आनंद चौधरी
भारत जोड़ो यात्रा के दौरान 16 दिसंबर, 2022 को राहुल गांधी ने जब यह कहा कि राजस्थान में चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना ने लोगों के दिलों से डर मिटा दिया है तो उस वक्त बहुत से लोगों ने इसे महज एक राजनीतिक बयान से ज्यादा कुछ नहीं समझा. इससे पहले एक नवंबर को बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से राजस्थान की चिरंजीवी योजना का परीक्षण करवाने और इसे पूरे देश में लागू करने की बात कही तब भी यह बात यूं ही राजनीतिक बयान की तरह आई गई हो गई. लेकिन बीती 18 जनवरी को नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) के सीईओ राम सेवक शर्मा ने जब चिरंजीवी योजना को देश की सबसे बेहतरीन योजना कहा तो पूरे देश की निगाहें इस योजना की तरफ टिक गईं.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना की यह तारीफ बेवजह नहीं है. इसे कुछ आंकड़ों से बड़ी आसानी से समझा जा सकता है. नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे—4 के अनुसार वर्ष 2016-17 तक राजस्थान की महज 19 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा योजना से कवर थी जो अब बढ़कर 88 फीसदी तक पहुंच चुकी है. यानी, पिछले पांच-छह साल में राजस्थान में 69 फीसदी आबादी को स्वास्थ्य बीमा से जोड़ा गया है. इसी का नतीजा है कि पांच साल पहले स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में राजस्थान देश में 23वें नंबर पर था जो अब पहले पायदान पर पहुंच चुका है. बीमा कवरेज के मामले में राजस्थान ने स्वास्थ्य के क्षेत्र में मॉडल माने जाने वाले केरल और आंध्र प्रदेश, जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है (देखें ग्राफ).
राजस्थान में स्वास्थ्य बीमा कवरेज पाने वाले परिवारों की तादाद राष्ट्रीय औसत से भी दो गुना ज्यादा है. देश में करीब 41 फीसदी आबादी स्वास्थ्य बीमा से कवर है वहीं राजस्थान की 88 फीसदी आबादी बीमित है. इस समय राजस्थान में कुल 1.75 करोड़ परिवारों में से 1.38 करोड़ परिवार मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना से जुड़े हुए हैं.
कई मायनों में राजस्थान की मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना से भी आगे है. आयुष्मान भारत योजना के तहत बीमित परिवार को 5 लाख रुपए तक के सालाना इलाज की सुविधा उपलब्ध है लेकिन चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 10 लाख रुपए तक के इलाज की सुविधा मिल रही है. आयुष्मान भारत में 1350 तरह के पैकेज और दवाइयां शामिल हैं जबकि चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में 1733 तरह की दवाइयां और पैकेज निशुल्क रूप से मिल रहे हैं. आयुष्मान भारत योजना में सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011 के पात्र परिवारों को ही जोड़ा गया है जबकि चिरंजीवी योजना में अधिकांश आबादी को शामिल किया गया है.
आयुष्मान भारत योजना में अंग प्रत्यारोपण (ऑर्गन ट्रांसप्लांट) और दुर्घटना बीमा शामिल नहीं है जबकि चिरंजीवी योजना में ऑर्गन ट्रांसप्लाट और कॉकलेयर ट्रांसप्लांट (बहरेपन को दूर करने वाली सर्जरी) का पूरा खर्च सरकार की ओर से वहन किया जा रहा है. अंग प्रत्यारोपण की पूरी प्रक्रिया बेहद महंगी है. इस लिहाज से यह आम परिवारों के लिए बहुत बड़ी आर्थिक चुनौती बन सकती है. हालांकि चिरंजीवी जैसी योजना के चलते ऐसे कई लोग इस चुनौती से आसानी से पार पा रहे हैं. जयपुर के रामसिंहपुरा गांव के मोहन लाल मीणा का मामला ऐसा ही है.
