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भारतीय रिजर्व बैंक के इस फैसले से महंगे हो गए हर तरह के लोन, आखिर क्यों उठाना पड़ा यह कदम

बैंकों पर इसका अलग-अलग असर हो सकता है लेकिन कर्ज लेने के इच्छुक लोगों के लिए खुदरा लोन के महंगा होने के आसार हैं

RBI ने त्योहारी सीजन से ऐन पहले और उसके दौरान पहले खुदरा कर्जों में बेलगाम बढ़ोतरी पर अंकुश लगाया है
अपडेटेड 11 दिसंबर , 2023

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने त्योहारी सीजन से ऐन पहले और उसके दौरान पहले खुदरा कर्जों में बेलगाम बढ़ोतरी पर अंकुश लगाया है. असुरक्षित कर्जों के बढ़ते स्तर से बैंकिंग प्रणाली को होने वाले खतरे को भांपकर केंद्रीय बैंक ने उपाय किया कि वह बैंकों के लिए ऐसे कर्ज देना महंगा बना देगा. बैंक बगैर कुछ गिरवी रखे या बगैर सुरक्षा पर जोर दिए सिर्फ कर्ज लेने वाले की साख पर असुरक्षित कर्ज दे देते हैं. अब आरबीआइ ने बैंकों, गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों (NBFC) और क्रेडिट कार्ड प्रदाताओं से उपभोक्ता कर्ज पर 'जोखिम भार' बढ़ा दिया है, जिससे हर तरह का कर्ज लेने वालों के लिए कर्ज की पेशकश करना महंगा हो गया है. जोखिम भार वह पूंजी है जिसे बैंक डूबत कर्ज की भरपाई के लिए अलग रखते हैं.

बैंकिंग कायदों के मुताबिक, खास कर्ज से जुड़ा जोखिम भार यह तय करता है कि बैंक को कितनी पूंजी सुरक्षित रखनी चाहिए. आरबीआई ने व्यक्तिगत कर्ज सहित वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के उपभोक्ता कर्ज के लिए जोखिम भार को 25 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 125 प्रतिशत अंक कर दिया है. सोने और सोने के आभूषणों के आधार पर दिए गए कर्ज को इस बढ़ोतरी से बाहर रखा गया है. वाणिज्यिक बैंकों और एनबीएफसी के लिए क्रेडिट कार्ड प्राप्तियों पर जोखिम भार को क्रमश: 25 प्रतिशत अंक बढ़ाकर 150 प्रतिशत अंक और 125 प्रतिशत अंक कर दिया गया है. सितंबर 2023 तक बैंकों का क्रेडिट कार्ड बकाया साल-दर-साल आधार पर करीब 30 फीसद बढ़कर 2.17 लाख करोड़ रुपए हो गया था. अगस्त में आई इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एनबीएफसी अपने अधिक मुनाफे के लालच में पोर्टफोलियो में बिना गिरवी वाले कर्ज का हिस्सा बढ़ा रहे हैं ताकि कर्ज की ऊंची लागत से निबटा जा सके. सोने और सोने के गहने के बदले लिया कर्ज इसमें शामिल नहीं है. 

आरबीआई ने उन सभी मामलों में एनबीएफसी में बैंकों के एक्सपोजर पर जोखिम भार को 25 प्रतिशत अंक बढ़ा दिया है, जहां एनबीएफसी की बाहरी रेटिंग के अनुसार मौजूदा जोखिम भार 100 फीसद से कम है. प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत आवास वित्त कंपनियों और एनबीएफसी को दिए गए कर्ज पर यह लागू नहीं है. आरबीआई ने अनिवार्य किया है कि बैंकों के पास असुरक्षित उपभोक्ता कर्ज जोखिम के लिए बोर्ड से मंजूर आंतरिक सीमा होनी चाहिए, जिसकी निगरानी जोखिम प्रबंधन समिति लगातार करेगी. स्वाभाविक मूल्यह्रास वाली चल संपत्तियों के आधार पर सभी टॉप-अप कर्जों को असुरक्षित कर्ज माना जाएगा.

