इस वित्त वर्ष की शुरुआत धीमी रही. भारत का वस्तु निर्यात अप्रैल में पिछले साल के इसी महीने की तुलना में महज एक फीसद-करीब 35 अरब डॉलर (2.92 लाख करोड़ रुपए) बढ़ा. रूस-यूक्रेन के बीच जारी जंग के साथ-साथ लाल सागर संकट और इज्राएल-हमास संघर्ष जैसे अन्य राजनैतिक तनावों ने भारतीय निर्यातकों के लिए अंतरराष्ट्रीय व्यापार परिदृश्य को काफी ज्यादा मुश्किल बना दिया है.
इस सब के बावजूद कारोबारियों को उम्मीद है कि यूरोपियन यूनियन, यूके, पश्चिम एशिया और अमेरिका में मांग में सुधार के साथ निर्यात के बेहतर वृद्धि आंकड़े मिलने लगेंगे. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशंस (एफआइईओ) का दावा है कि इन क्षेत्रों से ऑर्डर की बुकिंग 10 फीसद अधिक है जो लेदर और चमड़ा उत्पादों, फुटवियर और परिधान सहित श्रम बहुल क्षेत्रों के लिए सुधार का संकेत है.
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका और चीन के बीच शुल्क की लड़ाई भी भारतीय निर्यात क्षेत्र के लिए नए अवसर खोल सकती है. बहरहाल, वाणिज्यिक निर्यात बढ़ाने की सख्त जरूरत है. भारत का कुल निर्यात पिछले साल के 776.3 अरब डॉलर (64.85 लाख करोड़ रुपए) से मामूली बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 778 अरब डॉलर (64.99 लाख करोड़ रुपए) हो गया.
लेकिन इसमें वाणिज्यिक निर्यात, जिसका बड़ा हिस्सा होता है, में करीब तीन फीसद की गिरावट आई और यह 451 अरब डॉलर (37.63 लाख करोड़ रुपए) से घटकर 437 अरब डॉलर (36.46 लाख करोड़ रुपये) रह गया. इसकी तुलना में सेवाओं के निर्यात ने बेहतर किया जो करीब 5 फीसद बढ़ा और निर्यात में वृद्धि के वाहक के रूप में काम किया.
वर्ष 2030 तक 1 अरब डॉलर के लक्ष्य के हिसाब से वस्तु निर्यात को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक रोडमैप बनाए जाने की उम्मीद है जिसमें इस बड़ी चिंता से निपटने की रणनीति होगी. अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्र जिन पर ध्यान देने की जरूरत है वह है ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए). इस समझौते को लेकर बातचीत इस साल पूरी हो चुकी है.
यूनाइटेड किंगडम (यूके) के साथ एफटीए पर हस्ताक्षर में देर हो सकती है क्योंकि वहां जुलाई में चुनाव हो रहे हैं. यूरोपीय संघ और पेरू के साथ भी इसी तरह के समझौतों के लिए बातचीत जारी रह सकती है जबकि दक्षिण अफ्रीका कस्टक्वस यूनियन (एसएसीयू), चिली और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के साथ अगले कुछ महीनों में बातचीत होनी है.
विशेषज्ञ की राय
अजय सहाय
डायरेक्टर जनरल-सीईओ, फेडरेशन
ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन
"लाल सागर संकट और वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच कमोडिटी और मालभाड़े के महंगे होने से निर्यातकों में कर्ज की मांग बढ़ी है. मंत्रालय को इस ओर ध्यान देना चाहिए"
किनके सर है जिम्मेदारी?
पीयूष गोयल, 59 वर्षः भाजपा
वाणिज्य और उद्योग मंत्री
लोकप्रिय जनादेश - पूर्व निवेश बैंकर इस बार पहली दफा लोकसभा चुनाव में उतरे और मुंबई नॉर्थ से 3,50,000 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की. वे वर्ष 2021 से राज्यसभा में भाजपा के सदन में नेता थे.
