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बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट में लगेगा वक्त, मगर स्टेशन बनने से उत्साह चरम पर

भूमि अधिग्रहण के सौ फीसद पूरा होने के साथ ही गुजरात में नए इन्फ्रास्ट्रक्चर यानी अहमदाबाद से मुंबई तक देश की पहली बुलेट ट्रेन को लेकर भारी उत्साह.

साबरमती मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट हब में पुलों का निर्माण किया जा रहा है
साबरमती मल्टीमोडल ट्रांसपोर्ट हब में पुलों का निर्माण किया जा रहा है
अपडेटेड 31 जनवरी , 2024

मध्य और दक्षिणी गुजरात में उत्साह का माहौल है. रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने 8 जनवरी को एक्स पर घोषणा की कि नेशनल हाइ स्पीड रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एनएचएसआरसीएल) ने अहमदाबाद और मुंबई के बीच देश में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए जरूरी 100 फीसद भूमि अधिग्रहण पूरा कर लिया है. 508 किलोमीटर का हाइ-स्पीड रेल (एचएसआर) कॉरिडोर गुजरात में लगभग 350 किलोमीटर का होगा.

यह कॉरिडोर एक सीध में विभिन्न गांवों और कस्बों से होकर गुजरेगा. देश की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई से तेज कनेक्टिविटी का लाभ उठाने के लिए व्यापक औद्योगिक और शहरी विकास की योजना बनाई गई है. भूमि अधिग्रहण के अलावा, एनएचएसआरसीएल ने गुजरात और महाराष्ट्र (जहां 156 किलोमीटर लंबा कॉरिडोर बन रहा है) सारे सिविल ठेके दे दिए हैं. इससे अहमदाबाद और मुंबई के बीच रेल यात्रा का समय मौजूदा पांच से सात घंटे से बस दो घंटे हो जाएगा. 

गुजरात में अहमदाबाद-गांधीनगर के केंद्र में स्थित बुलेट ट्रेन टर्मिनल स्टेशन के आसपास साबरमती मल्टीमॉडल ट्रांसपोर्ट हब में बड़े पैमाने पर निर्माण गतिविधि जारी है. एनएचएसआरसीएल के जनसंपर्क अधिकारी अरुण भनोट के मुताबिक, यह पूरा इलाका तीन साल में व्यस्त सड़कों में बदल जाएगा, जहां यात्री बुलेट ट्रेन और आम ट्रेन पर चढ़ेंगे-उतरेंगे. यह फिर अहमदाबाद मेट्रो से जुड़ेगा और राजधानी गांधीनगर तथा आसपास के इलाकों के लिए बस रैपिड ट्रांजिट प्रणाली होगी. यहां प्रीमियम होटल, रेस्तरां, ऑफिस और शॉपिंग प्लाजा होंगे. यह देश के किसी भी प्रमुख हवाई अड्डे को टक्कर देगा. 

जापान में पहली बार 1964 में शुरू हुई शिंकानसेन बुलेट ट्रेन के मॉडल पर आधारित मुंबई-अहमदाबाद हाइ स्पीड रेल (एमएएचएसआर) परियोजना की लागत 1.08 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है. निर्माण लागत का 81 फीसद जापान इंटरनेशनल कोऑपरेशन एजेंसी (जेआइसीए) के कर्ज से मिलेगा, बाकी रकम एनएचएसआरसीएल से आएगी, जिसके लिए केंद्र सरकार ने 50 फीसद अंश पूंजी के साथ एसपीवी जारी किया है.

उसमें गुजरात और महाराष्ट्र की राज्य सरकारें हरेक 25 फीसद का योगदान करेंगी. मुंबई में एचएसआर स्टेशन का निर्माण बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में भूमिगत किया जा रहा है, जो साबरमती की तरह ही स्थानीय मेट्रो रेल और अन्य सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के साथ जुड़ा है.

