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क्या तीसरी लहर आ रही है?

विशेषज्ञों का कहना है कि तीसरी लहर में अधिक केस उन राज्यों से आएंगे जहां वायरस के डेल्टा स्ट्रेन का प्रसार अभी तक कम हुआ है

वायरस की निगरानी 5 अगस्त को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर होती कोविड टेस्टिंग
वायरस की निगरानी 5 अगस्त को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर होती कोविड टेस्टिंग
अपडेटेड 18 अगस्त , 2021

सोनाली आचार्जी

अगस्त के पहले हफ्ते में, भारत में लगातार आठ दिनों तक कोविड के मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई. 27 जुलाई से 2 अगस्त के बीच कोरोना वायरस के कुल 2,55,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए जो इसके पिछले हफ्ते के मुकाबले 8 फीसद की उछाल थी. 9 अगस्त को 24 घंटों के भीतर महज 27,421 नए मामले सामने आए, जो मार्च के बाद सबसे कम थे. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, कोविड की दूसरी लहर अभी खत्म नहीं हुई है, इसकी महज तीव्रता में कमी आई है. अगर एहतियातों को पूरी तरह नजरअंदाज किया जाता रहा तो एक दिन में सामने आ रहे मामलों में गिरावट का आंकड़ा सिर के बल खड़ा हो सकता है. मिसाल के तौर पर, 8 मार्च को, जब 18,000 रोज से केस घटकर 15,000 रोजाना पर आ गए, तो उसके बाद ठीक एक हफ्ते में ही यह संख्या 40,000 रोजाना पर पहुंच गई और दूसरी लहर की शुरुआत हो गई थी.

पब्लिक हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया (पीएचएफआइ) के अध्यक्ष प्रो. के. श्रीनाथ रेड्डी कहते हैं, ''जब तक आबादी का बड़ा हिस्सा टीकाकृत न हो जाए, हमें सावधान रहने की जरूरत है. हमें यह मानकर नहीं चलना चाहिए कि हमने सामुदायिक प्रतिरोध हासिल कर लिया है, अभी भी ऐसी जगहें हैं जहां वायरस का प्रसार नहीं हो पाया है. तीसरी लहर की तीव्रता इस बात पर निर्भर करेगी कि हमने कोविड अनुरूप बर्ताव को कितना अपनाया है.'' जुलाई में रिलीज आइसीएमआर (भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद) का चौथा सीरो सर्वे बताता है कि करीब 68 फीसद भारतीयों में कोविड के खिलाफ ऐंटीबॉडी विकसित हो चुके हैं. वहीं, इस सर्वे में पाया गया कि मध्य प्रदेश, राजस्थान, बिहार और झारखंड में सीरो पॉजिटिविटी अधिक पाई गई, केरल, हरियाणा, महाराष्ट्र, असम और पूर्वोत्तर के अधिकतर राज्यों में यह दर कम थी. अधिक सीरोपॉजिटिविटी दर बताती है कि आबादी के बड़े हिस्से में कोविड के खिलाफ ऐंटीबॉडी मौजूद है.

इस सर्वे के परिणामों से कइयों को सुरक्षा के भाव का एहसास हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञ इस बात को लेकर स्पष्ट हैं कि अभी सावधानी कम करने का वक्त नहीं है. सेंटर फॉर सेल्युलर ऐंड मोलिक्युलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) के पूर्व निदेशक डॉ. राकेश मिश्र कहते हैं, ''अंतरराज्यीय सफर जारी है. अधिक सीरोपॉजिटिविटी वाले राज्यों के लोग अगर कम सीरोपॉजिटिविटी वाले राज्य में जाएंगे तो उन पर संक्रमण का खतरा रहेगा. भारत जैसे बड़े देश में यह राज्यस्तरीय सीरोपॉजिटिविटी है—कोई राष्ट्रीय आंकड़ा नहीं है—जिससे हर्ड इम्युनिटी तैयार होती है.'' सीसीएमबी, इंडियन सार्स-सीओवी-2 जीनोमिक्स कंसॉर्शियम या आइएनएसएसीओजी का हिस्सा है.

