भविष्य की बेतार संचार टेक्नोलॉजी, इनसान, मशीन व डेटा के एक दूसरे पर जबरदस्त असर के साथ, मौजूदा जिंदगी को बदलकर रख देगी. यही नहीं, सैटेलाइट इंटरनेट दूर-दराज के इलाकों में भी संचार और ब्रॉडबैंड सेवाओं के असरदार विकल्प के तौर पर अवसरों की नई खिड़कियां खोल रहा है. और अगर डेटा भेजने के लिए एलईडी लाइट की ताकत का इस्तेमाल करने वाला लाइफ फिडेलिटी (एलआइएफआइ या लाइफाइ) अपनी संभावनाओं पर खरा उतरता है, तो स्पेक्ट्रम की कोई कमी नहीं होगी
नई दिलेर दुनिया
होलोग्राम्ड वर्क मीट, स्किन पैचेज से चौबीसों घंटे सातों दिन सेहत की निगरानी, सेंसरी ओवरलोड का वादा करने वाली एम्बेडेड डिवाइसें... 6जी हमारे काम करने, जीने और खेलने के तौर-तरीकों की नई इबारतें लिख देगा
संचार टेक्नोलॉजी में नेटवर्क का फोकस हर पीढ़ी के साथ बदल जाता है. 2जी और 3जी के जमाने में वॉयस और टेक्स्ट के जरिए इनसान से इनसान के बीच संचार होता था, तो 4जी ने डेटा की खपत के बुनियादी बदलाव का सूत्रपात किया, और 5जी ने इंटरनेट ऑफ थिंग्ज और औद्योगिक स्वचालन प्रणालियों को जोड़ने पर ध्यान दिया. 6जी की दुनिया में डिजिटल, भौतिक और मानवीय अबाध ढंग से इस तरह एक दूसरे में घुल-मिल जाएंगे कि अतिसंवेदी तजुर्बों का बायस बनेंगे.
यह गेमचेंजर क्यों है
यह तो पक्का है कि 6जी इनसानों के लिए 'छठी इंद्रिय’ का तजुर्बा होगा, जिसमें भौतिक इंद्रिय आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) से मिलेगी. फ्रीक्वेंसी या आवृत्ति 5जी के मुकाबले ज्यादा होगी और अपने साथ कम लेटेंसी या विलंबता (डेटा को एक स्रोत से अंतिम यूजर तक पहुंचने में लगने वाला समय) और ज्यादा बैंडविड्थ (नेटवर्क से एक समय में यात्रा कर सकने वाले अधिकतम डेटा की मात्रा) लेकर आएगी. कहा जा रहा है कि 6जी 1 माइक्रो सेकंड विलंबता वाले संचार को संभालता है, जिसका मोटे तौर पर मतलब है फिलहाल उपलब्ध रफ्तार से कई सौ गुना ज्यादा तेज रफ्तार से संचार और डेटा का स्थानांतरण.
आम लोगों के लिए इसका क्या मतलब होगा? एआइ के साथ प्रयोग किया जाए, तो टच कंट्रोल, इमेजिंग और लोकेशन की मालूमात सरीखी कार्यप्रणालियों में जबरदस्त सुधार हो पाने की उम्मीद है. तो सेल्फ-ड्राइविंग कारें एक दूसरे से बात कर पाएंगी और पैदल चलने वालों व यातायात के बीच रास्ता बना पाएंगी. स्मार्टफोन की जगह शायद पहनी जाने वाली स्मार्ट डिवाइस ले लेंगी, जो वास्तविक समय में इनसान के विचार और कार्य को सहारा देंगी. उम्मीद कीजिए कि वर्चुअल रियलिटी की जगह ऑग्मेंटेड रियलिटी आ जाएगी और होलोग्राफिक टेक्नोलॉजी कई ऐप में समाहित हो जाएगी. इस तरह, फर्ज कीजिए, वीडियो कॉन्फ्रेंस करने के बजाए आप लोगों के साथ वर्चुअल रियलिटी में वास्तविक समय में बातचीत कर सकेंगे, जिसमें पहने जा सकने वाले सेंसर या संवेदक आपको एक ही कमरे में साथ होने का एहसास करवाएंगे.
महारत हासिल करने के लिए भारत क्या करे
भारत ने हाल में 6जी से जुड़े 127 वैश्विक पेटेंट हासिल किए हैं, और अगर आइटी मंत्री अश्विनी वैष्णव की मानें तो देश 2030 तक पेटेंट में 10 फीसद हिस्सेदारी हासिल करना चाहता है. बेहद अहम यह है कि इनसान तथा मशीन के बीच और मशीन तथा मशीन के बीच संयुक्त कनेक्टिविटी विकसित की जाए. जब तक भारत को 6जी मिलता है, खरबों एम्बेड की जा सकने वाली डिवाइसों को सहारा और भरोसेमंद कनेक्शन देने की जरूरत होगी.
