
अधिकांश सियासी पार्टियों के लिए नारी शक्ति एक नारा भर रहा है. महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए सिर्फ खोखले नारे, लोकलुभावन घोषणाएं या प्रतीकात्मक कानून बनाने से कहीं ज्यादा की जरूरत होगी. खास तौर पर महिला और बाल सुरक्षा चिंता का विषय बना हुआ है.
देश को जच्चा और बच्चा मृत्यु दर या पोषण के मामले में अब भी लंबा सफर तय करना है. एकीकृत बाल विकास सेवाओं से लेकर पोषण अभियान तक बहुत कुछ किया गया है लेकिन अब भी बहुत कुछ किया जाना बाकी है. दोनों महिला मंत्रियों के लिए करने को अच्छा-खासा काम है.
क्या किया जाना चाहिए
महिलाओं की सुरक्षा
भारत में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. इसलिए सहायता समूहों के बारे में जागरूकता, कठोर दंड और शिकायतों पर कदम उठाने की प्रक्रिया में तेजी लाने की जरूरत है. सामाजिक संवेदनशीलता भी जरूरी है. खासकर डिजिटल माध्यमों के जरिए किसी भी लिंग या बच्चों के खिलाफ लैंगिक भेदभावपूर्ण या लैंगिक भेदभावपूर्ण संचार पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए
पोषण
दुनिया भर में कुपोषित बच्चों में से एक-तिहाई भारतीय हैं. विशेषज्ञ भोजन में अधिक पौष्टिक तत्व और पर्याप्त सूक्ष्म पोषक तत्व शामिल करने की सलाह देते हैं
रोजगार
महिला श्रम बल भागीदारी दर अभी होने को भले 37% हो पर यह हमेशा गुणवत्तापूर्ण रोजगार नहीं होता. उन्हें कार्यस्थल पर शोषण से भी सुरक्षा की जरूरत है
अन्नपूर्णा देवी, 55 वर्ष, भाजपा, महिला एवं बाल विकास मंत्री
> शुरुआती जिंदगी
देवी झारखंड में दुमका के एक बांग्लाभाषी परिवार से हैं
> सियासी आगाज
राष्ट्रीय जनता दल के नेता अपने पति रमेश यादव के 1998 में निधन के बाद वे राजनीति में आ गईं. इससे पहले गृहिणी थी. 2019 में लोकसभा चुनाव से पहले वे राजद छोड़कर भाजपा में शामिल हो गईं
> शानदार उपलब्धि:
देवी अब केंद्रीय कैबिनेट की दो महिला मंत्रियों में से एक हैं. इस क्षेत्र में उनका पिछला अनुभव 2012 में झारखंड में सिंचाई, महिला एवं बाल कल्याण मंत्रालय मंं कैबिनेट मंत्री के रूप में रहा है
सावित्री ठाकुर, 45 वर्ष भाजपा, राज्यमंत्री, महिला एवं बाल विकास मंत्री

> शानदार आगाज:
मध्य प्रदेश की धार एससी आरक्षित सीट से भाजपा सांसद हैं. उन्होंने 2003 में भाजपा जिला पंचायत सदस्य के रूप में सियासी सफर शुरू किया था