इस कदम से बैंकों और गैर-बैंकिंग दोनों के लिए कर्ज पर लागत बढ़ सकती है, जिससे कर्ज दरों में वृद्धि हो सकती है, और खुदरा कर्ज महंगा हो जाएगा. आइसीआइसीआई सिक्योरिटीज के एक नोट में कहा गया है, ''उच्च जोखिम भार उच्च पूंजी खपत में बदल जाएगा, जो बदले में संबंधित मामले में विकास पर प्रतिकूल असर डालेगा.'' इस निर्देश से कुछ बैंकों पर दूसरों के मुकाबले अधिक असर पड़ने की संभावना है. नोट के अनुसार, असुरक्षित व्यक्तिगत कर्ज भारतीय स्टेट बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक के कुल कर्ज का 7-10 फीसद था, लेकिन आइडीएफसी फर्स्ट बैंक के मामले में बड़ा (करीब 17 फीसद) दिखाई दिया. आरबीएल के लिए क्रेडिट कार्ड कर्ज बड़े (कुल कर्ज का 24 फीसद) थे, लेकिन एक्सिस बैंक, एचडीएफसी बैंक, कोटक महिंद्रा बैंक और इंडसइंड बैंक के लिए 3-4 फीसद और आइडीएफसी फर्स्ट बैंक के लिए करीब 2.4 फीसद ठीकठाक था.

भारतीय उपभोक्ता बेहतर उत्पादों, घरों, बच्चों की शिक्षा और अन्य सेवाओं के लिए अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए बैंकों की कर्ज पेशकश का पहले से कहीं अधिक लाभ उठा रहे हैं. आरबीआई के हालिया आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में व्यक्तिगत कर्ज में एक साल पहले के 19.4 फीसद के मुकाबले 30.8 फीसद की वृद्धि हुई. अगस्त में इस मामले में कुल कर्ज 47.7 लाख करोड़ रुपए था, जो एक साल पहले 36.47 लाख करोड़ रुपए था. खुदरा कर्ज, जिसे आरबीआई व्यक्तिगत कर्ज कहता है, में आवास कर्ज, एफडी के आधार पर कर्ज, क्रेडिट कार्ड बकाया, वाहन कर्ज, शिक्षा कर्ज, सोने के आभूषणों के आधार पर कर्ज और दूसरे व्यक्तिगत कर्ज शामिल हैं. बैंक ऑफ बड़ौदा के चीफ इकोनॉमिस्ट मदन सबनवीस कहते हैं, ''बैंक अपना कारोबार बढ़ाने के लिए हर स्रोत का इस्तेमाल कर रहे हैं और जोखिम लेने के लिए तैयार होंगे. लोग अपनी हैसियत से परे जाकर खर्च की आकंक्षा रखते हैं और इसलिए, कर्ज लेकर खपत बढ़ाते हैं. लंबे समय में यह सही नहीं हो सकता है.''

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश संस्थानों में खुदरा कर्ज में साल-दर-साल वृद्धि 30 फीसद के करीब रही है. औसतन, असुरक्षित खुदरा कर्ज वृद्धि 23 फीसद रही है. यह बाकी क्रेडिट ग्रोथ से काफी ज्यादा है, जो 12-14 फीसद है. नए मानदंडों के ऐलान से कुछ दिन पहले, आरबीआई ने बैंकों और एनबीएफसी को अपने उपायों को कड़ा करने और अपने पोर्टफोलियो को समझदारी से बढ़ाने के लिए आगाह किया था. रिपोर्ट में कहा गया है कि केंद्रीय बैंक बैंकों को उनके बढ़ते असुरक्षित कर्ज पोर्टफोलियो के बारे में आगाह कर रहा था, हालांकि हाल ही में उसने व्यक्तिगत कर्ज में तीव्र वृद्धि के बारे में अपनी चिंताएं सार्वजनिक की थीं.

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