
टेक्नोलॉजी के तेजी से विकसित होते परिदृश्य पर, जहां नई क्रांतिकारी उपलब्धियां उद्योगों और समाज को नए सिरे से गढ़ रही हैं, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी या आईआईटी) नवोन्मेषी दिमागों को पोषित करने और असल दुनिया की चुनौतियों के व्यावहारिक समाधान पेश करने में बेहद अहम भूमिका निभा रहे हैं.
इन प्रतिष्ठित संस्थानों में आईआईटी दिल्ली उत्कृष्टता के प्रकाश स्तंभ के रूप में ऊंचा तनकर खड़ा है. सन् 1961 में इंजीनियरिंग कॉलेज के तौर पर स्थापित आईआईटी दिल्ली को अंडरग्रेजुएट, पोस्टग्रेजुएट और पीएचडी स्तरों की इंजीनियरिंग की पढ़ाई में लगातार निर्विवाद अगुआ के तौर पर आंका गया है.
कैंपस में वातावरण शांत और गंभीर है, जो छात्रों को हर काम में उत्कृष्टता हासिल करने के लिए प्रेरित करने वाला परिवेश प्रदान करता है.
अपनी स्थापना के बाद से आईआईटी दिल्ली ने इंजीनियरिंग, भौतिक विज्ञान, प्रबंधन, मानविकी और सामाजिक विज्ञान समेत विविध अनुशासनों में 60,000 से ज्यादा ग्रेजुएट तैयार किए हैं. इनमें 15,738 छात्रों ने बी.टेक. की डिग्री हासिल की, जो वैश्विक मंच पर स्थायी असर डालने के लिए तैयार इंजीनियरिंग के मेधावी मस्तिष्क गढ़ने के प्रति आइआइटी दिल्ली के दृढ़ समर्पण का प्रमाण है.
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आईआईटी दिल्ली दूसरों से अलग कैसे है
■क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग 2025 की तरफ से दुनिया के शीर्ष 150 विश्वविद्यालयों में शुमार आईआईटी दिल्ली अपने छात्रों में उद्यमशीलता, अनुसंधान, नवाचार और जोखिम लेने की क्षमता को खाद-पानी देने का काम करता है.
■जब इंडस्ट्री से हाथ मिलाकर काम करने की बात आती है, तो वैज्ञानिकों, टेक्नोलॉजिस्ट, उद्यमियों और कारोबार प्रबंधकों से मिलकर बने पूर्व छात्रों के मजबूत वैश्विक नेटवर्क के साथ आइआइटी दिल्ली प्रतिस्पर्धा से हमेशा एक कदम आगे ही रहता है.
■ बीते तीन साल में मंजूर पेटेंट की संख्या के मामले में यह इंजीनियरिंग कॉलेजों में पहले पायदान पर है और पेटेंट से आमदनी के मामले में तीसरे पायदान पर.
■ यह प्रति फैकल्टी सदस्य के हिसाब से छपी पुस्तकों की संख्या के लिहाज से भी शीर्ष पर है.
■ पिछले साल एक छात्र को दिया गया सबसे अधिक वार्षिक वेतन (घरेलू) 1.68 करोड़ रुपए था जो तमाम इंजीनियरिंग कॉलेजों में तीसरा सबसे ज्यादा था.
क्या आप जानते हैं?
■ आईआईटी दिल्ली के सेंटर फॉर एप्लाइड रिसर्च इन इलेक्ट्रॉनिक्स की एक टीम ने नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के साथ मिलकर एक ऐसा उपकरण विकसित किया है जो 6जी कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी से भी अधिक क्षमता की फ्रीक्वेंसी (टेराहर्ट्ज) पर उच्च तीव्रता का रेडिएशन पैदा कर सकता है.
इंजीनियरिंग शिक्षा में नए रुझान
■ प्रोजेक्ट-आधारित अनुभवजन्य शिक्षा: ऐसे इंजीनियरों की जबरदस्त मांग है जो समाधान सामने लाने के लिए गहन टेक्नोलॉजी (ऊंचे दर्जे का प्रौद्योगिकीय नवाचार) का प्रयोग कर सकते हों. उभरती टेक्नोलॉजी का समावेश छात्रों को उस क्षेत्र के भविष्य के घटनाक्रमों और चुनौतियों के लिए तैयार करता है जबकि प्रोजेक्ट-आधारित शिक्षा और असल दुनिया के एप्लीकेशंस शिक्षा को ज्यादा दिलचस्प और असरदार बना देते हैं.
■ अंतरअनुशासनात्मक शिक्षा और सहकार: प्लाक्षा विश्वविद्यालय मोहाली के संस्थापक वाइस-चांसलर प्रोफेसर रुद्र प्रताप का कहना है कि गणित, कंप्यूटिंग और मानविकी की श्रमसाध्य नींव पर निॢमत अंतरअनुशासनात्मक पाठ्यक्रम शोध और अनुसंधान को सहारा देते हैं और दूसरी ओर लगातार विकसित होती दुनिया के लिए टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में संवेदनशील नेतृत्व भी तैयार करते हैं.
■ टिकाऊपन और सामाजिक जिम्मेदारी: जिम्मेदारी के साथ किया जाने वाला नवाचार प्रचलन में आया एक नया शब्द है. देहरादून स्थित स्कूल ऑफ कंप्यूटर साइंस, यूपीईएस की सुगंधा शर्मा कहती हैं, "ऐसा बदलाव आ रहा है जिसमें हम पारंपरिक एकांगी शिक्षा से कहीं ज्यादा एकीकृत और सर्र्वांगीण दृष्टिकोण की तरफ बढ़ रहे हैं जिसमें असल दुनिया की जटिलताओं की झलक मिलती है."
