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मिशन 2024: पहली चाल से ही जीत की जुगत में जुटी है भाजपा

भाजपा के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में एक चुनौती यह भी है कि उसे 2019 के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा
अपडेटेड 5 फ़रवरी , 2024

पिछले साल चुनाव आयोग ने 9 अक्टूबर को चार राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित की थीं. लेकिन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) इसके काफी पहले चुनावी राज्यों-मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लिए कई उम्मीदवारों के नामों पर मुहर लगा चुकी थी. तब इसे भाजपा की ओर से एक नया चुनावी प्रयोग माना गया. हालांकि जब 3 दिसंबर, 2023 को इन राज्यों के चुनाव परिणाम आए तो मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में भाजपा ने जीत हासिल करके यह साबित कर दिया कि उसका यह प्रयोग पूरी तरह सफल रहा. इससे उत्साहित भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में भी इस प्रयोग को दोहराने की योजना बना रही है. पार्टी के रणनीतिकारों में से एक मजबूत धड़ा ऐसा है जो यह चाहता है कि फरवरी के पहले पखवाड़े में कुछ सीटों पर भाजपा अपने लोकसभा उम्मीदवारों के नामों की घोषणा कर दे.

बीते साल के विधानसभा चुनाव की तारीख घोषित किए जाने से पहले भाजपा ने मध्य प्रदेश की 230 में से 79 विधानसभा सीटों और छत्तीसगढ़ की 90 में से 21 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी थी. इनमें से अधिकांश सीटें ऐसी थीं, जिन पर भाजपा को कमजोर माना जाता था. कुछ सीटें तो ऐसी भी थीं, जहां पिछले कुछ चुनावों से पार्टी लगातार हार रही थी. लेकिन इनमें से ज्यादातर पर इस बार उसका प्रदर्शन अच्छा रहा. 

मध्य प्रदेश की 79 में से 53 यानी तकरीबन 70 प्रतिशत सीटों पर पार्टी को जीत मिली. छत्तीसगढ़ में भाजपा इस दर पर सफलता हासिल नहीं कर पाई. पार्टी 21 सीटों में से 10 ही जीत पाई. हालांकि, सफलता की दर के 50 प्रतिशत से भी कम रहने के बावजूद पार्टी ने इसे अपने लिए अच्छा प्रदर्शन इस वजह से माना कि इन सीटों में से ज्यादातर पर वह 2018 के चुनाव में हारी थी. ये तथ्य बताते हैं कि चुनाव की घोषणा से पहले मुश्किल सीटों पर अपने उम्मीदवार घोषित करने की भाजपा की रणनीति मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के विधानसभा चुनावों में काफी हद तक उसके पक्ष में गई.

यही वजह है कि लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा अपनी पहली सूची जनवरी के अंत तक या फरवरी के पहले पखवाड़े में जारी कर सकती है. पार्टी की चुनावी रणनीति बनाने में लगे नेताओं से अनौपचारिक बातचीत में पता चलता है कि पहली सूची में उन सीटों पर उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करने की योजना है जिन्हें भाजपा अपने लिए अपेक्षाकृत मुश्किल मानती है.

भाजपा ने 2023 की शुरुआत में पूरे देश में ऐसी 160 सीटों की पहचान की थी और इन पर तैयारी तब से ही शुरू कर दी गई थी. बाद में इस सूची में चार सीटों को और जोड़ा गया. अब इनकी संख्या 164 है. पार्टी ने इन सीटों को क्लस्टर में बांटकर हर केंद्रीय मंत्री या पार्टी के प्रमुख नेता को 2 से 3 सीटों की जिम्मेदारी दी थी. इन सीटों के प्रभारी मंत्री पिछले एक साल में कई बार इन निर्वाचन क्षेत्रों में गए और वहां के स्थानीय कार्यकर्ताओं और नेताओं से बातचीत की. साथ ही इन क्षेत्रों में पार्टी ने विस्तारकों को भी लगाया है. पार्टी ने अलग-अलग चरण में बाकायदा इन्हें प्रशिक्षित करके लोकसभा क्षेत्रों में काम करने के लिए भेजा है.   

इन सीटों पर केंद्रीय मंत्री समेत पार्टी के वरिष्ठ नेता जाएं और स्थानीय कार्यकर्ताओं-नेताओं से उनका संवाद हो, यह सब सुनिश्चित करने के लिए भाजपा ने एक संयोजन समिति बनाई है. राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े इसके संयोजक हैं. उनके अलावा केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, भूपेंद्र यादव, जी. किशन रेड्डी, राष्ट्रीय महासचिव सुनील बंसल और राष्ट्रीय प्रवक्ता संबित पात्रा समिति के सदस्य हैं.

इन मुश्किल सीटों को चार श्रेणियों में बांटा गया है-सर्वोत्तम, अच्छी, सुधार योग्य और बेहद खराब. सर्वोत्तम के तहत वे सीटें हैं, जहां भाजपा ने पिछले चुनाव में जीत भले न हासिल की हो लेकिन अगर थोड़ी मेहनत करे तो जीतने की स्थिति में आ सकती है. अत्यंत खराब श्रेणी में वे सीटें हैं, जहां पार्टी या तो कभी नहीं जीती या फिर बहुत लंबे समय से इन सीटों पर जीत नहीं हासिल कर पाई है. 

