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बाइडेन मुकरे पर मैक्रों ने कुबूला गणतंत्र दिवस के चीफ गेस्ट का न्यौता, निभाई पुरानी दोस्ती

फ्रांस पहला देश था जिससे भारत ने 1998 में "रणनीतिक साझेदारी" कायम की थी, जब उस वक्त के फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आए थे

फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ पीएम मोदी
फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों के साथ पीएम मोदी
अपडेटेड 31 जनवरी , 2024

इसी को कहते हैं 'सच्चा दोस्त'. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों तब भारत की मदद के लिए सामने आए जब अमेरिका ने कह दिया कि राष्ट्रपति जो बाइडन 2024 में भारत के 75वें गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल नहीं हो पाएंगे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बाइडन को बीते साल सितंबर में जी20 शिखर सम्मेलन के वक्त आमंत्रित किया था.

मैक्रों ने एक्स पर लिखा, "आपके आमंत्रण के लिए धन्यवाद, मेरे प्रिय मित्र #नरेंद्र मोदी. भारत, आपके गणतंत्र दिवस पर, आपके साथ जश्न मनाने के लिए मैं यहां होऊंगा!" जवाब में मोदी ने लिखा, "मेरे प्रिय मित्र राष्ट्रपति #इमैनुअल मैक्रों, 75वें गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आपका स्वागत करने के लिए हम उत्सुकता से प्रतीक्षा कर रहे हैं. हम भारत-फ्रांस रणनीतिक भागीदारी और लोकतांत्रिक मूल्यों में साझा विश्वास का उत्सव भी मनाएंगे. जल्द ही!"

मैक्रों की मौजूदगी के साथ यह छठी बार है जब कोई फ्रांसीसी नेता गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि होगा, किसी एक देश से सबसे ज्यादा बार. जुलाई में मोदी पेरिस में बास्टील डे परेड में गेस्ट ऑफ ऑनर थे. मैक्रों ने मोदी को फ्रांस के सबसे बड़े नागरिक/सैन्य सम्मान—ग्रैंड क्रॉस ऑफ द लीजन ऑफ ऑनर—से सम्मानित किया था.

रिश्तों में यह गर्मजोशी अहम बदलाव की द्योतक है—पेरिस नई दिल्ली के लिए सैन्य साजो-सामान के सबसे बड़े स्रोत के तौर पर रूस की जगह लेने की ओर बढ़ रहा है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की मार्च 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक, फिलहाल 29 फीसद हिस्सेदारी के साथ फ्रांस रूस (45 फीसद) के बाद और अमेरिका (11 फीसद) से आगे भारत का दूसरा सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है. रूस की तरह फ्रांस भारतीय सेना को दूसरी उप-प्रणालियों के अलावा लड़ाकू विमान से लेकर पनडुब्बियों तक की आपूर्ति कर रहा है.

मैक्रों की यात्रा ऐसे वक्त हो रही है जब दोनों देश दो बड़े रक्षा सौदों पर दस्तखत करने वाले हैं. पहला भारतीय नौसेना के विमान वाहकों आईएनएस विक्रांत और आईएनएस विक्रमादित्य के लिए 26 राफेल समुद्री विमानों के लिए तथा दूसरा तीन अतिरिक्त स्कॉर्पीन पनडुब्बियों के लिए है. राफेल-एमएस और तीन पारंपरिक पनडुब्बियों के लिए कीमत की बोली दिसंबर में भारत को मिली. राफेल-एम सौदे को अंतर-सरकारी समझौते के तौर पर तैयार किया जा रहा है. तीन पनडुब्बियों का सौदा फ्रांस के नैवल ग्रुप के साथ हुए पहले के उस अनुबंध की अगली कड़ी है जिसके तहत मुंबई स्थित मझगांव डॉकयार्ड शिपबिल्डर्स लिमिटेड ने भारत में स्कॉर्पीन क्लास की छह पनडुब्बियां बनाईं.

