कोविड-19 महामारी से उपजे विघ्नों के कारण दो साल के अंतराल के बाद, इंडिया टुडे का मुंबई कॉन्क्लेव हुआ और अंदर की खबरों, मनोरंजन और बहस-मुबाहिसों से भरपूर दो दिनों के रोमांचक आयोजन के साथ इसकी वापसी शानदार रही. राजनीति, कानून और समाज से लेकर व्यवसाय और फिल्मों तक, विभिन्न क्षेत्रों की नामचीन हस्तियां इस मंच पर आईं और वर्तमान में देश के सामने नजर आते सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर खुलकर बात की.
पहले दिन की शुरुआत मेजबान राज्य महाराष्ट्र के राजनैतिक माहौल पर चर्चा के साथ हुई, जिसमें महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने जोर देकर कहा कि उनका गुट शिवसेना के दिवंगत संस्थापक बालासाहेब ठाकरे की विरासत का सच्चा संरक्षक है. इसके बाद ठाकरे के पोते और युवा विधायक आदित्य ठाकरे के साथ चर्चा हुई और उन्होंने अब एक विभाजित और टूटी हुई पार्टी के भविष्य को लेकर अपनी अंतर्दृष्टि रखी.
इसके अलावा लेखक वैभव पुरंदरे के साथ एक चर्चा व्यापक रूप से सम्मानित मराठा शासक छत्रपति शिवाजी की विरासत पर भी केंद्रित थी, जिसमें उन्होंने जोर देकर बताया कि शूरवीर महाराजा ने कैसे ''विभिन्न धर्मों के प्रति सम्मान या धार्मिक बहुलता’’ को बढ़ावा दिया.
महिला नेताओं ने अपने साथ होने वाले पूर्वाग्रहों के बारे में बात की और शिवसेना नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि संसद में अधिक संख्या में महिलाओं के होने का मतलब होगा कि संसद की कार्यवाही ''अधिक मजेदार, न्यायसंगत और समावेशी’’ होगी. पहले दिन के कार्यक्रम का समापन कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कॉलेजियम प्रणाली में सुधार की जरूरत को दोहराते हुए किया और परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव तक सड़क दुर्घटनाओं में 50 प्रतिशत की कमी आएगी.
मुंबई बॉलीवुड का भी घर है इसलिए सितारों की शिरकत तो लाजमी था. कॉन्क्लेव में चार चांद लगाने को कई बॉलीवुड सितारे आए. अभिषेक बच्चन, राधिका आप्टे और राजकुमार राव जैसे अभिनेताओं ने बताया कि कैसे ऑनलाइन स्ट्रीमिंग ने मनोरंजन उद्योग को बदला है और अभिनेता यश ने कर्नाटक से केजीएफ के बाद पूरे देश में लोकप्रिय अभिनेता बनने की अपनी यात्रा के बारे में बताया.
अभिनेत्री भूमि पेडनेकर ने जलवायु परिवर्तन जैसे गंभीर विषय पर बात की और वरुण धवन की इस स्वीकारोक्ति ने सुर्खियां बटोरीं कि बॉलीवुड फिल्में अभी संघर्ष कर रही हैं. इस बीच, क्रिकेटर शिखर धवन ने अपने कुछ स्लीक डांस मूव दिखाकर सबको हैरान कर दिया.
अर्थव्यवस्था पर भी चर्चा हुई और ऊंची महंगाई को चिंताजनक माना गया. गांजे को लेकर गलत धारणाएं और 'मूनलाटिंग (नौकरी के अलावा कुछ स्वतंत्र काम)’ जैसे चर्चित मुद्दे भी बहस रहे.
लेखक देवदत्त पटनायक ने बहुलतावाद के लिए सम्मोहक तर्क दिया, जबकि अमेरिकी समाजशास्त्री सैल्वेटोर बाबोन्स यह कहकर दक्षिणपंथियों के पसंदीदा हो गए हैं कि ''भारत का बुद्धिजीवी वर्ग भारत विरोधी है.’’ कॉन्क्लेव में में ग्रुपॉन के सीईओ से यूट्यूबर बने अंकुर वारिकू और स्वामी गौर गोपाल दास भी थे, जिन्होंने खुशी और सफलता के टिप्स दिए.
