
सरकार के सबसे बड़े मंत्रालयों में शुमार भारतीय रेलवे पर यह दोहरी जिम्मेदारी है कि मौजूदा जरूरतों के मद्देनजर उन्नत तकनीक अपनाने और अपनी क्षमताएं बढ़ाने के साथ लोगों को सस्ती यात्री सुविधाएं कैसे उपलब्ध कराई जा सकती हैं, जो हमेशा से इसकी प्राथमिकता रही है. क्षमता विस्तार का सीधा संबंध ट्रेनों में बढ़ती भीड़, हादसे और समय पर कन्फर्म टिकट न मिलने जैसे समस्याओं से है जो हमेशा बरकरार रहती हैं.
सस्ती यात्री सुविधाओं वाला दूसरा फैक्टर सरकार की जनता के प्रति जिम्मेदारी से जुड़ा हुआ है. इसके अलावा देशभर में माल ढुलाई में अपनी हिस्सेदारी भी बढ़ानी होगी, जो सड़क परिवहन की तुलना में अधिक किफायती, तेज और 'हरित' साधन है. रेलवे 50,000 करोड़ रुपए प्रति वर्ष से ज्यादा के बढ़ते पेंशन बिल के कारण भी दबाव में है, जिसने इसकी वित्तीय सेहत को काफी हद तक बिगाड़ रखा है.
क्या किया जाना चाहिए
- क्षमता वृद्धि क्षमता बढ़ाने के लिए मल्टी-ट्रैकिंग सिंगल और पटरियों के दोहरीकरण पर ध्यान केंद्रित करना जारी रखना होगा. भारत ने पिछले एक दशक में रोजाना 7.8 किलोमीटर की गति से नई पटरियां बिछाने की क्षमता हासिल की है. दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा जैसे प्रमुख कॉरिडोर 160 किलोमीटर प्रति घंटे की गति तक के लिए अपग्रेड किए जा रहे हैं. पूर्वी और पश्चिमी डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर के इसी वर्ष चालू होने की उम्मीद है जिससे माल ढुलाई में लगने वाला समय 40 फीसद तक घट जाएगा. 94 फीसद विद्युतीकरण पूरा होने के साथ वर्ष के अंत तक इसे 100 फीसद पर पहुंचाने का लक्ष्य है.
- सुरक्षा सर्वोपरि सुधार की दिशा में कई अहम कदम उठाए जाने के बावजूद सुरक्षा अब भी एक बड़ी चुनौती है. 2023-24 में बालेश्वर (ओडिशा), रघुनाथपुर (बिहार) और विजयनगरम (आंध्र प्रदेश) में ट्रेनों की भिड़ंत और बेपटरी होने जैसे कई हादसे हुए, जिसमें टाली जा सकने वाली मानवीय त्रुटियों के कारण अनेक यात्रियों को अपनी जान गंवानी पड़ी. ऐसे में जरूरी है कि सरकार सुरक्षा को सर्वोपरि रखकर मानवीय त्रुटियों की गुंजाइश घटाने वाले तकनीकी समाधानों पर गंभीरता से विचार करे. हादसे 60 फीसद तक घटाने के लिए इसे ईटीसीएस स्तर-2 आधारित कवच प्रणाली जैसे उन्नत सिग्नलिंग सिस्टम पर जोर देना होगा. साथ ही इंसानी निगरानी भी जरूरी है.
- दक्षता बढ़ाने पर काम रखरखाव के डिजिटल और मशीनीकृत समाधानों पर जोर देने पर ही वंदे भारत एक्सप्रेस और प्रस्तावित वंदे मेट्रो ट्रेनों आदि का कुशल संचालन सुनिश्चित हो पाएगा. इसके लिए दक्षता बढ़ाना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण होगा क्योंकि तभी यात्री ट्रेनों के लिए अतिरिक्त मार्ग खुल सकेंगे और गति और दक्षता में सुधार होगा. वंदे भारत के स्लीपर संस्करण अभी पटरी पर नहीं आ पाए हैं. अमृत भारत ब्रांडिंग के तहत चिह्नित 1,300 से ज्यादा रेलवे स्टेशनों का आधुनिकीकरण भी एक महत्वपूर्ण कार्य होगा.
- राजस्व के नए स्रोत माल ढुलाई के मोर्चे पर विविधता लाना और कोयले पर रेलवे की निर्भरता धीरे-धीरे घटाना सबसे ज्यादा जरूरी है, क्योंकि यही इसका सबसे बड़ा स्रोत है. व्हाइट गुड्स (घरेलू उपभोक्ता उत्पाद) और गैर-परंपरागत वस्तुओं का परिवहन और दूरदराज के क्षेत्रों तक माल पहुंचाने की क्षमता बढ़ाने जैसे रेलवे के प्रयोग पूर्व में काफी उत्साहजनक नतीजे देने वाले साबित हुए हैं.
- बुलेट ट्रेन मोदी सरकार के इस कार्यकाल में मुंबई-अहमदाबाद के बीच देश का पहला बुलेट ट्रेन कॉरिडोर शुरू हो सकता है. सरकार का लक्ष्य अगले कुछ वर्षों में एक खंड को शुरू करने का है. जापानी कंपनियों के साथ बातचीत पूरी तरह किसी नतीजे पर न पहुंच पाने के कारण यह परियोजना अभी अधर में ही अटकी है. इसलिए इसे समय पर पूरा करना चुनौतीपूर्ण होगा. रेलवे अपनी खुद की 'बुलेट ट्रेन' बनाने पर भी विचार कर रहा है जो वंदे भारत प्लेटफॉर्म पर आधारित होगी और लगभग 250 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ सकती है. रेलवे को अपनी इन सभी परियोजनाओं पर खास ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी
किनके सर है जिम्मेदारी?
अश्विनी वैष्णव, 53 वर्ष भाजपा, रेल मंत्री
> सिविल सेवा इस सेवा में कदम रखने से पहले वैष्णव ने जोधपुर में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, फिर एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज से इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार में गोल्ड मेडल के साथ स्नातक किया. आइआइटी कानपुर से एम.टेक के बाद 1994 में आइएएस अफसर बने. इसके बाद व्हार्टन स्कूल से एमबीए किया और 2010 में सिविल सेवा छोड़कर निजी क्षेत्र में आ गए
> सियासी राह वैष्णव ने सबसे पहले अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल के दौरान पीएमओ में काम किया था. 2021 में पीएम मोदी ने उन्हें रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी और संचार जैसे प्रमुख मंत्रालयों की जिम्मेदारी के साथ मंत्री पद सौंपा. 2019 से वे ओडिशा से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं
> बढ़ता रसूख इसी का ही नतीजा है कि वैष्णव को अब रेलवे, इलेक्ट्रॉनिक्स और आइटी के साथ सूचना एवं प्रसारण जैसा एक और महत्वपूर्ण विभाग मिला है. यह मोदी सरकार में उनके बढ़ते कद का ही संकेत है
रवनीत सिंह, 48 वर्ष भाजपा
> पंजाब से एकमात्र मंत्री पंजाब के पूर्व सीएम बेअंत सिंह के पोते लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए और लुधियाना से चुनाव हार गए

वी. सोमन्ना, 73 वर्ष भाजपा
> तुमकुरु से पहले केंद्रीय मंत्री, वीरशैव-लिंगायत नेता और तुमकुरु से पहली बार लोकसभा सांसद बने ये नेता कर्नाटक में मंत्री रह चुके हैं. उनकी जड़ें जनता दल और कांग्रेस से जुड़ी हैं.
- अभिषेक जी. दस्तीदार