क्या तीसरी लहर आ रही है?
क्या तीसरी लहर आ रही है?

तीसरी लहर राष्ट्रीय होगी या स्थानीय?

हालांकि, राष्ट्रीय स्तर का कुल आंकड़ा ही यह तय करेगा कि तीसरी लहर आई है या नहीं. विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक आंकड़े उन राज्यों से आएंगे जहां वायरस के डेल्टा स्ट्रेन का अभी तक प्रसार कम हुआ है. अध्ययन बताते हैं कि डेल्टा वैरिएंट भारत में पहले संक्रमण फैला रहे अल्फा स्ट्रेन से 40 से 60 फीसद अधिक संक्रामक हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि हाल के वक्त में संक्रमण के मामलों में आई बढ़ोतरी उन राज्यों से हैं जो मई की दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के आंकड़ों के खतरनाक अंदाज में उच्च स्तर तक पहुंचने वाले राज्यों की सूची में नहीं हैं. मौजूदा वक्त में, केरल में सक्रिय मामलों की संख्या सर्वाधिक है, जो कुल राष्ट्रीय स्तर पर रोज आ रहे संक्रमणों का करीब आधा हैं. यहां पर आइसीएमआर के सर्वे में सीरोपॉजिटिविटी सबसे कम (44 फीसद) वाले राज्यों में था.

मिजोरम में 25 जुलाई को 938 नए मामलों के साथ अब तक का एक दिन का सबसे अधिक संक्रमण का आंकड़ा दर्ज किया गया है. इससे पहले, राज्य में नए केसों में मामूली वृद्धि देखी जा रही थी. मणिपुर, नगालैंड और अरुणाचल प्रदेश पूर्वोत्तर के अन्य राज्य हैं जहां मामले बढ़ रहे हैं. इस वजह से कुछ विशेषज्ञों को यह लगता है कि तीसरी लहर उन क्षेत्रों में असर करेगी जहां डेल्टा वैरिएंट प्रभावी रूप से फैल नहीं पाया था. डॉ. मिश्र कहते हैं, ''चूंकि, अब जगहें अनलॉक होती जा रही हैं और गतिविधियों पर लगी बंदिशें हट रही हैं, इसलिए अगर कोविड अनुरूप बर्ताव नहीं किया गया तो डेल्टा स्ट्रेन का फैलाव होगा.''

खतरे के संकेत क्या हैं?

राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में देखे तो एक एकल संख्या बिंदु ही कोविड के वक्रमें चढ़ाव को दिखा सकता है—आर (रिप्रोडक्टिव) नंबर. 4 अगस्त का केंद्र सरकार का आंकड़ा बताता है कि भारत का आर नंबर 1 से ऊपर है और ऐसा 7 मई को दूसरी लहर के पीक पर आने की शुरूआत के बाद पहली बार हुआ है. आर-नंबर के 1 से अधिक होने का मतलब है कि किसी संक्रमित व्यक्ति से एक से अधिक लोग संक्रमित हो रहे हैं.

मिसाल के लिए, 100 संक्रमित लोग अब सौ अन्य लोगों को संक्रमित करने की क्षमता रखते हैं. प्रसिद्ध वायरोलॉजिस्ट टी. जैकब जॉन कहते हैं, ''संक्रमण में उतार का वक्रदिखाने या वायरस का प्रसार नहीं रहा, यह दिखाने के लिए आर-नंबर 1 से नीचे होना चाहिए.'' हिमाचल प्रदेश और जम्मू और कश्मीर दोनों जगहों पर आर नंबर 1.4 है. लक्षदीव में यह 1.3, तमिलनाडु, मिजोरम और कर्नाटक में 1.2, और केरल तथा नगालैंड में 1.1, मेघालय, हरियाणा, गोवा, झारखंड, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और दिल्ली में आर-वैल्यू 1 से अधिक है.

