कानून मंत्री के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता न्यायपालिका में जजों की बढ़ोतरी और इन्फ्रास्ट्रक्चर में सुधार करके न्याय-प्रणाली को मजबूत करना होना चाहिए. टाटा ट्रस्ट के इंडिया जस्टिस रिपोर्ट 2023 में कहा गया है कि देश में प्रति दस लाख लोगों पर 19 जज हैं (स्वीकृत पदों के मुकाबले). यह विधि आयोग के 1987 के लक्ष्य से कम है, जिसके तहत एक दशक में प्रति दस लाख आबादी पर 50 जज का मानक तय किया गया है.
हालांकि इससे आम नागरिक को न्याय मिलने में तेजी नहीं आ पाती है, लेकिन दक्ष इंडिया के 2016 में एक अध्ययन में पाया गया कि न्याय में देरी से देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी)पर सालाना 0.5 फीसद असर पड़ता है. कुर्सी संभालने के पहले दिन अर्जुन राम मेघवाल ने उम्मीद जताई कि हाइकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति, पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए प्रक्रिया ज्ञापन के मुद्दे का हल किया जाएगा.
न्याय में तेजी के लिए यह महत्वपूर्ण है. इससे भी बढ़कर यह है कि उनके मंत्रालय ने लंबित मामलों के निपटान में तेजी लाने के लिए लंबे समय से लंबित राष्ट्रीय मुकदमा नीति को मंजूरी दे दी है. लगभग एक दशक बाद भी इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है.
क्या किया जाना चाहिए
- न्यायाधीशों की नियुक्ति
आखिरकार सरकार को न्यायाधीशों की नियुक्ति में तेजी के लिए न्यायपालिका के साथ मिलकर एक प्रभावी और कारगर तंत्र स्थापित करने की जरूरत है
- आम सहमति बनाना
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों की नियुक्ति और हाइकोर्ट के न्यायाधीशों की पदोन्नति और स्थानांतरण के लिए आम सहमति की प्रक्रिया ज्ञापन को अंतिम रूप दिया जाना चाहिए
- इन्फ्रास्ट्रक्चर विस्तार
खासकर निचली अदालतों में न्यायिक इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना लंबित मामलों और बैकलॉग को कम करने के लिए विशेष प्राथमिकता होनी चाहिए
- नीतिगत मामले
राष्ट्रीय मुकदमा नीतिको बिना किसी देरी के संसद में पारित किया जाना चाहिए,जिसका मकसद सरकार को कारगर और जिम्मेदारवादी में बदलना है
- सबके लिए न्याय
गरीबों को उपलब्ध कानूनी सेवाओं के दायरे का विस्तार किया जाना चाहिए, ताकि यह तय किया जा सके कि कोई भी नागरिक आर्थिक या अन्य सीमाओं के कारण न्याय के अवसर से वंचित न रहे
अर्जुन राम मेघवाल, 70 वर्षः भाजपा
विधि और न्याय राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), संसदीय कार्य
- प्रशासनिक अफसर से नेता बने मेघवाल का जन्म राजस्थान के बीकानेर में हुआ. उनकी शादी 13 साल की उम्र में हो गई. निरक्षर दलित बुनकर के इस बेटे ने कानून और बिजनेस मैनेजमेंट में डिग्री हासिल की और राजस्थान प्रशासनिक सेवा के लिए चुने गए. बाद में वे आईएएस में पदोन्नत किया गया. उन्होंने 2009 में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली और उस वर्ष अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता
- चार बार के सांसद 2015 में राष्ट्रीय सुर्खियों में आए. उन्हें लोकसभा में भाजपा के मुख्य सचेतक बनाया गया. वे अपनी खास राजस्थानी पोशाक में साइकिल से संसद पहुंचे थे. उन्हें पिछले साल पहली बार कानून मंत्रालय का प्रभार दिया गया था. उनके छोटे कार्यकाल के दौरान, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच तनाव सार्वजनिक मंचों पर नहीं दिखा.