सुर्खियों के हकदार
हम लोगों को (सड़क दुर्घटनाओं के बारे में) शिक्षित कर रहे हैं, कानून में बदलाव ला रहे हैं. लेकिन जनता और मीडिया को हमारा सहयोग करना होगा
नितिन गडकरी, केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री
नजरिया: अर्थव्यवस्था
हम प्रतिस्पर्धी संघवाद, सहकारी संघवाद और सहयोगी संघवाद में विश्वास करते हैं. भारत तभी आगे बढ़ सकता है जब सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश मिलकर काम करें
पीयूष गोयल, केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री खास बात
जज, आज कॉलेजियम सिस्टम से खुश नहीं हैं... योग्यतम उम्मीदवारों को जज बनाया जाना चाहिए न कि उस व्यक्ति को जिसे कॉलेजियम के सदस्य जानते हों
किरेन रिजिजू, केंद्रीय विधि एवं न्याय मंत्री खास बात
मैंने जो किया (उद्धव ठाकरे से अलग होकर भाजपा के साथ गठबंधन) बगावत नहीं, विद्रोह था... मैंने यह विचारधारा के लिए किया जिस पर बालासाहेब (ठाकरे) हमेशा अडिग रहे
एकनाथ शिंदे, मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र
नजरिया: राजनीति
(क्योंकि) जब हम विपक्ष में थे तो शिवसेना ने हमारे साथ जिस तरह का व्यवहार किया, जिस तरह उद्धव ठाकरे ने हमारी पीठ में छुरा घोंपा, हम बदला लेने का मौका ढूंढ रहे थे....भाजपा शिंदेजी की शिवसेना के साथ मिलकर राज्य में सभी आगामी चुनाव लड़ेगी
देवेंद्र फडणवीस, उप-मुख्यमंत्री, महाराष्ट्र
चर्चा में
‘‘मैंने और मेरे पिता ने उन पर (विद्रोहियों पर) आंख मूदकर भरोसा किया. हम उन्हें अपना मानते रहे... हमने सोचा कि राजनीति बहुत गंदी जगह नहीं है... मैं इसका दोष अपने ऊपर लेता हूं कि हमने उनकी तरह गंदी राजनीति नहीं की’’
आदित्य ठाकरे अध्यक्ष, युवा सेना
मार्के की बात
‘‘समस्या यह है कि लोकतंत्र की सारी रैंकिंग सर्वेक्षणों पर आधारित होती हैं. लिहाजा, सबमें एक ही मेथडोलॉजी होती है. वे देश में रहने वाले बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और अकादमिक लोगों या देश में पढ़ने वाले विदेशी स्टुडेंट्स का सर्वेक्षण करते हैं.
बुनियादी तौर पर पूर्वाग्रह इसलिए नहीं आते कि सर्वेक्षण करने वाले संगठन भारत विरोधी हैं. पूर्वाग्रह इस वजह से आ जाते हैं, और मुझे माफ कीजिएगा, कि भारत का बुद्धिजीवी वर्ग, व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि वर्ग के रूप में, भारत विरोधी है.
सैल्वेटोर बाबोन्स, समाजशास्त्री और एसोसिएट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी ऑफ सिडनी
बीच बहस में: अर्थव्यवस्था
मुझे उम्मीद है कि महंगाई दर कुछ समय के लिए 6-7 प्रतिशत के दायरे में बनी रहेगी. जिंसों की कीमतों में तेजी की उम्मीद है
महेश व्यास, प्रबंध निदेशक और सीईओ, सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी प्रा. लि.
