बंदरगाह, नौवहन और जल मार्ग मंत्रालय देश के घरेलू और विदेश व्यापार तथा वाणिज्य को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. मात्रा के लिहाज से विदेश को भारत के व्यापार का करीब 95 फीसद इसके बंदरगाहों के जरिए होता है. फिर भी, वैश्विक डेडवेट टनेज (जहाज का कुल वजन, जिसमें रखे गए ईंधन-पानी समेत सभी सामान के साथ खुद उसका भी वजन शामिल) में भारत का हिस्सा 10 फीसदी से महज थोड़ा ही अधिक है.
सरकार सागरमाला कार्यक्रम के जरिए इसे बढ़ाने की कोशिश कर रही है. इसके लिए वह 75,000 किलोमीटर लंबे सागर तटों और 14,500 किलोमीटर के संभावित नदी परिवहन और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय सामुद्रिक व्यापार मार्ग पर रणनीतिक स्थिति का लाभ उठाने का प्रयास कर रही है. नतीजे दिख भी रहे हैं - अंतरराष्ट्रीय शिपमेंट श्रेणी में भारत 2014 में 44वें स्थान पर था जो अब 22वां हो गया है.
मंत्रालय के महत्व का तथ्य इसी बात से समझा जा सकता है कि सात चरणों के लोकसभा चुनाव के बीच में ही मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ईरान के चाबहार बंदरगाह गए और भारत-ईरान की महत्वपूर्ण परियोजना-दीर्घावधि मुख्य समझौते (लांग टर्म मेन कॉन्ट्रेक्ट) के हस्ताक्षर समारोह में शामिल हुए. यूक्रेन और पश्चिम एशिया में जारी लड़ाइयों के बीच यह परियोजना भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया के देशों से जोड़ने के लिए व्यापार मार्ग के रूप में काम करेगी.
क्या किया जाना चाहिए
बुनियादी ढांचा उन्नत बनाना - भारतीय बंदरगाहों पर कंटेनर रुकने की औसत अवधि और फेरा पूरा कर लौटने की अवधि अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जर्मनी जैसे कई विकसित देशों से बेहतर है, फिर भी मौजूदा ढांचे को तुरंत उन्नत बनाने की जरूरत है.
स्थानीय निर्माण - पुराने वाणिज्यिक बेड़े को हटाने के लिए स्थानीय जहाज निर्माण तंत्र को तुरंत बढ़ावा देने की दरकार.
अंतर्देशीय जलमार्ग - ज्यादा बोझ वाले रेलवे और भीड़भाड़ वाली सड़कों के पूरक के रूप में अंतर्देशीय जलमार्ग पर ज्यादा ध्यान देने की आवश्यकता है.
हरित पहल - पोतों के लिए वैकल्पिक ईंधन तकनीकों का इस्तेमाल, जैसा कि ग्रीन पोर्ट गाइडलाइंस 2023 में बताया गया है, शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्राथमिकता होनी चाहिए.
किनके सर है जिम्मेदारी?
सर्बानंद सोनोवाल, 61 वर्षः भाजपा
पत्तन, पोत परिवहन और जल मार्ग मंत्री
प्रारंभिक जीवन - असम के डिब्रूगढ़ जिले में जन्मे सोनोवाल के पास कानून और जनसंचार की डिग्री है.
राजनैतिक सफर - उन्होंने अवैध प्रवासी (पंचाटों द्वारा निर्धारित) अधिनियम 1983 से असम को छुटकारा दिलाने के लिए अकेले कानूनी लड़ाई लड़ी, जिसने उन्हें जातीय नायक (असम के हीरो) बना दिया. वे राज्य में भाजपा के पहले मुख्यमंत्री थे. 2021 से उनके पास यह विभाग रहना दर्शाता है कि प्रधानमंत्री का उनके काम पर भरोसा है.
योग प्रेमी पूर्व बॉडी बिल्डर और क्रिकेटर, अविवाहित मंत्री रोजाना योगाभ्यास करते हैं
राज्यमंत्री
शांतनु ठाकुर, 41 वर्षः भाजपा
समुदाय की ताकत बंगाल के पूर्व मंत्री मंजुल कृष्ण ठाकुर के पुत्र राजनैतिक रूप से ताकतवर मतुआ दलित (अनुसूचित जाति) समुदाय के हैं. उन्हें पहली बार 2021 में मोदी मंत्रिमंडल में शामिल किया गया और उनके पास यही विभाग बरकरार है. 2019 में वे ऐसे गैर तृणमूल नेता बने जो बनगांव से निर्वाचित हुए.