34 साल के मोहन लाल की पिछले दो साल में हार्ट और किडनी की दो बड़ी सर्जरी हो चुकी हैं. अक्तूबर 2021 में उनकी हार्ट सर्जरी हुई और एक साल बाद ही अगस्त 2022 में उनकी एक किडनी के खराब हो जाने पर पिता की किडनी ट्रांसप्लांट की गई. निजी अस्पतालों में हुई इन दोनों सर्जरी पर 30 लाख रुपए से ज्यादा राशि खर्च हुई लेकिन राजस्थान चिरंजीवी योजना के तहत हुए इस इलाज के लिए मोहन लाल को एक रुपया भी नहीं देना पड़ा. एक टेंट हाउस में काम करने वाले मोहन लाल कहते हैं, ''अगर चिरंजीवी योजना नहीं होती तो मैं अपना घर और जमीन बेचकर भी इलाज नहीं करवा पाता.''
जयपुर की ही 19 साल की अंतिमा पिछले दो साल से फेफड़ों के कैंसर से लड़ाई लड़ रही हैं. उनका इलाज जयपुर के एक निजी अस्पताल में चल रहा है. अब तक अंतिमा के इलाज पर 7 लाख रुपए खर्च हुए हैं जिसका पूरा वहन राजस्थान चिरंजीवी योजना के तहत हुआ है. भविष्य में भी अंतिमा के इलाज पर जितना खर्चा होगा वह इसी योजना के तहत किया जाएगा. कैंसर जैसी घातक बीमारियों के इलाज के साथ ही लाभार्थी परिवार का पांच लाख रुपए तक का दुर्घटना बीमा भी इस योजना में शामिल है.
मुफ्त दवा व जांच लागू करने में पहला राज्य
देश में मुफ्त दवा व जांच प्रणाली लागू करने वाला राजस्थान पहला राज्य है. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने दूसरे कार्यकाल में 2 अक्तूबर 2011 को मुफ्त दवा योजना लागू की थी. शुरुआत में 971 तरह की दवाइयां व सर्जिकल आइटम इस योजना में शामिल किए गए थे लेकिन बाद में धीरे-धीरे इनका दायरा बढ़ाकर 1500 तक कर दिया गया. मुफ्त दवा योजना की सफलता को देखते हुए राज्य सरकार ने 7 अप्रैल, 2013 को प्रदेश के सभी सरकारी अस्पतालों में निशुल्क जांच योजना भी शुरू कर दी. शुरुआत में इस योजना में 271 तरह की जांचें शामिल हुईं बाद में इस श्रेणी में सीटी स्कैन और एमआरआई जैसी महंगी जांचों को भी शामिल कर लिया गया. इस बार सरकार ने इसके आगे जाकर निजी अस्पतालों में भी निशुल्क जांच के लिए चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना लागू की है.
मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना के तहत आने वाले करीब 1 करोड़ 25 लाख परिवार ऐसे हैं जिनसे किसी तरह का प्रीमियम नहीं लिया जाता. राजस्थान में महज 13 लाख 20 हजार परिवार ऐसे हैं जिनसे 850 रुपए सालाना प्रीमियम लिया जाता है तथा बदले में उन्हें किसी भी सरकारी और निजी अस्पताल में भर्ती होने पर 10 लाख रुपए तक के कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध है. 1 मई, 2021 को शुरू हुई इस योजना से 846 सरकारी और 874 निजी अस्पताल जुड़े हैं. इस योजना के तहत राजस्थान में बीमित परिवारों को सरकारी और निजी अस्पतालों में 10 लाख रुपए तक की कैशलेस सुविधा उपलब्ध है. हार्ट, किडनी जैसे ऑर्गन ट्रांसप्लांट होने पर कैशलेस सुविधा 10 लाख रुपए से ज्यादा भी हो सकती है.
इसी का नतीजा है कि अंतिमा और मोहन लाल जैसे 32 लाख लोगों का चिरंजीवी योजना के कारण मुफ्त इलाज संभव हो पाया है और इसी कारण यूनिर्वसल हेल्थ केयर मॉडल में राजस्थान की देश में अलग पहचान बनी है.