कर संग्रह और यात्रा में वृद्धि हुई है...लेकिन निर्यात, जिसमें सेवाओं का निर्यात भी है, कमजोर हो रहा है
नीलकंठ मिश्रा, सह-प्रमुख, एशिया पैसिफिक स्ट्रैटेजी, इंडिया इक्विटी स्ट्रैटेजिस्ट, क्रेडिट सुइस
हमें दुनिया भर में आंशिक मंदी का अंदेशा है. भारत के लिए अगली दो तिमाहियों में मुश्किल होगी
प्रांजुल भंडारी, प्रबंध निदेशक, चीफ इंडिया स्टैटेजिस्ट, आसियान इकोनॉमिस्ट, एचएसबीसी
भारत कोविड के झटके को झेल गया. कॉर्पोरेट सेक्टर अच्छा कर रहा है. लेकिन निजी निवेश को उड़ान भरने की जरूरत है
अभीक बरुआ, मुख्य अर्थशास्त्री और कार्यकारी उपाध्यक्ष, एचडीएफसी बैंक
के-आकार की रिकवरी हो रही है. ग्रामीण (भारत) में विकास नहीं हो रहा है... केंद्र पुनर्वितरण पर जोर दे
अजीत रानाडे, कुलपति, गोखले राजनीति और अर्थशास्त्र संस्थान, पुणे
गरम मुद्दा: राजनीति
‘‘तमिलनाडु में हर कोई जानता है कि द्रविड़ आंदोलन की अवधारणा ने अपना आकर्षण खो दिया है’’
के. अन्नामलाई, प्रदेश अध्यक्ष, तमिलनाडु भाजपा
‘‘कांग्रेस पार्टी की स्थिति आज देश में एक लुप्तप्राय प्रजाति जैसी है और विलुप्त होने के रास्ते पर है’’
तेजस्वी सूर्या, सांसद और अध्यक्ष, भाजपा युवा मोर्चा
‘‘जब कांग्रेस सत्ता में थी तब (भाषा) कोई मुद्दा नहीं था. जब भाजपा सत्ता में है तो क्यों हो रहा है? क्योंकि आपने इसे थोपा है’’
दिनेश गुंडू राव, कांग्रेस नेता, प्रभारी गोवा,
तमिलनाडु और पुदुच्चेरी
‘‘भाई-भतीजावाद की बहस में न पड़ें. यह देश के सभी राजनैतिक दलों में है. द्रमुक में ही नहीं, भाजपा और कांग्रेस में भी है’’
कनिमोई एन.वी.एन. सोमू, सांसद, द्रमुक
बीच बहस में: हिंदुत्व
‘‘हिंदू शब्द का अस्तित्व ही राजनैतिक है. हिंदू धर्म और हिंदुत्व के बीच का अंतर एक मिथ्या है’’
हर्ष गुप्ता मधुसूदन, निवेशक और लेखक
‘‘अगर आज हर कोई अतीत की गलतियों को सुधारना शुरू कर दे तो उसके संघातिक परिणाम हो सकते हैं’’
पवन के वर्मा, लेखक-राजनयिक और पूर्व सांसद (राज्यसभा) गरम मुद्दा: स्त्री-पुरुष समानता
‘‘अगर मुकाबले में कोई अच्छा पुरुष उम्मीदवार हो तो स्त्रियों को किसी महिला उम्मीदवार को ही वोट देना जरूरी नहीं है’’
पंकजा मुंडे, राष्ट्रीय सचिव, भाजपा
‘‘अधिक समान, समावेशी और प्रगतिशील माहौल के लिए यकीनन संसद में अधिक महिला सदस्यों की जरूरत है’’
प्रियंका चतुर्वेदी, सांसद (राज्यसभा)
‘‘अलबत्ता नेताओं की बेटी होने से राजनीति में प्रवेश आसान हो जाता है, लेकिन वहां कायम रहने के लिए आपका काम ही अहम है’’
प्रणिती शिंदे, कांग्रेस विधायक
‘‘ सांसद बनना डॉक्टर बनने से कहीं ज्यादा मुश्किल है, क्योंकि इसका कोई कोर्स नहीं होता, जिसे कर लिया जाए.’’
हिना गावित, सांसद, भाजपा
बाएं से प्रिया अग्रवाल हेब्बर, ऐश्वर्या श्रीधर, नेहा नाइकवाडे, भूमि पेडनेकर, बर्जिश ड्राइवर रण सरोकार
पर्यावरण सरोकार
‘‘दुनिया उद्योग के बिना प्रगति नहीं कर पाएगी, लेकिन कारोबार टिकाऊ तकनीक के सहारे ही करना होगा.’’
प्रिया अग्रवाल हेब्बर
नॉन-एग्जीक्यूटिव डाइरेक्टर, वेदांता लिमिटेड
‘‘हम प्लास्टिक का इस्तेमाल रोकने जैसे उपाय अपना सकते हैं. उपयोग घटाने, रिसाइकिल करने, दोबारा इस्तेमाल करने का मंत्र अपनाना होगा.’’