नई पनडुब्बियों की बेंचमार्क कीमत तय करने के लिए अब विशेषज्ञों की एक समिति बना दी गई है. एक रक्षा अधिकारी कहते हैं, "नैवल ग्रुप ने बेहद अहम पनडुब्बी टेक्नोलॉजी साझा की और साथ मिलकर बनाने के दौरान एमडीएल ने बहुत कुछ सीखा."

फ्रांस पहला देश था जिससे भारत ने 1998 में 'रणनीतिक साझेदारी' कायम की थी, जब उस वक्त के फ्रांसीसी राष्ट्रपति जैक शिराक गणतंत्र दिवस की परेड में मुख्य अतिथि के तौर पर भारत आए थे. उसी साल रणनीतिक वार्ता शुरू हुई. जब उसी साल मई में भारत ने पोकरण में परमाणु परीक्षण किए, फ्रांस अकेला पी5 देश (संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों में से एक) था जिसने खुलेआम नई दिल्ली का समर्थन किया था.

इसी तरह 1999 में करगिल युद्ध के दौरान फ्रांस ने पाकिस्तान को उसकी 'खतरनाक पहल' के लिए जिम्मेदार ठहराया. बाद में 2008 में जब न्यूक्लियर सप्लायर्स ग्रुप ने भारत को परमाणु लेनदेन की छूट दे दी, फ्रांस ने भारत के साथ असैन्य परमाणु समझौते पर दस्तखत किए. इसके अलावा फ्रांस ने कश्मीर में भारत की आतंकवाद-विरोधी पहलों का समर्थन किया है.

ऐसे में फ्रांस को अब भारत का करीबी सहयोगी माना जाता है. पी5 देश के तौर पर उसका समर्थन भारत के लिए वाकई अहम है. इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के पूर्व डिप्टी चीफ लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) अनिल आहुजा कहते हैं, "इंडियन ओशन रीजन (आईआरओ) की सुरक्षा के मामले में और विशाल बाजार के तौर पर भारत भी फ्रांस के लिए इतना ही अहम है." वे कहते हैं कि फ्रांस सैन्य क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी रक्षा प्रणालियों की टेक्नोलॉजी देने के लिए भी तैयार है.

मसलन, फ्रांस की सफरन इंजंस कंपनी निर्माणाधीन भारतीय बहुउद्देश्यीय हेलिकॉप्टरों के लिए इंजन के विकास में हिंदुस्तान ऐरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) की मदद कर रही है. फ्रांस सरकार ने सफरन को भारत के पांचवीं पीढ़ी के स्टेल्थ विमान (एडवांस्ड मीडियम कॉम्बेट एयरक्राफ्ट) और ट्विन-इंजन डेक बेस्ट फाइटर (टीईडीबीएफ) के लिए इंजनों का साथ मिलकर 'डिजाइन, डेवलपमेंट, टेस्टिंग,  और मैन्वेयूफैक्चरिंग और वेरिफिकेशन' करने की मंजूरी दे दी है. अंतरिक्ष टेक्नोलॉजी में भारत-फ्रांस आईओआर की समुद्री निगरानी के लिए 8-10 उपग्रहों का 'तारामंडल' विकसित करने का मंसूबा भी बना रहे हैं.

पर्यवेक्षकों का मानना है कि फ्रांस के साथ भागीदारी की बदौलत हिंद महासागर में भारत के पदचिह्न बढ़ रहे हैं और ऐसा रीयूनियन आइलैंड, कैलेडोनिया, फ्रेंच पॉलीनेशिया, जिबूती और यूएई में फ्रांसीसी अड्डों और मौजूदगी के जरिए हो रहा है. इस तरह अपने रणनीतिक रिश्तों के दम पर भारत वहां भी अपने हितों की हिफाजत कर सकता है जहां उसकी असरदार मौजूदगी नहीं है.

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