स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 18 जिलों में संक्रमण के मामलों में तेजी देखी जा रही है और महाराष्ट्र, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के अलावा उनमें से ज्यादातर केरल (10 जिले) के जिले हैं. इसके साथ ही 44 जिलों में टेस्ट पॉजिटिविटी दर 10 फीसद से ऊपर है. टेस्ट पॉजिटिविटी दर का अर्थ है कि जांच किए गए लोगों में संक्रमितों की संख्या. अन्य 53 जिलों में पॉजिटिविटी दर 5 से 10 फीसद है.

एम्स (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान), दिल्ली के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया कहते हैं, ''उच्च पॉजिटिविटी दर वाले जिलों में हमें फौरन कंटेनमेंट उपाय करने चाहिए. वायरस का प्रसार अभी रोका जाना जरूरी है.'' विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) किसी भी महामारी के नियंत्रण में रहने के लिए टेस्ट पॉजिटिविटी दर 5 फीसद से कम होने की सिफारिश करता है. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर की वायरोलॉजिस्ट डॉ. गगनदीप कंग कहती हैं, ''5 फीसद से अधिक पॉजिटिविटी दर वायरस के बढ़ते संचरण का संकेत देती है. लिहाजा यही कार्रवाई का वक्त है.''

केरल में हालात कितने बुरे हैं?

पिछले सात हफ्तों से केरल में पॉजिटिविटी दर 10 फीसद से ज्यादा रही है. कोच्चि में अमृता हॉस्पिटल में इंटर्नल मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुभाष चंद्र कहते हैं, ''हम उस अंदेशे से तैयारी कर रहे हैं कि अस्पताल में दाखिल होने वालों की संख्या जल्द बढ़ सकती है. यहां तक कि आज के मामलों में हल्की सी वृद्धि एक हफ्ते के बाद बड़ी संख्या में बदल सकती है क्योंकि कोविड में धारण क्षमता लंबी होती है.'' 20 अप्रैल को केरल में एक दिन में 19,000 नए मामले दर्ज किए गए थे. दो हफ्ते के बाद यह रोजाना 41,000 मामले में बदल गए थे.

केरल सरकार के पिछले महीने ईद के लिए कोविड प्रतिबंधों में ढील देने के नतीजे आने वाले दिनों में अधिक मामलों के रूप में सामने आए. 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट ने व्यापारी समूह के दबाव में तीन दिन की छूट की अनुमति देने के लिए राज्य सरकार की खिंचाई की और इसे ''चिंताजनक स्थिति'' कहा. स्वास्थ्य विशेषज्ञों की चिंता है कि ओणम के बाद मामले और बढ़ सकते हैं. स्वास्थ्य के लिए केरल के नोडल अधिकारी डॉ. अमर फेटले कहते हैं, ''हमारी प्रभावी कंटेनमेंट रणनीतियों के कारण आबादी का बड़ा हिस्सा कोविड से अप्रभावित है. हमें मास्क कवरेज और सामाजिक दूरी पर जोर देने के अलावा टेस्टिंग और ट्रेसिंग जारी रखनी होगी.''

राज्य सरकार ने आइएएस अफसरों को कासरगोड़, कोझिकोड, मल्लापुरम, पलक्कड़ और त्रिशूर में विशेष अधिकारियों के रूप में नियुक्त करने का फैसला लिया जहां टेस्ट पॉजिटिविटी दर काफी ऊंची है. डॉ. चंद्रा कहते हैं, ''केरल का कंटेनमेंट मॉडल इतना ज्यादा प्रभावी था कि हमारी आबादी में वायरस को लेकर वही प्रतिरोधक क्षमता विकसित नहीं हो सकी. संक्रमण में एकाएक उभार की बजाए लोगों में हम धीरे-धीरे संक्रमण देख रहे हैं. इसलिए अस्पतालों पर भीड़ का प्रबंधन किया जा सकता है.''

क्या तीसरी लहर डेल्टा से आएगी?

