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खत्म हुआ सुहाना सफर?

वॉल्ड पर 275 कॉइन सूचीबद्ध थे और इसने क्रिप्टो उधार देकर पैसा बनाया

क्रिप्टोकरेंसीः  ज्यादा जोखिम
क्रिप्टोकरेंसीः ज्यादा जोखिम
अपडेटेड 19 जुलाई , 2022

वर्तमान में क्रिप्टोकरेंसी की दुनिया में कुछ भी सही नहीं हो रहा. क्रिप्टो प्लेटफॉर्मों की साख को एक और झटका लगा, जब सिंगापुर स्थित क्रिप्टो कर्जदाता प्लेटफॉर्म वॉल्ड ने जुलाई की शुरुआत में जमा और निकासी के सारे काम रोक दिए और करीब 8,00,000 ग्राहकों को अधर में छोड़ दिया. वॉल्ड की स्थापना दो भारतीय उद्यमियों दर्शन बठिजा और संजू कुरियन ने की थी. मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया कि इसका इस्तेमाल करने वालों में अधिकतर भारतीय थे और उसके प्रबंधन के तहत आने वाली परिसंपत्तियों में उनका हिस्सा 20 फीसद था.

इस प्लेटफॉर्म पर रोज 1-1.5 करोड़ डॉलर (79.5 करोड़-119.2 करोड़ रुपए) का लेन-देन हो रहा था. कंपनी का उद्देश्य ''पारंपरिक बैंकों के मुकाबले ज्यादा तेज, सुरक्षित और विकेंद्रीकृत बैंकिंग व्यवस्था का निर्माण करना'' था और उसने अपने फैसले के लिए बाजार के डांवांडोल हालात को दोषी ठहराया. इसके कुछ ही वक्त पहले अमेरिका स्थित सेल्सियस नेटवर्क और वोयेजर डिजिटल सरीखे क्रिप्टो प्लेटफॉर्म ने भी ट्रेडिंग रोककर हजारों निवेशकों को मुश्किल में डाल दिया.

साल 2018 में बनी वॉल्ड ने क्रिप्टो की जमापूंजी पर यूजर्स एसआइपी (व्यवस्थित निवेश योजना) के विकल्प और ऊंचा ब्याज देकर लंबे वक्त के निवेश को बढ़ावा दिया. इसके प्लेटफॉर्म पर 275 कॉइन सूचीबद्ध थे. दूसरे क्रिप्टो एक्सचेंज के विपरीत वॉल्ड ने ब्रोकरेज से तो आमदनी नहीं की, पर दूसरों को क्रिप्टो करेंसियां उधार देकर पैसा बनाया. मगर मई में स्टेबलकॉइन टेरायूएसडी के टूटने के बाद क्रिप्टो में बड़ी गिरावट के चलते निवेशक एक्सचेंज से धन निकालने लगे. कंपनी के सीईओ बठिजा ने 4 जुलाई को एक बयान में कहा, ''यह (गतिविधियों पर रोक) बाजार की डांवांडोल स्थिति, हमें प्रभावित करने वाले हमारे प्रमुख बिजनेस पार्टनरों की वित्तीय मुश्किलों और बाजार के मौजूदा माहौल जैसी मिली-जुली परिस्थितियों के कारण है.''

उन्होंने कहा कि टेरायूएसडी के पतन, सेल्सियस नेटवर्क के संकट और सिंगापुर स्थित क्रिप्टो हेज फंड थ्री एरोज कैपिटल के अपने कर्ज चुकाने से चूकने के कारण 12 जून को जब क्रिप्टो बाजार गिरे, उसके बाद से ग्राहकों ने 19.77 करोड़ डॉलर (1,572 करोड़ रुपए) की रकम निकाली. फिर 5 जुलाई को वॉल्ड ने कहा कि उसने क्रिप्टो प्लेटफॉर्म नेक्सो के साथ टर्म शीट पर दस्तखत किए थे, जिसमें वह फर्म की 100 फीसद हिस्सेदारी खरीद सकता है. इस बिक्री को अभी पूरा होना है.

ऐसे पतन से क्रिप्टो मुद्राओं या उन्हें वैधता देने के खिलाफ दलील पुख्ता होती है, खासकर जब क्रिप्टो विधेयक पर अभी काम ही चल रहा है. भारतीय रिजर्व बैंक इसका मुखर आलोचक रहा है. इसके गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि अंतर्निहित संपत्तियों के बिना अवास्तविक चीज से मूल्य हासिल करने वाली कोई भी चीज सट्टा ही है.

उद्योग के नवंबर 2021 तक के अनुमान के मुताबिक, 1.5-2 करोड़ भारतीयों ने डिजिटल प्लेटफॉर्मों पर क्रिप्टो में करीब 6 अरब डॉलर (47,712 करोड़ रुपए) लगा रखे थे. इस साल के बजट में क्रिप्टो की खरीद-फरोख्त पर 30 फीसद कर लगाए जाने से भी निवेशक हिल गए थे. यह कर इस साल 1 जुलाई से लागू हो गया. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, 40 भारतीय क्रिप्टो एक्सचेंजों में दैनिक खरीद-फरोख्त में काफी गिरावट देखी गई. कुछ ने साफ कर दिया कि वे क्रिप्टो उधार देने के कारोबार में नहीं थे. क्रिप्टो एक्सचेंज कॉइनस्विच कुबेर के सह-संस्थापक और सीईओ आशीष सिंघल कहते हैं, ''क्रिप्टो उद्योग में कई बिजनेस मॉडल हैं. कुछ दूसरों के मुकाबले ज्यादा जोखिम भरे हैं और तितर-बितर हो सकते हैं.'' मौजूदा तबाही इसी वजह से है. 

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