देश में खाद्य एवं औषधि सुरक्षा सुनिश्चित करने में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय एक अहम भूमिका निभाता है. रसायन और उर्वरक के साथ फार्मास्युटिकल विभाग भी इसी के तहत आता है. पिछले कुछ वर्षों में भारत भारी मात्रा में उत्पादन के लिहाज से केमिकल्स, और फर्टिलाइजर्स के क्षेत्र में एक बड़ा खिलाड़ी बनकर उभरा है. मात्रा की बात करें तो भारत दुनिया में दूसरा सबसे बड़ा उर्वरक उपभोक्ता है.
हम करीब 3.5 करोड़ टन यूरिया इस्तेमाल करते हैं, जिनमें से करीब 1 करोड़ टन आयात किया जाता है. उर्वरक आयात पर इस कदर निर्भरता को घटाना सरकार की एक अहम प्राथमिकता बनी रहेगी. नए यूरिया संयंत्र लगाने की दिशा में मंत्रालय ने पहले ही काम करना शुरू कर दिया है, साथ ही नैनो-यूरिया को बढ़ावा देने की कवायद भी जारी है.
भारत को 'दुनिया की फार्मेसी राजधानी' माना जाता है, और फार्मास्युटिकल विभाग ने हालिया वर्षों में वैश्विक फार्मा बाजार में मात्रा-आधारित विकास से मूल्य-आधारित विकास की ओर कदम बढ़ाए हैं. सरकार एक्टिव फार्मास्युटिकल इंग्रीडिएंट (एपीआई) के आयात को घटाने में भी जुटी है. घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना एक बेहतरीन पहल है.
क्या किया जाना चाहिए
प्रभावी उर्वरक आपूर्ति/प्रबंधन:
खरीफ सीजन के दौरान डीएपी (डायमोनियम फॉस्फेट) की कमी की खबरें आने के बीच नड्डा को उर्वरकों की समय पर आपूर्ति सुनिश्चित करनी होगी. दूसरा लक्ष्य होगा, आयात को शून्य पर लाना.
नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा:
नैनो-यूरिया की सफलता के बाद सरकार ने नैनो-डीएपी लॉन्च किया और नैनो-उर्वरकों को बढ़ावा देने की योजना बनाई, जिसमें अधिक पोषक तत्व होते हैं.
एपीआई आयात घटाना:
दवाओं के उत्पादन के लिए कच्चे माल यानी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रीडिएंट (एपीआई) और की स्टार्टिंग मटीरियल (केएसएम) के लिए भारत काफी हद तक चीन पर निर्भर है. नई भारतीय कंपनियों को इनके निर्माण के लिए पीएलआई योजनाओं का लाभ उठाना चाहिए
डॉ. यू.एस. अवस्थीः सीईओ एवं एमडी, इफको
विशेषज्ञ की राय:
"उर्वरक क्षेत्र में पीएम मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को साकार करने के लिए और तेजी से आगे बढ़ने की जरूरत है"
जेपी नड्डा, केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री
अनुप्रिया पटेल, राज्यमंत्री, 43 वर्षः अपना दल