एनएचएसआरसीएल की योजना दो प्रकार की ट्रेन सेवा चलाने की है. एक, सूरत और वडोदरा में सिर्फ दो स्टॉपेज के साथ तीव्र सेवा 2.07 घंटे में यात्रा पूरी करेगी. दूसरे, 10 स्टॉपेज के साथ धीमी सेवा में 2.58 घंटे लगेंगे, जो मौजूदा रफ्तार से बहुत तेज है. यात्रा का समय घटने से गुजरात के सूरत, वडोदरा और अहमदाबाद में मुंबई की तरह विस्तार की उम्मीद है.

इससे दिन की यात्रा आरामदेह होगी. शहरी योजनाकारों को उम्मीद है कि इससे भीड़भाड़ वाले महानगर में जनसंख्या का दबाव घटेगा, क्योंकि रोजाना आवाजाही आसान हो जाएगी. हर ट्रेन में 10 कोच होंगे और 690 लोगों के बैठने की सुविधा होगी. इसके कोच की पहली खेप 2025 के अंत तक भारत पहुंचने की उम्मीद है, जिसके बाद सूरत और बिलिमोरा के बीच 50 किलोमीटर का ट्रायल रन होगा. ट्रेन का संचालन 2026 में शुरू होने वाला है, जिसमें बुलेट ट्रेनें पूरे दिन हर घंटे चलेंगी. 

जमीन अधिग्रहण के मुद्दे

बुलेट ट्रेन परियोजना की योजना की शुरुआत 2014 में हुई थी, जब भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) केंद्र में सत्ता में आई थी. अगर सब कुछ योजना के मुताबिक हुआ होता, तो बुलेट ट्रेन 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले पटरी पर आ गई होती. लेकिन कोविड-19 महामारी से भूमि अधिग्रहण का काम प्रभावित हुआ, और गुजरात में किसानों के विरोध और महाराष्ट्र में सरकार बदलने के साथ प्रक्रिया रुक गई. दरअसल, गुजरात में कम से कम दो जिलों के किसान अभी भी मुआवजे के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं.

मसलन, भरुच के केलोड गांव में लगभग दो महीने पहले तक स्थानीय भाजपा पदाधिकारी रहे निपुल पटेल की अगुआई में लोगों ने विकसित भारत संकल्प यात्रा को गांव में आने से रोक दिया. यह सरकारी योजनाओं के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी अभियान है. निपुल किसान हैं और मुआवजे के खिलाफ मुकदमे में एक वादी हैं.

वे कहते हैं, "सूरत, नवसारी और वलसाड जिलों में किसानों को उनकी जमीन का मुआवजा 1,000-1,100 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से मिला है, जबकि भरुच और वडोदरा में किसानों को केवल 300-400 रुपए प्रति वर्ग मीटर की दर मिली है. भड़ूच के जूना दिवा गांव में 105 किसानों ने अपनी जमीन गंवाने के बाद मुआवजा लेने से इनकार कर दिया. मामला अब अदालत में है." 

मुआवजे का भुगतान भूमि अधिग्रहण कानून के मुताबिक किया गया था, जो ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार दर से चार गुना और शहरी क्षेत्रों में बाजार दर से दोगुना था. सूरत में अधिक मुआवजे के लिए सफल आंदोलन चला चुके जयेश पटेल का दावा है कि हालांकि "50 फीसद किसान इससे खुश हैं" और उन्होंने इस रकम से नया घर या कार या दूसरा खेत खरीदा है, लेकिन "इतने ही किसान अभी असंतुष्ट हैं."

बुलेट ट्रेन का मार्ग सीधा होना चाहिए, इसलिए परियोजना के लिए खेतों के अलग-अलग हिस्सों का अधिग्रहण किया जाता है. इस साल 1 जनवरी को एनएचएसआरसीएल के प्रबंध निदेशक का अतिरिक्त प्रभार संभालने वाले अंजुम परवेज का दावा है, "ऊंचे वायाडक्ट से भूमि अधिग्रहण की जरूरत के अलावा परियोजना का कुल पर्यावरण असर कम हो गया है." गुजरात में 951.14 हेक्टेयर, महाराष्ट्र में 430.45 हेक्टेयर और दादरा-नगर हवेली में 7.9 हेक्टेयर जमीन का अधिग्रहण किया गया है. लेकिन अधिकारियों का आरोप है कि कई जगहों पर एलिवेटेड वायाडक्ट के निर्माण और मुआवजा पाने के बाद भी किसानों ने खेती फिर शुरू कर दी है.

