
पहली-पहली बार - कानून के दिग्गज
अभिजीत गंगोपाध्याय, 61 वर्ष, भाजपा, तामलुक, पश्चिम बंगाल
कोलकाता हाई कोर्ट के ये पूर्व न्यायाधीश इस साल चुनाव में 'आ बैल मुझे मार' वाली कहावत चरितार्थ करते दिखे. जस्टिस गंगोपाध्याय के अपने निर्धारित रिटायरमेंट से ठीक कुछ महीने पहले भाजपा में शामिल होने के लिए पद से दिए गए इस्तीफे से न्यायिक नैतिकता पर जबरदस्त बहस छिड़ गई.
अपने विवादित आदेशों, जिनमें बंगाल के नौकरी के बदले पैसा घोटाले की सीबीआई जांच शामिल है, से गंगोपाध्याय ध्रुवीकरण की शख्सियत बन गए. उनकी सराहना के साथ ही आलोचना भी हुई. और उनका चुनाव अभियान भी विवादों से घिरा रहा.
नतीजतन, चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में की गई उनकी 'अनुचित, अविवेकी और अशोभनीय' टिप्पणियों की निंदा की. अतीत में थिएटर समूह 'अमित्र चंदा' के सक्रिय सदस्य रह चुके गंगोपाध्याय को लेकर कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि इस चुनाव अभियान में उनके नाटक छाए रहे.
गोवाल पाडवी, 31 वर्ष, कांग्रेस, नंदुरबार (अनुसूचित जनजाति), महाराष्ट्र

छह बार के विधायक और महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री के.सी. पाडवी के पुत्र राजनीति में अपने चौंकाने वाले प्रवेश से पहले मुंबई हाई कोर्ट में वकालत करते थे. फुटबॉल के इस दीवाने का चुनावी राजनीति का सफर एक्स्ट्रा टाइम में गोल जितना दिलचस्प है और यह लोकसभा चुनाव से कुछ ही दिन पहले शुरू हुआ.
फिर भी राजनीति में नए-नवेले गोवाल ने उत्साह के साथ अभियान चलाया, दूर दराज के मतदाताओं तक पहुंचे. उनकी मेहनत का फल मिला और कांग्रेस ने एक दशक बाद भाजपा की मुट्ठी से नंदुरबार सीट फिर से छीन ली.
कृष्ण प्रसाद तेनेटी, 64 वर्ष, टीडीपी, बापतला (एससी), आंध्र प्रदेश
इस साल एक चौंकाने वाले कदम के तहत 1986 बैच के आईपीएस अधिकारी और पूर्व में तेलंगाना में भाजपा के प्रवक्ता रहे तेनेटी ने आंध्र प्रदेश में टीडीपी में शामिल होने के लिए पार्टी और राज्य बदल लिया.
समृद्ध शैक्षिक पृष्ठभूमि—एनआइटी वारंगल से इंजीनियरिंग डिग्री, आईआईएम अहमदाबाद से एमबीए और उस्मानिया विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री—वाले तेनेटी की जन कल्याण के प्रति वचनबद्धता की काफी तारीफ हुई है. शिक्षा में उनकी दिलचस्पी की वजह से भाजपा ने उन्हें 2023 में एनआईटी जमशेदपुर के बोर्ड का अध्यक्ष नियुक्त किया.
दिनेशभाई मकवाना, 54 वर्ष, भाजपा, अहमदाबाद पश्चिम (अनुसूचित जाति), गुजरात
पेशे से वकील मकवाना करीब चार दशक से अहमदाबाद की स्थानीय राजनीति से लंबे समय से गहरे जुड़े हैं. सोजित्रा के पूर्व विधायक अहमदाबाद शहर के डिप्टी मेयर भी रह चुके हैं. मकवाना मिलनसार और सर्वसुलभ माने जाते हैं जो धैर्य के साथ भाजपा कार्यकर्ता के रूप में काम करते रहे.
भूपेंद्र यादव, 55 वर्ष, भाजपा, अलवर, राजस्थान

