पिछले 10 साल में मोदी सरकार ने खेती की कई बाधाएं दूर करने के लिए अच्छा काम किया है. लेकिन साथ ही उसे खेत से बाजार तक पहुंचाने की दिशा में सुधारों के लिए जूझना भी पड़ा है. 2020 में तीन नए कृषि कानूनों के साथ केंद्र ने इस क्षेत्र को उद्योग के धन के साथ खोलने की कोशिश की लेकिन 2020/21 में किसान संगठनों के विरोध के बाद ये कानून मुश्किलों में फंस गए.
उसके बाद सरकार ने राह बदली और खेतों के बुनियादी ढांचे को मजबूत बनाने के लिए सहकारी क्षेत्र में जान डालने की कोशिश की—जिससे कि किसानों को क्षमता निर्माण और भंडारण सुविधा में मदद मिल सके और कीमतों पर उनका नियंत्रण हो.
चौहान के बारे में मशहूर है कि वे 'बंद कमरे में' काम नहीं करते. वे मिलना, विचार-विमर्श करना, समझना और सार्वजनिक नीति को बेहतर बनाने में यकीन करते हैं और जैसा कि एक सूत्र ने कहा, नीति को मानवीय स्वरूप देते हैं. बतौर कृषि मंत्री, उम्मीद है कि राज्यों को साथ लेने से उनको काम में मदद मिलेगी और आगे के सुधारों में दिक्कत न हो, यह सुनिश्चित हो सकेगा.
क्या किया जाना चाहिए
ज्यादा कीमत के लिए व्यवस्था तैयार करना
राज्यों के साथ काम करके ऐसी व्यवस्था बनाना कि जिससे किसानों को उपज की सबसे अच्छी कीमत मिले, साथ ही कृषि उपज मंडी समिति अधिनियम (एपीएमसी) में सुधार सुनिश्चित हों
ई-नाम
सरकार के 176 कृषि जिंसों के ऑनलाइन कारोबारी प्लेटफॉर्म राष्ट्रीय कृषि बाजार या ई-नाम तक पहुंच बढ़ाने की जरूरत. साथ ही, वेयरहाउस आधारित जिंस कारोबार की ई-रसीद की मान्यता के लिए वित्तीय संस्थानों को प्रोत्साहित करना
जीएम फसलें
भारत में जीएम फसलों के इस्तेमाल पर सहमति बनाने की जरूरत
न्यूनतम समर्थन मूल्य
उत्तरी भारत में किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के लिए कानूनी व्यवस्था बनाने की मांग कर रहे हैं. एक ही तरह की फसल लगाने से खेत खराब हो गए हैं और इस क्षेत्र में फसलों में विविधता जरूरी हो गई है. इस मामले में किसानों को समझाने की जरूरत है.
शिवराज सिंह चौहान, 65 वर्ष, भाजपा, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री
रामनाथ ठाकुर, राज्यमंत्री, 74 वर्षः जनता दल (यू)
पुत्र को जिम्मा
भारत रत्न से सम्मानित और बिहार के दिवंगत मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर उनके पिता हैं. अतीत में वे नीतीश कुमार और उनके प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद यादव के मंत्रिमंडल में रह चुके हैं.
भागीरथ चौधरी, राज्यमंत्री, 70 वर्षः भाजपा
बदला भाग्य
छह महीने पहले कई लोगों ने राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद चौधरी को खारिज मान लिया था लेकिन अजमेर लोकसभा सीट की जीत ने उनका भाग्य फिर से संवार दिया है.
शिवराज का शुरुआती जीवन
चौहान 13 वर्ष की उम्र में आरएसएस से जुड़े और फिर सहयोगी संगठन एबीवीपी में काम करते हुए भाजपा की युवा शाखा भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रमुख बने और इमरजेंसी के दौरान थोड़े समय के लिए जेल भी गए.
राजनीतिक सफर
फिलॉसफी में एमए (गोल्ड मेडलिस्ट) चौहान 90 के दशक की शुरुआत में विधानसभा में पहुंचे और फिर लोकसभा में. विदिशा से बतौर सांसद करीब डेढ़ दशक के बाद चौहान को 2005 में मध्य प्रदेश का मुख्यमंत्री नियुक्त किया गया. भाजपा के सबसे प्रभावशाली मुख्यमंत्रियों में से एक चौहान को 2014 में मोदी का प्रतिस्पर्धी माना जाता था.
मौजूदा भूमिका
मध्य प्रदेश को तीन प्रमुख कृषि राज्यों में बदलने का चौहान का अनुभव उनके लिए मददगार होगा. अगर, उनका केंद्रीय मंत्री का कार्यकाल अच्छा रहा तो वे मोदी बाद के दौर में उत्तराधिकारियों की कतार में भी हो सकते हैं
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ग्रामीण विकास
गांवों को 'मामा' से उम्मीदें
ग्रामीण क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है जहां बहुआयामी गरीबी घट रही है लेकिन महत्वाकांक्षा बढ़ने के साथ ही वहां काफी कुछ करने की जरूरत है
- अमरनाथ के. मेनन
मंत्रालय के दायरे में गरीबी उन्मूलन, जीविका के अवसर बढ़ाना और सामाजिक सुरक्षा ढांचा उपलब्ध कराना शामिल है. पैसा कोई मसला नहीं है—2024-25 के लिए बजट आवंटन 1.85 लाख करोड़ रुपए है. ग्रामीण क्षेत्र बदलाव के दौर से गुजर रहा है जहां विभिन्न आयामी गरीबी में कमी आई है.
2023 में नीति आयोग की ओर से जारी नेशनल मल्टी डाइमेंशनल पॉवर्टी इंडेक्स में दावा है कि 2015-16 और 2019 से 21 के बीच 24.8 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं.
गांव में, हालांकि विकास के संकेत दिखते हैं मगर चिंताएं भी उभरी हैं. महत्वाकांक्षी युवाओं का रोजगार की तलाश में शहरी और अर्ध शहरी इलाकों के लिए पलायन, शराब और नशाखोरी की आदत में इजाफा और स्वच्छ भारत मिशन की पहलों के बावजूद साफ-सफाई और स्वच्छता की कमी बरकरार रहना, अहम चिंताएं हैं.
क्या किया जाना चाहिए
ई-गवर्नेंस
ग्रामीण क्षेत्र को डिजिटाइज करने के उपायों पर अमल और स्थानीय ई-गवर्नेंस को बढ़ावा देने की जरूरत है जिससे कि 6.50 लाख गांवों और 80 करोड़ से अधिक की आबादी आत्मनिर्भर हो सके.
महिला स्वयं सहायता समूह
स्वयं सहायता समूहों में महिलाओं को प्रशिक्षित करने और सालाना कम से कम 1 लाख रुपए की निरंतर आय सृजन में मदद के लिए लाडली बहना योजना को बढ़ावा देने की जरूरत. स्वयं सहायता समूह को सूक्ष्म ऋण के केंद्र के रुप में जारी रखने के बजाय बिजनेस इकाई बनने में मदद करना.
ग्रामीण जीविका
राष्ट्रीय ग्रामीण जीविका मिशन के लिए फंडिंग बढ़ाने की जरूरत ताकि जीविका संबंधी चुनौतियों को दूर किया जा सके.
शिवराज सिंह चौहान, केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री
पेम्मासानी चंद्र शेखर, 48 वर्षः टीडीपी, राज्यमंत्री
गुंटूर के सांसद; संचार राज्यमंत्री भी
कमलेश पासवान, 47 वर्षः भाजपा, राज्यमंत्री
बांसगांव यूपी से चार बार के सांसद.