औद्योगिक क्लस्टर

भले ही सरकार अधिग्रहण प्रक्रिया से जुड़े लंबित मुद्दों को सुलझा रही है, एमएएचएसआर कॉरिडोर के आर्थिक लाभों को अधिकतम करने के लिए गुजरात में हाइ-प्रोफाइल औद्योगिक क्षेत्र की शृंखला की योजना बनाई गई है. मसलन, बुलेट ट्रेन गांधीनगर में गिफ्ट सिटी (गुजरात इंडस्ट्रियल फाइनेंस टेक-सिटी) में बिक्री का बड़ा आकर्षण है, जिसे मुंबई के ग्रीनफील्ड विस्तार के रूप में पेश किया जा रहा है. साबरमती एचएसआर स्टेशन से 23 किमी दूर यह सड़क और मेट्रो रेल से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है.

स्टेशन से गाड़ी से लगभग 45 मिनट की दूरी पर साणंद को ऑटोमोबाइल, सेमीकंडक्टर और अंतरिक्ष संबंधी उत्पादन केंद्र के रूप में विकसित किया जा रहा है. इस शहर में देश का पहला प्लग ऐंड प्ले औद्योगिक पार्क है, जो 2022 में जापान एक्सटर्नल ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन के सहयोग से स्थापित हुआ है. 2009 में साणंद में अपना नैनो प्लांट खोलने वाले टाटा मोटर्स ने पिछले साल फोर्ड मोटर्स प्लांट का भी अधिग्रहण कर लिया.

यह 2011 में आया था. एमजी मोटर्स का कारखाना हलोल में 150 किमी दूर है, जबकि मंडल-बेचराजी एसईजेड में होंडा और मारुति सुजुकी के कारखाने सिर्फ 64 किमी दूर हैं. अमेरिकी चिप निर्माता माइक्रॉन टेक्नोलॉजी को 2.75 अरब डॉलर (22,875 करोड़ रुपए) के निवेश से भारत में अपनी पहली इकाई खोलने के लिए साणंद में जमीन आवंटित की जा चुकी है. अक्टूबर, 2023 में गुजरात सरकार ने क्षेत्र में एक अंतरिक्ष संबंधी उत्पादन क्लस्टर विकसित करने के लिए केंद्र के अंतरिक्ष विभाग की स्वायत्त इकाई इन-स्पेस के साथ करार पर हस्ताक्षर किए.

दक्षिण में आणंद में एगेट स्टोन इंडस्ट्रीज क्लस्टर बन रहा है. खंभात में बेहद कठोर पत्थर पाए जाते हैं. उम्मीद की जाती है कि असंगठित उद्योग तकनीकी सहायता और खरीदारों तक पहुंच की व्यवस्था के जरिए बड़े बाजार का फायदा उठा सकता है. झगडिया और अंकलेश्वर में रासायनिक प्रसंस्करण उद्योगों के अलावा, मध्य गुजरात भी जंबुसर में 2,000 एकड़ के विशाल बल्क ड्रग पार्क के साथ एक फार्मास्युटिकल हब के रूप में उभरने की संभावना है. पार्क में 8,000 करोड़ रुपए का निवेश होने की उम्मीद है और इसमें लगभग 400 कंपनियां शामिल होंगी, जिनका जोर बुनियादी सामग्री (केएसएम) और ऐक्टिव फार्मास्युटिकल इनग्रेडिएंट (एपीआइ) के उत्पादन पर होगा, ताकि आयात पर निर्भरता कम हो सके.

