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आईटी मंत्रालय और प्रसारण मंत्रालय में यह नए बदलाव कर सकते हैं अश्विनी वैष्णव

चाहे वह मामला डेटा प्राइवेसी का हो, सेमीकंडक्टर निर्माण का या सेंसरशिप की चिंताओं का, वैष्णव के दूसरे कार्यकाल में मसलों पर स्पष्टता लाने की जरूरत

अश्विनी वैष्णव
अश्विनी वैष्णव
अपडेटेड 27 जून , 2024

अश्विनी वैष्णव को पुराने मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी में ही बरकरार रखा गया है, इसलिए नीतियों में निरंतर जारी रहनी है. वैष्णव ने पिछले कार्यकाल में इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर विनिर्माण, डेटा प्राइवेसी, इंटरनेट नियमन, साइबर सुरक्षा और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) जैसे मसलों पर ध्यान दिया था, उन पर फोकस जारी रहने की उम्मीद कर सकते हैं.

इन्फोसिस के सह संस्थापक और एक्जिलोर वेंचर्स के अध्यक्ष क्रिस गोपालाकृष्णन कहते हैं, "हमें समय के साथ सेमीकंडक्टर में आत्मनिर्भरता पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए घरेलू विनिर्माण और उन नीतियों की जरूरत होगी जो स्थानीय रूप से बने उत्पादों के इस्तेमाल को प्रोत्साहित करें." 

क्या करने की जरूरत 

अटके विधेयक - डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटक्शन बिल (डीपीडीपी) और और डिजिटल इंडिया बिल ऐसे अहम विधेयक हैं जिन पर मंत्रालय आगे बढ़ सकता है. डीपीडीपी में निजी डेटा के संरक्षण के व्यक्ति के अधिकार और कानूनी उद्देश्यों के लिए इनके प्रक्रिया की जरूरत को मान्यता दी गई है. डिजिटल इंडिया बिल इंटरनेट यूजर्स के संरक्षण के साथ जवाबदेह बनाने का संतुलन का प्रयास करता है. 

एआई मिशन - आईटी मंत्रालय को 10,000 करोड़ रुपए के इंडिया एआई मिशन को शुरू करना है. इस राशि से पीपीपी मॉडल के जरिए मिशन के घटकों को दिया जाएगा.

किनके सर है जिम्मेदारी?

अश्विनी वैष्णव 
53 वर्षः भाजपा
इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी (एमईआइटीवाई) मंत्री

राज्यमंत्री

जितिन प्रसाद, 50 वर्षः भाजपा 
यूपी के पीलीभीत से निर्वाचित; वाणिज्य और उद्योग राज्यमंत्री भी

सूचना और प्रसारण - नियमन की दुविधा

सूचना और प्रसारण मंत्रालय का मुख्य उद्देश्य सरकारी नीतियों, योजनाओं और कार्यक्रमों के बारे में विभिन्न जनसंचार माध्यमों के जरिए सूचनाओं का प्रसार करना है. हालांकि हाल के सालों में सूचनाओं पर 'नियंत्रण’ के अपने प्रयासों को लेकर मंत्रालय खुद खबरों में रहा है. अगली बड़ी चिंता प्रस्तावित प्रसारण सेवा नियमन (बीएसआर) विधेयक 2023 को लेकर है जो एक बार कानून बन जाने पर मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (नियमन) अधिनियम 1995 का स्थान लेगा.

इसमें प्रसारण क्षेत्र के लिए कानूनी ढांचा बनाने और इसका दायरा ओटीटी सामग्री, डिजिटल समाचार और करंट अफेयर्स तक बढ़ाने की बात है. विशेषज्ञों को डर है कि न्यूज़ को सेंसर करने के लिए सरकार के पास यह ताकतवर हथियार होगा. मंत्रालय को इस चिंता को दूर करना चाहिए.

क्या किया जाना चाहिए

भरोसे के मसलों पर ध्यान - मीडिया आउटलेटों, सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज और सरकार के बीच विश्वास का माहौल बनाने की जरूरत जिससे कि मंत्रालय मार्गदर्शक की भूमिका में दिखे

सेंसरशिप नियंत्रण - सूचना प्रौद्योगिकी (इंटरमीडिएरी गाइडलाइंस और डिजिटल मीडिया एथिक्स कोड) नियमन 2021 को सेंसरशिप का हथियार बनने से रोकने की जरूरत

फिल्म निर्माताओं को स्वतंत्रता - सिनेमेटोग्राफ एक्ट 1952 में संशोधन के लिए 2013 की जस्टिस मुद्गल कमेटी की सिफारिशों पर अमल किया जाए

किनके सर है जिम्मेदारी?

अश्विनी वैष्णव

सूचना और प्रसारण मंत्री

राज्यमंत्री

एल. मुरुगन 47 वर्षः भाजपा 
मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद; संसदीय कार्य राज्य मंत्री भी.

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