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मोदी 3.0 में एमएसएमई सेक्टर को उठाने के लिए जीतन राम मांझी को करना होगा जबरदस्त प्रयास

सरकारी और निजी उद्यमों के लचर रवैये की वजह से देर से भुगतान इस सेक्टर के लिए शाप है जिसके कारण पूंजी जुटाने और कारोबार बढ़ाने में ज्यादा दिक्कत हो रही है

जीतराम मांझी
जीतनराम मांझी
अपडेटेड 28 जून , 2024

भारत के 6.3 करोड़ सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्यम (एमएसएमई) देश के जीडीपी में (29 फीसदी) और निर्यात (44 फीसदी) में अच्छा-खासा योगदान देते हैं और विकसित भारत के सफर के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं. हालांकि, 2016 में नोटबंदी के बाद से ही इन कारोबारों को लगातार मुसीबतों का सामना करना पड़ा है.

कोविड-19 महामारी और फिर रूस-यूक्रेन युद्ध, इज्राएल-हमास संघर्ष और लाल सागर संकट जैसी भू-राजनैतिक उठापटक से इन कारोबारों पर बंदी, आपूर्ति शृंखला में व्यवधान, लॉजिस्टिक लागत में इजाफा और कच्चे माल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव जैसे कई सारे संकटों की मार पड़ी है. नतीजा यह है कि कई एमएसएमई को अपनी इन्वेंटरी (भंडार का माल) खराब होने और बिक्री खत्म हो जाने के कारण नुन्न्सान का सामना करना पड़ा.

फेडरेशन ऑफ इंडियन एमएसएमई के महासचिव अनिल भारद्वाज कहते हैं, "आज के वैश्विक माहौल में छोटे कारोबारों पर वैश्विक घटनाक्रमों के असर को लेकर सरकारी संस्थानों को कदम उठाने चाहिए." लिहाजा, मांझी के मंत्रालय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे बड़े पैमाने पर भारत के एमएसएमई क्षेत्र को संकट से उबारने की योजना तैयार करें.

क्या किया जाना चाहिए

समय पर भुगतान - सरकारी और निजी उद्यमों के लचर रवैये की वजह से देर से भुगतान इस सेक्टर के लिए शाप है जिसके कारण पूंजी जुटाने और कारोबार बढ़ाने में ज्यादा दिक्कत हो रही है. सुधारों को मध्यस्थता (आर्बिट्रेशन) की रक्रतार तेज करने पर केंद्रित किया जाना चाहिए.

समर्थन की व्यवस्था - मुसीबतों के दौरान तुरंत मदद के लिए एक समर्पित संकट सहायता व्यवस्था स्थापित की जानी चाहिए. इसमें आपात अनुदान, निर्यात की तुरंत मंजूरियां, लॉजिस्टिक सपोर्ट और वाणिज्य दूतावासों की सहायता को शामिल किया जा सकता है.

पूरब की ओर - मौजूदा नीतियां पश्चिम पर बहुत ज्यादा केंद्रित हैं. वैश्विक जीडीपी में एशिया का हिस्सा 60 फीसदी पहुंचने के अनुमान के कारण व्यापार प्रोत्साहन प्रयासों की दिशा इस क्षेत्र की तरफ मोड़ना महत्वपूर्ण है.

पुनर्गठन - महामारी और युद्ध से प्रभावित एमएसएमई को उदार पुनर्गठन विकल्प दिया जाना चाहिए. इस समय अगर कोई एमएसएमई जिसने 5 करोड़ रुपए ले रखे हैं, अगर वह समय पर अपनी किस्त का भुगतान नहीं कर पाता है तो उसको हाशिये पर खड़ा कर दिया जाता है जिससे वित्तीय सेवाओं तक उनकी पहुंच प्रभावित होती है

किसके सर है जिम्मेदारी?

जीतन राम मांझी, 79 वर्ष  7 हम (एस) सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्री

मोदी 3.0 में पूर्व मुख्यमंत्री सबसे बुजुर्ग मंत्री - मांझी ने 2014-15 में नौ महीने तक बिहार के मुख्यमंत्री के रुप में काम किया. हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) के संस्थापक मांझी अपनी जन्मस्थली गया से निर्वाचित हुए हैं.

दलित नायक - दलित समुदाय के हमेशा पैरोकार मांझी 1944 में कृषि मजदूर माता-पिता के घर जन्मे और मगध विश्वविद्यालय से पढ़ाई की, कई राजनैतिक दलों से जुड़े रहे जिनमें कांग्रेस (1980-90), जनता दल (1990- 96), राष्ट्रीय जनता दल (1996-2005) और जनता दल (यू) (2005-15) शामिल हैं.

राज्यमंत्री
शोभा करंदलाजे, 57 वर्षः भाजपा

तीन बार की सांसद - बेंगलूरू नॉर्थ से पहली महिला सांसद भाजपा नेता लगातार तीसरी बार लोकसभा के लिए चुनी गई हैं ( पूर्व में उडुपी चिकमंगलूर से). उन्होंने मोदी 2.0 में कृषि और किसान कल्याण और खाद्य संसाधन उद्योग के राज्यमंत्री के रूप में काम किया.

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