सूरत हीरे की पॉलिशिंग और व्यापार का केंद्र है. दिसंबर, 2023 में खुला सूरत डायमंड बुर्स 67 लाख वर्ग फुट में फैला हुआ है और उसे दुनिया की सबसे बड़ी ऑफिस जगह माना जाता है. यह एक्सप्रेस रोड कनेक्टिविटी के साथ कड़ोदरा में बुलेट ट्रेन स्टेशन से सिर्फ 25 किमी दूर है. कड़ोदरा से बमुश्किल 33 किमी दूर नवसारी में खाद्य प्रसंस्करण क्लस्टर भी काम कर रहा है.

वडोदरा में यूरोपीय विमानन कंपनी एयरबस टाटा एडवांस्ड सिस्टम्स के सहयोग से एक विमान निर्माण इकाई स्थापित कर रही है. यहां तक कि कनाडाई दिग्गज बॉम्बार्डियर की वडोदरा के सावली में रेलवे कार निर्माण और असेंबली इकाई है. गुजरात चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के पूर्व अध्यक्ष पथिक पटवारी कहते हैं, "इंजीनियरिंग और सेवा उद्योग तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. हमें उम्मीद है कि वडोदरा विमानन और रेल कार्ट निर्माण केंद्र के रूप में उभरेगा. इस क्षेत्र से गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे (डीएमआइसी) के साथ मिलकर, लॉजिस्टिक्स निर्माण क्षेत्र का विकास भी कार्ड पर है."

शहरी विकास

डीएमआइसी बुलेट ट्रेन लाइन के लगभग समानांतर है, जो हरे-भरे ग्रामीण इलाकों में नियोजित शहरी इलाकों के लिए मार्ग प्रशस्त करता है. वास्तव में, गुजरात में एमएएचएसआर के पूरे 352 किलोमीटर के क्षेत्र में शहरी विकास धीमी गति से हो रहा है. राज्य के आठ स्टेशनों में से केवल तीन—साबरमती, अहमदाबाद और वडोदरा—एक शहर के भीतर स्थित हैं. आणंद स्टेशन एक गांव (उत्तरसंदा) में स्थित है, भरुच और सूरत स्टेशन दो शहरों के बाहरी इलाके में हैं, और बिलिमोरा और वापी स्टेशन ग्रीनफील्ड साइट हैं जिन्हें नियोजित शहरी केंद्रों के रूप में विकसित किया जा रहा है.

अक्टूबर, 2022 में, केंद्र सरकार ने दो किलोमीटर के दायरे तक फैले 'स्टेशन संबद्ध क्षेत्रों’ को विकसित करने के लिए शहरी योजनाकारों को पांच साल के लिए समर्थन देने के लिए जेआइसीए के साथ तकनीकी सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किए. आवाजाही के लिए आगे पांच से सात किलोमीटर तक मुख्य सड़कें विकसित की जा रही हैं. पैदल यात्री सड़कें और सार्वजनिक स्थान भी चरणबद्ध तरीके से बनाए जाएंगे.

गुजरात के अतिरिक्त मुख्य नगर योजनाकार हरपाल दवे कहते हैं, "गुजरात में दो स्टेशन संबद्ध क्षेत्रों—साबरमती और सूरत—और महाराष्ट्र में दो—बोइसर और ठाणे—के विकास की निगरानी इस समझौते के तहत की जा रही है. हम बाकी को भी इसी तर्ज पर विकसित करेंगे." कम से कम एक चिकित्सा पर्यटन केंद्र और एक प्रमुख शिक्षा टाउनशिप विकसित के तौर-तरीकों पर भी काम किया जा रहा है.

दवे कहते हैं, "हम उम्मीद करते हैं कि एचएसआर कॉरिडोर के साथ-साथ बहुत सारे नियोजित वाणिज्यिक और आवासीय ढांचे तैयार किए जाएंगे." मुंबई स्थित कंपनियां इस क्षेत्र में अपनी बड़ी सुविधाएं विकसित कर रही हैं.

जैसे-जैसे पुल और स्टेशन बन रहे हैं, परियोजना के बारे में आशंकाएं उत्साह का स्थान ले रही हैं, भले ही देश की पहली बुलेट ट्रेन को अहमदाबाद से मुंबई तक चलाने में अभी भी लंबा रास्ता तय करना है.

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