सुप्रीम कोर्ट के वकील के रूप में ऐसा लगता है कि यादव ने राजनीति में अपने प्रवेश को सहज बनाने के लिए पर्याप्त जमीनी काम किया है. वे लिब्रहान आयोग, जिसने 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच की और जस्टिस वाधवा आयोग, जिसने ओडिशा में ऑस्ट्रेलियाई मिशनरी ग्राहम स्टेंस की हत्या की जांच की, के लिए सरकारी वकील के रूप में काम किया.
दो बार राज्यसभा सदस्य रहे यादव अब पहली बार लोकसभा के सांसद बने हैं और केंद्रीय मंत्री पिछले दशक के सबसे प्रभावशाली भाजपा नेताओं में से एक हो गए हैं. अपने सांगठनिक कौशल और प्रचार से दूर यादव विभिन्न राज्य विधानसभा चुनावों में पार्टी की चुनावी रणनीतियों के कुशल खिलाड़ी हैं. एक बार फिर से भाजपा ने उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा के आगामी चुनाव की निगरानी का जिम्मा सौंपा है.
सी. रॉबर्ट ब्रूस, 61 वर्ष, कांग्रेस, तिरुनेलवेली, तमिलनाडु
अनुभवी कांग्रेसी और कन्याकुमारी जिले के वकील को आखिर चुनाव लड़ने का मौका मिल ही गया. खास बात यह कि तमिलनाडु से घोषित पार्टी उम्मीदवारों में उनका नाम आखिर में था. उनके नामांकन का महत्व इसलिए भी है कि तिरुनेलवेली में ईसाई नाडर समुदाय के प्रतिनिधित्व की लंबे समय से चली आ रही मांग पूरी हो गई.
आर. सुधा, 46 वर्ष, कांग्रेस, मयिलादुतुरै, तमिलनाडु

तमिलनाडु महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने तब इतिहास बना दिया जब वे मयिलाडुतुरै से जीतने वाली दूसरी महिला बनीं. इस सीट से पार्टी 10 बार जीती है. खास बात यह कि वे राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में शामिल हुईं और कन्याकुमारी से कश्मीर तक पूरा सफर तय किया.
सुकांत कुमार पाणिग्रही, 57 वर्ष, भाजपा, कंधमाल, ओडिशा
पाणिग्रही ने प्रतिष्ठित शिक्षा-उद्यमी और बीजू जनता दल प्रत्याशी अच्युतानंद सामंत को कंधमाल से हरा दिया. इस सीट को नवीन पटनायक की पार्टी अपना किला मानती थी. पाणिग्रही की जीत का काफी कुछ श्रेय इलाके में सक्रिय आरएसएस, विहिप और उनसे जुड़े संगठनों के जमीनी काम को दिया जा सकता है. यह वह इलाका है जो 2008 में सांप्रदायिक दंगों की चपेट में आया जिसके बाद भाजपा और बीजू जनता दल के रास्ते अलग हो गए थे. कृषि में एमएससी और एलएलबी डिग्री धारी पाणिग्रही पेशे से वकील और कृषि शास्त्री हैं.
ए. मणि, 55 वर्ष डीएमके, धर्मपुरी, तमिलनाडु डीएमके ने जब मौजूदा सांसद
डॉक्टर डी.एन.वी. सेंथिलकुमार एस. के बजाए वकील से नेता बने ए. मणि को मैदान में उतारा तो कई लोग चौंक गए क्योंकि वे काफी लोकप्रिय थे. यह लड़ाई तब और भी मुश्किल हो गई जब दिग्गज सौम्या अंबुमणि, पीएमके प्रमुख अंबुमणि रामदास की पत्नी मैदान में उतर गईं, पर डीएमके के वरिष्ठ नेता ने मैदान मार ही लिया.
एस. मुरसोलि, 46 वर्ष, द्रमुक, तंजावुर, तमिलनाडु
इस वकील का अदालत से चुनाव प्रचार अभियान तक का सफर कई रोचक घटनाओं से भरा हुआ है. पार्टी का यह कट्टर वफादार अपने मतदाताओं के साथ कभी कभार बास्केटबॉल खेला करता था. उन्होंने अभियान के अंतिम दो दिन साइकिल के जरिए प्रचार किया. वे यहीं नहीं रुके-एप्रन पहनकर उन्होंने मतदाताओं को गर्म सूप के प्याले पेश किए, न केवल उनका जायका बनाया बल्कि अपने लिए समर्थन भी जुटाया. डीएमडीके के अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ उनकी जीत की बदौलत डीएमके ने इस सीट पर नौ बार जीत के रिकॉर्ड में कांग्रेस की बराबरी कर ली है.
—अर्कमय दत्ता मजूमदार, अमरनाथ के. मेनन, धवल एस. कुलकर्णी, रोहित परिहार और जुमाना शाह