इस बारे में सीएसडीएस के प्रोफेसर और लोकनीति के सह-निदेशक संजय कुमार कहते हैं, "भाजपा के लिए चुनौती वाली इन सीटों की सूची में सोनिया गांधी की रायबरेली, कमलनाथ के प्रभुत्व वाली छिंदवाड़ा और शरद पवार के असर वाली बारामती जैसी 20-25 सीटें शामिल हैं. 2019 में भाजपा ने राहुल गांधी की सीट अमेठी से जीत हासिल की. यह सिर्फ एक सीट नहीं होती बल्कि इनके जीतने से यह संदेश जाता है कि भाजपा ने विपक्षी दलों का एक मजबूत किला ढहा दिया है."

भाजपा अपने लिए जिन सीटों को मुश्किल मान रही है, उनमें सबसे ज्यादा 24-24 सीटें पश्चिम बंगाल और आंध्र प्रदेश में हैं. वहीं केरल में ऐसी सीटों की संख्या 18 है और उत्तर प्रदेश में 16 और महाराष्ट्र में इतनी ही संख्या में सीटें हैं.

साथ ही भाजपा की पहली सूची में पार्टी के शीर्ष उम्मीदवारों के नामों की घोषणा भी संभव है. इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की सीटों की घोषणा भी हो सकती है. पार्टी का मानना है कि बड़े नामों की उम्मीदवारी पहले घोषित करने से आसपास की मुश्किल सीटों पर उसे लाभ मिल सकता है. 

पार्टी की चुनावी रणनीतियां तैयार करने में जुटे भाजपा के एक राष्ट्रीय पदाधिकारी बताते हैं, "वैसे तो हर चुनाव अलग होता है और उसकी रणनीतियां भी अलग होती हैं लेकिन किसी चुनाव के कुछ सफल प्रयोग दूसरे चुनावों में भी आजमाए जाते हैं. मुश्किल सीटों पर थोड़ा समय रहते उम्मीदवारों की घोषणा ऐसी ही एक रणनीति है. हालांकि, पार्टी के अंदर इस प्रस्ताव पर कुछ लोग अलग राय रखते हैं लेकिन अभी जो हम लेटेस्ट सर्वे करा रहे हैं, उसका काम पूरा होने वाला है. इसके बाद संभव है कि मुश्किल सीटों पर उम्मीदवारों के नामों की घोषणा हो जाए."

भाजपा के लिए 2024 के लोकसभा चुनाव में एक चुनौती यह भी है कि उसे 2019 के मुकाबले अधिक सीटों पर चुनाव लड़ना पड़ेगा. दरअसल, पार्टी 2019 में 436 सीटों पर चुनाव लड़ी थी. इनमें से 303 पर उसे जीत हासिल हुई थी. 2024 में पार्टी जिन सीटों पर चुनाव लड़ेगी, उनकी संख्या 450 से ज्यादा रहेगी. इस बार पार्टी ने आंतरिक स्तर पर 350 सीटों का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए पार्टी इस रणनीति के साथ जमीनी स्तर पर काम कर रही है कि उसे अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर हर बूथ पर 51 फीसद वोट हासिल करने हैं. 

हालांकि यह काम आसान नहीं होने जा रहा. पिछले चुनाव में भाजपा के साथ बिहार में जद(यू), महाराष्ट्र में शिवसेना, पंजाब में शिरोमणि अकाली दल और तमिलनाडु में एआइएडीएमके जैसे दल थे. इस वजह से इन राज्यों में भाजपा ने अपेक्षाकृत कम सीटों पर चुनाव लड़ा था. 2024 में पार्टी को इन राज्यों में और अधिक सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने होंगे. यही वजह है कि पार्टी की मुश्किल सीटों की संख्या बढ़कर 164 हो गई है और 'मिशन 350' को पूरा करने के लिए इन सीटों पर बेहतर स्ट्राइक रेट हासिल करना पार्टी के लिए बेहद अहम है.

तो क्या मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में सफल रहा यह प्रयोग लोकसभा चुनाव में भी सफल रहेगा, इसके जवाब में भाजपा के चुनाव प्रबंधन में लगे एक केंद्रीय मंत्री कहते हैं, "यह तो चुनाव परिणाम से ही पता चलेगा लेकिन आप इतना यकीन कीजिए कि भाजपा कई स्तर के सर्वे और विभिन्न माध्यमों से मिलने वाली जमीनी हकीकतों के आधार पर ही उम्मीदवारों के नामों की घोषणा करती है. वहीं, मुश्किल सीटों पर हम लगातार तकरीबन दो वर्षों से काम कर रहे हैं. इसलिए पार्टी को पूरी उम्मीद है कि हमारा यह प्रयोग सफल रहेगा."

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