ऐश्वर्या श्रीधर, वन्यजीव फोटोग्राफर
‘‘युवाओं को मौजूदा स्थिति को अवसर की तरह लेना चाहिए और जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर अधिक गंभीर होना चाहिए.’’
नेहा नाइकवाडे, संयुक्त राष्ट्र जलवायु येवा नेता
‘‘यह हमारी जवाबदेही है कि हम भावी पीढ़ियों को वही सौंपें, जो हमें मिला है...शुद्ध भोजन, स्वस्थ धरती और पीने लायक पानी’’
भूमि पेडनेकर, अभिनेता और जलवायु एक्टिविस्ट
गरम मुद्दा: मराठी गौरव
‘‘शिवाजी ने जिम्मेदार शासन, मिलेजुले प्रशासन का चलन शुरू किया और धार्मिक बहुलतावाद को जोरशोर से आगे बढ़ाया, जबकि औरंगजेब इस सबके खिलाफ था’’
वैभव पुरंदरे, लेखक, शिवाजी: इंडियाज ग्रेट वारियर किंग
‘‘शिवाजी ने दिखाया कि कैसे धार्मिक प्रतिष्ठान बिना आधिपत्य कायम किए राजनैतिक प्रतिष्ठान के साथ काम कर सकता है’’
अमोल कोल्हे, अभिनेता और राकांपा सांसद
‘‘शिवाजी अनोखी शख्सियत थे और हर राजनैतिक विचारधारा उनमें अपने लिए कुछ पा सकती है’’
मनु एस. पिल्लई, इतिहासकार और लेखक
नजरिया: कूटनीति
‘‘‘ऋषि सुनक भारतीय मूल के हैं और हिंदू हैं लेकिन वे दिल और दिमाग से ब्रिटिश हैं’’
‘‘हम ऐसी दुनिया नहीं देख सकते, जिसमें भारत की प्रगति के बिना ब्रिटेन प्रगति कर रहा हो. दोनों के हितों में परस्पर साझापन है और भविष्य में यह और बढ़ेगा’’
एलेक्स एलिस, भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त
बीच बहस में: संस्कृति
मैं नहीं सोचता कि भारत में कोई भी बहुसंख्यक है...यह अल्पसंख्यकों का जमावड़ा है. और कई अल्पसंख्यक मिलकर हित समूह बनाते हैं
देवदत्त पटनायक, माइथोलॉजिस्ट और लेखक
गुरु वाणी: जीवन के सबक
नेतृत्व क्षमता अहमियत और सरोकार का भाव पैदा करने की कला है. लोग तभी वफादार और आपके आसपास होंगे, जब उनके साथ अच्छा बर्ताव होगा
स्वामी गौर गोपाल दास
पर्सनल कोच, संन्यासी और लेखक
खास बात: वातावरण
भारत में एक करोड़ नौकरियों के सृजन की दरकार है...अभी हम
आधे पर पहुंचे हैं और बहुत कुछ करना बाकी है.