■ सॉफ्ट स्किल्स और प्रोफेशनल डेवलपमेंट पर जोर: ये हुनर ऐसे सर्वांगीण ग्रेजुएट तैयार करने के लिए बेहद जरूरी हैं जो किस्म-किस्म के कार्य वातावरणों में असरदार ढंग से संवाद, सहकार और नेतृत्व कर सकें, इस तरह अंतत: अत्यधिक प्रतिस्पर्धी उद्योग में अपनी रोजगार हासिल करने की क्षमता और सफलता में इजाफा कर सकें.
इंजीनियरिंग की डिग्री के साथ चुनी जा सकने वाली पांच नवाचारी नौकरियां
प्रो. आर. अयोतिरमण, प्रोफेसर-इन-चार्ज, ऑफिस ऑफ करियर चॉइसेज, आईआईटी दिल्ली
■ जेनेरेटिव एआई इंजीनियर: वे परिष्कृत एल्गोरिद्म और मॉडल बनाते हैं जिनके बूते मशीनें सम्मोहक टेक्स्ट और हैरतअंगेज तस्वीरों से लेकर आत्मा को झकझोर देने वाले संगीत तक बहुत सारे किस्म का कंटेंट रच पाती हैं. यह क्षेत्र कंप्यूटर साइंस, गणित और रचनात्मकता के क्षेत्रों को जोड़ता है और मनोरंजन, व्यक्तिगत ढंग से शिक्षा और यहां तक कि फैशन डिजाइन सरीखे उद्योगों में नई जमीन तोड़ने वाली तरक्की को अंजाम देता है.
■ रिन्यूएबल एनर्जी इंजीनियर: कल्पना कीजिए कि आप ऐसी टीम के सदस्य हैं जो नवाचारी किस्म की फ्लोटिंग विंड टर्बाइन डिजाइन करती है या अत्याधुनिक सौर पैनल टेक्नोलॉजी विकसित करती है. ये इंजीनियर सौर, पवन और हाइड्रोइलेक्ट्रिक बिजली सरीखे टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की तरफ जा रही दुनिया में बेहद अहम भूमिका अदा करते हैं, और इस तरह जलवायु परिवर्तन से निबटने में सीधा योगदान देते हैं.
■ रोबोटिक्स इंजीनियर: रोबोटिक्स या रोबोट विज्ञान ने प्राचीन सभ्यताओं के शुरुआती स्वचालित यंत्रों से लेकर अब तक मानव कल्पना को मोहित किया है, और हमेशा विकसित होती तमाम टेक्नोलॉजी के बीच अब भी इसमें अपार संभावनाएं हैं. ये इंजीनियर मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग को एक साथ जोड़कर औद्योगिक स्वचालन से लेकर जटिल शल्य चिकित्सा प्रक्रियाओं तक कई कामों के लिए रोबोट डिजाइन करते और बनाते हैं.
■ साइबर सुरक्षा इंजीनियर: साइबर अपराध की वैश्विक लागत 2025 तक 10.5 खरब डॉलर (876 लाख करोड़ रुपए) तक पहुंच जाने का अनुमान है. यह हमारी ज्यादा से ज्यादा डिजिटल होती जाती दुनिया में साइबर सुरक्षा की हद दर्जे की अहमियत को दर्शाता है. ये इंजीनियर मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करके और तमाम उद्योगों में जानकारियों को सुरक्षित रखकर संवेदनशील डेटा को महफूज रखने में मदद करते हैं.
■ ब्लॉकचेन इंजीनियर: वे सुरक्षित और पारदर्शी लेन-देन के लिए ब्लॉकचेन आधारित समाधान (उन्नत डेटाबेस तंत्र) विकसित करते हैं, जो वित्त और आपूर्ति शृंखला प्रबंधन सरीखे उद्योगों में क्रांतिकारी बदलावों का सूत्रपात करते हैं.
गुरु वाणी
"हम अपने पाठ्यक्रम और शोध को समाज की जरूरतों के हिसाब से प्रासंगिक बनाए रखने पर ध्यान देते हैं. छात्रों और फैकल्टी को हम अपने विचारों और सूझ पर काम करने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. हमारा मानना है कि बदलते माहौल में नए पाठ्यक्रम शुरू करके और मौजूदा पेशकशों में बदलाव करके खुद को नए सिरे से गढ़ते रहना चाहिए."
—प्रो. रंगन बनर्जी, डायरेक्टर, आईआईटी दिल्ली
पूर्व छात्र की राय
"आईआईटी दिल्ली ने मुझे कंफर्ट जोन से बाहर निकाला जबकि पाठ्यक्रम ने मेरी शैक्षणिक प्रगति को बढ़ावा दिया. यहां की विविधतापूर्ण कैंपस लाइफ और शैक्षणेतर गतिविधियों से मेरी पर्सनल ग्रोथ के साथ नेतृतव क्षमता में वृद्धि हुई."
—मयंक कुमार, को-फाउंडर और मैनेजिंग डायरेक्टर, अपग्रेड बीटेक (मैकेनिकल इंजीनियरिंग), 2005 बैच.
स्टोरी - शैली आनंद
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