कोयला भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण जीवाश्म ईंधन है जिससे देश की आधी से अधिक ऊर्जा जरूरतें पूरी होती हैं. विश्व में कोयला भंडारों के मामले में पांचवां स्थान होने के बावजूद घरेलू उत्पादन - जो वित्त वर्ष 22 में 77.5 करोड़ टन रहा - बढ़ती मांग के आगे कम पड़ जाता है.
असल में श्रम आधारित काम करने के तरीकों पर निर्भरता और तकनीकी विकास की कमी के कारण इस क्षेत्र को भारी-भरकम चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. इस कारण भारत की करीब 20 फीसदी कोयला मांग ऊंची लागत पर आयात के जरिए पूरी होती है जिससे उद्योग को कई बाधाओं से दो-चार होना पड़ता है.
अब जबकि भारत स्वच्छ और अक्षय ऊर्जा के स्रोतों की तरफ कदम बढ़ा रहा है तो कोयले पर निर्भरता घटाने के लिए नीतिगत उपाय किए जा रहे हैं. खनन क्षेत्र 'पर्यावरण, सामाजिक और शासन’ (ईएसजी) जैसे टिकाऊ खनन मानदंडों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है. हालांकि कोयले के सरकारी उपक्रम अक्सर इन कठिन जरूरतों को लागू करने में जूझते हैं. इस कारण मंत्रालय की भूमिका और निजी भागीदारी और ज्यादा अहम हो गई है.
क्या किया जाना चाहिए
खनन उत्पादकता में वृद्धि - आयात पर निर्भरता घटाने के लिए कोयला खनन उत्पादकता में वृद्धि महत्वपूर्ण है जिसके लिए डिजिटाइजेशन और परिचालन में ऑटोमेशन शुरू करना होगा. मात्रा और प्रतिस्पर्धा दोनों को बढ़ाने पर ध्यान देने की जरूरत है.
निजी साथ - 2020 में एक शुरुआत हुई थी. कोयला खनन को निजी कंपनियों के लिए फिर से खोलने से टेक्नोलॉजी में निवेश बढ़ सकता है जिससे घरेलू उत्पादकता में इजाफा हो सकता है.
स्पष्ट रोडमैप - पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं बढऩे से कोयले के उपयोग में विविधता जरूरी हो गई है. भारत के राष्ट्रीय कोल गैसीफिकेशन मिशन का लक्ष्य 2030 तक 100 टन का कोल गैसीफिकेशन हासिल करना है जिस पर निवेश के लिए विस्तृत रोडमैप को प्राथमिकता दी जानी चाहिए.
किसके सर है जिम्मेदारी?
जी. किशन रेड्डी, 64 वर्षः भाजपा
कोयला और खनन मंत्री
पहली पीढ़ी के राजनेता - कृषक परिवार में जन्मे रेड्डी तेलंगाना इकाई के प्रमुख बनने से पहले अविभाजित आंध्र भाजपा के अध्यक्ष थे. 2023 से तेलंगाना के प्रमुख हैं.
दूसरी बार - सिकंदराबाद से 2019 से दूसरी बार के सांसद रेड्डी ने मोदी 2.0 में पर्यटन और संस्कृति सहित कई विभागों का जिम्मा संभाला है.
राज्यमंत्री
सतीश चंद्र दुबे, 59 वर्षः भाजपा
पहली बार मोदी मंत्रिमंडल में - बिहार से राज्यसभा सांसद भाजपा नेता ने इससे पहले लोकसभा में (2014-19) में वाल्मीकि नगर सीट का प्रतिनिधित्व किया.