,000 से ज्यादा मतों से लोहरदग्गा सीट भाजपा से छीनने में सफल रहे. डीयू से इतिहास में मास्टर डिग्री लेकर भगत ने पहले एक बैंक में अफसर का काम किया. फिर 1997 से 2005 तक डिप्टी कलेक्टर रहे. बाद में उन्होंने अपनी नौकरी छोड़ दी और विधायक बने.

डग्गूमल्ला प्रसाद राव,  62 वर्ष, (टीडीपी) चित्तूर (अनुसूचित जाति), आंध्र प्रदेश

डग्गूमल्ला प्रसाद राव

राव ने 2019 में जॉइंट इनकम टैक्स कमिशनर के रूप में भारतीय राजस्व सेवा से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति के बाद कॉन्स्ट्रक्शन व्यवसाय से जुड़ी दो पारिवारिक कंपनियों को चलाया. राजनैतिक बदलाव और न्याय के प्रबल समर्थक राव ने मार्च में टीडीपी जॉइन किया. बतौर सांसद वे अपने क्षेत्र चित्तूर को एमएसएमई हब के तौर पर विकसित होते देखना चाहते हैं.

नामदेव किरसन, 66 वर्ष, (कांग्रेस)  गढ़चिरौली-चिमूर (अनुसूचित जनजाति), महाराष्ट्र

 नामदेव किरसन

राजनीति में आने के लिए 2008 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने से पहले नामदेव आबकारी विभाग में जिला अधीक्षक के तौर पर कार्यरत थे. और उससे पहले वे नागपुर के एक कॉलेज में प्रोफेसर थे. बहरहाल, विपक्ष के नेता विजय वडेट्टीवार के समर्थन से उन्होंने दो बार के भाजपा सांसद अशोक नेटे के खिलाफ जीत दर्ज की. गांधीवादी विचारों में पीएचडी डिग्रीधारी नामदेव ने 2017 में एमबीए की डिग्री भी हासिल की थी.

—अजय सुकुमारन, रोहित परिहार, धवल एस. कुलकर्णी और अमिताभ श्रीवास्तव 

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