6जी के युग का बड़ा असर इस बात पर पड़ेगा कि सरकारें और उद्योग सार्वजनिक सुरक्षा और बेहद अहम परिसंपत्तियों के संरक्षण को कैसे देखते हैं, जैसे स्वास्थ्य सेवा, खतरे का पता लगाना, चेहरे से पहचान, कानून प्रवर्तन और सामाजिक ऋण प्रणालियों सरीखे क्षेत्रों में निर्णय लेना, और उसके अलावा वायु गुणवत्ता की माप और मौसम की निगरानी.
डिजिटल ट्विन मॉडल (वस्तु की वर्चुअल प्रतिकृति) और वास्तविक समय में साथ ही साथ होने वाले अपडेट के साथ सेंसर और एआइ और एमएल (मशीन लर्निंग) के बहुत बड़े पैमाने पर इस्तेमाल की बदौलत 6जी भौतिक दुनिया को इनसानी दुनिया से भी जोड़ देगा. डिजिटल ट्विन मॉडल भौतिक दुनिया में घट रही घटनाओं का विश्लेषण करने, संभावित नतीजे को सिम्युलेट करने, जरूरतों का अनुमान लगाने और फिर वापस भौतिक दुनिया में फलदायी कार्रवाई करने में मदद करेंगे.
5जी में पहले ही इस्तेमाल किए जा रहे डिजिटल ट्विन मॉडल 6जी में और भी ज्यादा बड़े पैमाने पर घटित होंगे. जहां स्मार्टफोन 6जी के जमाने में भी प्रमुख डिवाइस बने रहेंगे, इनसान-मशीन के नए इंटरफेस जानकारी की खपत और नियंत्रण को ज्यादा सुविधाजनक बना देंगे. जेस्चर और वॉयस कंट्रोल की जगह टचस्क्रीन टाइपिंग ले लेगी. डिवाइसें कपड़ों में लगी होंगी या स्किन पैचेज यानी त्वचा पर चिपकने वाले पट्टों में तब्दील हो सकती हैं.
स्वास्थ्य सेवाओं को जबरदस्त लाभ होगा क्योंकि पहनी जा सकने वाली डिवाइसों की बदौलत जीवनदायी मानदंडों की चौबीसों घंटे सातों दिन निगरानी की जा सकेगी.
इसके अलावा 6जी अनगिनत तरीकों से सततता और स्थायित्व को बढ़ावा देगा. यह ज्यादा तेज और कम लागत वाली प्रति बिट कनेक्टिविटी में समर्थ बनाकर डेटा संग्रह और उपकरणों की क्लोज्ड लूप कंट्रोल प्रणालियों को सहारा देगा. 6जी के साथ बेतार स्पेक्ट्रम से जुड़े नियामकीय ढांचे का भी जबरदस्त विस्तार करना होगा.
बदलाव के अगुआ
1. भारत 6जी एलायंस
• उद्योग की अगुआई में सरकार समर्थित समूह होने के नाते इसे इस बात पर ध्यान देना होगा कि नई टेक्नोलॉजी स्वास्थ्य, शिक्षा, मनोरंजन, कृषि, मौसम की भविष्यवाणी, जनसेवाओं और उत्पादकता इत्यादि क्षेत्रों को कैसे बढ़ावा दे सकती है
2. कैपजेमिनाइ
• इस टेक सेवा फर्म ने किंग्ज कॉलेज लंदन के साथ परियोजना में दिल्ली के नजदीक 6जी लैब खोली है, जहां 6जी की चुनौतियों का जवाब देने के लिए अगली पीढ़ी की कनेक्टिविटी, सिलिकन टेक्नोलॉजी और उन्नत एआइ के प्रोटोटाइप तैयार करके उनके सिम्यूलेशन व परीक्षण किए जाएंगे
3. दूरसंचार विभाग (डीओटी)
• डीओटी कुछ आइआइटी और निजी कंपनियों के साथ मिलकर दो स्वदेशी 6जी टेराहट्र्ज टेस्ट बेड—एक ऑर्बिटल एंग्यूलर मोमेंटम ऐंड मल्टीप्लेक्सिंग के लिए और दूसरा उन्नत ऑप्टिकल कम्यूनिकेशन के लिए—स्थापित करने के लिए 260 करोड़ रुपए का निवेश कर रहा है
• केंद्र ने डिजिटल संचार में नवाचार को बढ़ावा देने के लिए 66 स्टार्ट-अप और एमएसएमई को कुल 48 करोड़ रुपए का अनुदान दिया है.