विक्रम एस. गांधी संस्थापक, आशा इंपैक्ट, वरिष्ठ लेक्चरर, हार्वर्ड बिजनेस स्कूल
भारत में अभी भी संस्कृत बोलने का आत्मविश्वास नहीं है, क्योंकि उसे मरा हुआ मान लिया गया है
जे. साई दीपक, वकील, लेखक
हम अतीत को बुझा नहीं सकते. हम उस पर निर्माण कर सकते हैं, उसे विकसित कर सकते हैं....हम यह भूल-से गए हैं कि हम एक सभ्यता हैं
ए.जी. कृष्ण मेनन, इतिहासकार, लेखक, पत्रकार
औपनिवेशिकता भारत के इतिहास का हिस्सा है...हमें विकास की जरूरत है. भारत में लोगों के दिमाग को औपनिवेशिक असर से मुक्त करना लंबी प्रक्रिया है
संजय निरुपम, पूर्व कांग्रेस सांसद क्रिकेट कथा
आइपीएल से भारतीय क्रिकेट को काफी फायदा मिला...मैंने जब शुरुआत की थी, तबसे आत्मविश्वास काफी बढ़ गया है
शिखर धवन, क्रिकेटर
मनोरंजन: हकीकी एहसास
महिलाएं चुप नहीं रहतीं. वे गुस्से में होती हैं तो गुस्सा निकाल देती हैं. वे परेशान होती हैं तो बता देती हैं...ईमानदारी से कहूं तो मुझे पुरुषों में ऐसा नहीं दिखता
नीलम कोठारी, अभिनेत्री
सिनेमा: बॉलीवुड को फिर बुलंदी दो
अगर कंतारा काफी अच्छा कर रही है...हमें उन फिल्मों से प्रेरणा लेनी चाहिए और साथ काम करने की कोशिश करनी चाहिए
वरुण धवन, अभिनेता
सिनेमा
सिने ऐसा नहीं है कि दक्षिणी फिल्में चल रही हैं और बॉलीवुड की नहीं...मुझे लगता है कि यह किफायत, प्राथमिकता और बदलते रुझान का मामला है
रकुल प्रीत सिंह, अभिनेत्री
सिर्फ इसलिए कि हमारी (दक्षिण) चीजें चल रही हैं, मैं बॉलीवुड, संदलवुड यानी वुड जैसे शब्दों पर यकीन नहीं करता. मैं नहीं कह सकता कि 'हमने आपको पीछे छोड़ दिया है और बॉलवुड खत्म हो जाएगा’...बस अच्छा काम कीजिए. दर्शक यह नहीं देखता कि कहां से आ रहा है
केजीएफ की सफलता का स्तर कई लोगों को चौंका गया...हम जिसका जश्न मना रहे हैं, वह उसका एक अंश भर है, जो हम कर सकते हैं...भारत के पास देने को बहुत कुछ है. अगर हम सभी एक साथ जुड़ जाएं तो हम बहुत बड़ा पेश कर सकते हैं. हमने तो सिर्फ 5 से 10 फीसद क्षमता को ही हासिल किया है
नंबर हों तभी लोग आपका आदर करते हैं...हर कोई कन्नड़ फिल्म इंडस्ट्री की ओर देख रहा है, क्योंकि हमने काफी नंबर हिट किए हैं...अगर मैं देश भर में स्वीकार हो सकता हूं तो कोई भी हो सकता है
यश, अभिनेता
मनोरंजन: धमाकेदार सीरिज
डिजिटल स्ट्रीमिंग साइटों के आगमन से प्रतिभा का भारी लोकतंत्रीकरण हो गया है...ये नंबर आगे नहीं करते. इससे कंटेंट पर फोकस बना रहता है
अभिषेक बच्चन, अभिनेता
संगीत स्वर
अब आपको आलोचक मुश्किल से मिलते हैं. आलोचक उतने बुरे नहीं हैं, ट्रॉल्स बुरे हैं, क्योंकि वे निरे बकवास होते हैं...मैं नहीं जानता कि उनसे कैसे निबटा जाए...अब मैं उन पर ध्यान ही नहीं देता
प्रतीक कुहाड़, गायक और गीतकार
आइडिया यह है कि दायरे को फैलाओ और ऐसे महिला पात्र को पेश करो, जो वास्तविक और त्रिआयामी हों, घरेलू रसोई वाली टाइप न हों
हुमा कुरैशी, अभिनेत्री
मैं भले ही दिखने में सबसे अच्छा नहीं हूं... लेकिन मैं सबसे ज्यादा मेहनती हूं...मैं ऐक्टिंग बड़े आराम से कर सकता हूं. मुझे अपना सौ फीसद देना है
राजकुमार राव, अभिनेता
ओटीटी प्लेटफॉर्म पर...आपकी तुलना दुनिया भर के शो से होती है. आपका स्टैंडर्ड उनसे मिलना चाहिए
राधिका आप्टे, अभिनेत्री
प्रथम पुरुष: साइबरटॉक
मैं किसी नामी कॉलेज या कंपनी में नहीं गया और मैं आज भी पहले जैसा हूं...मैं अपनी सभी नाकामियों को बटोरकर कहानी बना देता हूं
अंकुर वारिकू, मेंटर, एंजेल इन्वेस्टर, लेखक.