अध्ययन बताते हैं कि डेल्टा वैरिएंट वैक्सीन या पहले के संक्रमण से हासिल इम्युनिटी को भी तोड़ सकता है. नई दिल्ली स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स ऐंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आइजीआइबी) के एक शोध के मुताबिक, 10 फीसद से अभी अधिक ऐसे लोग, जो राष्ट्रीय राजधानी में दूसरी लहर के समय कोविडग्रस्त हुए थे, उन्हें फिर से संक्रमण हो सकता है.

आइसीएमआर का अध्ययन बताता है कि टीकाकृत लोगों में हुए संक्रमण में से 80 फीसद लोगों में डेल्टा वैरिएंट की वजह से संक्रमण हुआ. डॉ. मिश्र कहते हैं, ''ऐसा नहीं लगता है कि डेल्टा वैरिएंट उन जगहों पर भी एक अन्य लहर का कारण बनेगा, जहां यह प्रभावी रह चुका है, पर अगर नया स्ट्रेन आता है, तो पहले से संक्रमित हो चुकी आबादी में भी प्रसार हो सकता है.''

हैदराबाद और कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) के शोधकर्ताओं के एक समूह ने एक नई, लेकिन छोटी लहर का अनुमान लगाया है जिसका चरम अक्तूबर में आएगा. इसी टीम ने दूसरी लहर के पीक की सटीक भविष्यवाणी भी की थी. तीसरी लहर में अच्छी स्थिति में रोजाना के संक्रमण के केस 1,00,000 होंगे जबकि बदतर हालत में रोज 1,50,000 तक हो सकते हैं. टीम का कहना है कि स्थितियां बहुत कुछ नए वैरिएंट के उभरने, टीकाकरण की रक्रतार और कोविड प्रोटोकॉल के पालन पर निर्भर करेंगी. पहली स्थिति में इस पूर्वानुमान की बदतर स्थिति आ सकती है जबकि बाकी दो स्थितियों में प्रसार को ठोस तरीके से रोका जा सकेगा और अस्पताल में भर्ती होने, मृत्यु दर और कोविड-बाद की जटिलताओं पर रोक लगेगी.

टीके कितने असरदार होंगे?

जुलाई में देशभर में आइसीएमआर ने 677 नमूनों का अध्ययन किया, और उससे पता चलता है कि टीकाकृत लोगों में संक्रमण की स्थिति में महज 0.8 फीसद लोग मरे और 9.8 फीसद लोगों को ही अस्पताल ले जाने की जरूरत पड़ी. एक अन्य अध्ययन, जिसे जून में अपोलो अस्पताल ने 31,621 स्वास्थ्यकर्मियों के बीच कराया था, उसमें पता चला कि टीकाकरण ने 95 फीसद उत्तरदाताओं की रक्षा की थी. अपोलो अस्पताल के ग्रुप मेडिकल डायरेक्टर डॉ. अनुपम सिब्बल कहते हैं, ''कई लोग यह सोचते हैं कि चूंकि टीका संक्रमण नहीं रोक सकता इसलिए यह जरूरी नहीं है. लेकिन टीका बिला शक अस्पताल में भर्ती होने की स्थिति को कम करता है और बीमारी की गंभीरता और मृत्यु दर रोककर रखता है.''

कई ऐसे राज्य हैं जहां मामले बढ़ते जा रहे हैं और वहां की आबादी में काफी संख्या टीकाकृत है. मिजोरम में 45 वर्ष और अधिक उम्र के 76 फीसद लोगों को टीका लग चुका है. नगालैंड में वयस्क आबादी में 37 फीसद और केरल में 21 फीसद आबादी का टीकाकरण हो चुका है. उम्मीद की जा रही है कि तीसरी लहर में कम संक्रमण और मौतें होंगी. लेकिन डॉ. चंद्रा कहते हैं, ''महामारी को अब लहरों में मत बांटिए, इस संख्या को स्थायी तौर पर नीचे रखना होगा. नए वैरिएंट को उभरने से रोकना होगा और कोविड-बाद जटिलताओं को कम करना होगा.''

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