काबिल प्रशासक - पिछली दो सरकार में गोयल ने कई मंत्रालयों में काम किया लेकिन यह वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ही था जिससे वे आगे आए. अपने मिलनसार स्वभाव के लिए मशहूर गोयल ने वित्त वर्ष 24 में निर्यात को रिकॉर्ड 778 अरब डॉलर तक पहुंचाने और इस साल यूरोपियन फ्री ट्रेड एसोसिएशन के साथ ऐतिहासिक समझौते पर हस्ताक्षर के काम को अंजाम दिया.
राज्यमंत्री
जितिन प्रसाद,
50 वर्षः भाजपा
इस पूर्व कांग्रेसी ने उत्तर प्रदेश की पीलीभीत सीट जीती है और 10 साल बाद केंद्र सरकार में मंत्री के रूप में लौटे हैं
क्या किया जाना चाहिए
धन की तंगी से निबटना - ऐसे चुनौती पूर्ण माहौल में निर्यातकों के लिए ऋण का प्रवाह और कर्ज की लागत दोनों तरह की समस्याओं को हल करना होगा. वैश्विक मंदी और भू-राजनीतिक तनावों की वजह से कमोडिटी की कीमतों और मालभाड़े में बढ़ोतरी हुई है, वहीं ग्राहक भी भुगतान के लिए ज्यादा समय ले रहे हैं. निर्यातकों को ज्यादा राशि के कर्ज की जरूरत है और वह भी लंबी अवधि के लिए.
ब्याज राहत का विस्तार - ऐसे समय में जब भारत में ब्याज दरें प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में काफी ज्यादा हैं तो पात्र कारोबारों को सस्ती दरों पर ऋण मुहैया कराना भारतीय निर्यात की लागत बाधा दूर करने के सबसे कारगर तरीकों में से एक है. जब समूची ब्याज दरें नीचे आईं तो केंद्र ने भी निर्यातकों के लिए ब्याज राहत (सहायता) घटा दीं. अब रेपो दरें बढ़कर 6.5 फीसद हो गई हैं तो राहत दरों को भी पुराने स्तर पर लाया जाना चाहिए—एमएसएमई के लिए 5 फीसद और श्रम बहुल क्षेत्र के लिए 3 प्रतिशत-ताकि निर्यातक लंबी अवधि के सौदे कर सकें.
बेहतर मार्केटिंग की सुविधा - छोटे और मझोले उद्योगों के पास इतनी धन राशि नहीं है कि वे खुद को वैश्विक रूप से प्रदर्शित कर सकें. कुल मार्केटिंग सहायता कोष अभी मामूली सा 200 करोड़ रुपए है जो कारोबारों की मांग के अनुसार कुल निर्यात के 0.5 प्रतिशत के आसपास कहीं भी नहीं है. करीब 800 अरब डॉलर (66.83 लाख करोड़ रुपए) के निर्यात के लिए मार्केटिंग की खातिर से 4 अरब डॉलर (33,400 करोड़ रुपए) बिल्कुल अलग रखने होंगे.
व्यापार संपर्क - जनवरी में पीयूष गोयल ने भारतीय निर्यातकों को अंतरराष्ट्रीय खरीदारों से जोड़ने में मदद के लिए एक ई-प्लेटफार्म पर काम करने की पहल की घोषणा की थी. स्वागत योग्य कदम है, ट्रेड कनेक्ट प्लेटफॉर्म जल्द ही शुरू किया जाना चाहिए.
एफटीए को अंतिम रूप - मोदी 3.0 के पहले 100 दिनों में उम्मीद है कि भारत ओमान के साथ मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर कर सकता है. यूके, पेरू और रूसी नेतृत्व वाले यूरेशिया यूरोपीय संघ सहित अन्य एफटीए पर भी जल्द काम करने की आवश्यकता है. इनमें आखिरी वाला एफटीए भारत को सोवियत संघ के बिखरने के बाद की अर्थव्यवस्था वाले पांच संसाधन संपन्न अर्थव्यवस्थाओं के बाजार तक पहुंच दिलाएगा.