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पढ़ाई का उम्दा माहौल

आजीवन सीखते रहने की नई संभावनाएं पैदा करने के लिए हमने अपने स्नातक कार्यक्रमों को नए सिरे से तैयार किया है.

कतार में आगे छात्रों के साथ एमिटी की कुलपति प्रो. बलविंदर शुक्ला
कतार में आगे छात्रों के साथ एमिटी की कुलपति प्रो. बलविंदर शुक्ला
अपडेटेड 5 अगस्त , 2021

देश की बेस्ट यूनिवर्सिटी
सामान्य (प्राइवेट)
नं.1 एमिटी यूनिवर्सिटी
नोएडा

प्रोफेसर बलविंदर शुक्ला

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी), 2020 में विश्वविद्यालयों से उम्मीद की गई है कि वे समग्र तथा बहु-विषयक स्नातक शिक्षा प्रदान करें. बाणभट्ट की कादंबरी जैसी प्राचीन साहित्यिक कृतियों में वर्णित भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अनुसार अच्छी शिक्षा में 64 कलाओं की शिक्षा शामिल हैं, जिसमें गायन, चित्रकला, रसायन विज्ञान, गणित, बढ़ईगीरी, बुनकरी, चिकित्सा और इंजीनियरिंग जैसे विविध विषयों के साथ-साथ चर्चा तथा वाद-विवाद जैसे व्यावहारिक कौशलों का ज्ञान भी शामिल है.

यहां एमिटी में हमने सावधानी से राष्ट्रीय शिक्षा नीति के दिशानिर्देशों को लागू करने की योजना बनाई है कि हम नई प्रणालियों और प्रक्रियाओं को अपनाने, पाठ्यक्रम तैयार करने और उसके मूल्यांकन के तरीकों को नया स्वरूप देने और शैक्षणिक वर्ष 2021-22 से शैक्षणिक गतिविधियों के सुचारू संचालन के लिए जरूरी संसाधनों की व्यवस्था कैसे करें.

पढ़ाई के लिए विषयों में रचनात्मक पुट देने के लिए लचीले पाठ्यक्रम तैयार करने के क्रम में हम पाठ्यक्रमों में दाखिले और उससे बाहर निकलने के कई मौके प्रदान कर रहे हैं. आजीवन सीखते रहने की नई संभावनाएं पैदा करने के लिए हमने अपने स्नातक कार्यक्रमों को नए सिरे से तैयार किया है. इस क्रम में शोध संभावनाओं को जोड़कर चार वर्षीय डिग्री पाठ्यक्रमों पर भी विचार किया जा रहा है.

बहु-विषयक पाठ्यक्रम बनाने के लिए  हमने 'तीन विषय पैटर्न’ के आधार पर एक न्यूनतम सामान्य पाठ्यक्रम निर्धारित किया है, ताकि अकादमिक क्रेडिट बैंक तैयार किया जा सके. इसके अलावा सभी स्नातक डिग्री कार्यक्रमों में लागू होने वाला एकरूप ढांचा भी बनाया है. उदाहरण के लिए, एमिटी लॉ स्कूल बीए, एलएलबी/बीकॉम, एलएलबी/बीबीए, एलएलबी जैसे पंचवर्षीय ऑनर्स पाठ्यक्रमों में पहली और दूसरी दोनों डिग्रियों में ऑनर्स प्रदान करता है.

पहली डिग्री के लिए एक प्रमुख विषय के 10 पाठ्यक्रम और दो अनुषंगी विषयों में से प्रत्येक के पांच पाठ्यक्रम अनिवार्य हैं. दूसरी डिग्री के लिए चार विशेषज्ञता पाठ्यक्रमों की आवश्यकता होती है. छात्रों को किसी भी शाखा में ऑनर्स/विशेषज्ञता उपाधि प्राप्त करने के लिए किसी भी विषय समूह में आठ अनिवार्य पाठ्यक्रम पूरे करने होते हैं. अनिवार्य पाठ्यक्रमों के अलावा क्लिनिकल पाठ्यक्रम और इंटर्नशिप भी प्रदान की जाती हैं.

विश्वविद्यालय सभी संकाय सदस्यों, शोध छात्रों और अन्य छात्रों को उपयुक्त इन्फ्रास्ट्रक्चर और माहौल प्रदान करता है, ताकि सामाजिक रूप से उपयोगी नवाचारों के विकास और वैश्विक पहुंच के साथ स्टार्ट-अप के विकास को बढ़ावा मिले. अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए अत्याधुनिक बुनियादी ढांचा विकसित किया गया है.

विश्वविद्यालय ने सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से एक प्रौद्योगिकी केंद्र की स्थापना की है, जो विश्वविद्यालयों में प्रौद्योगिकी विकास के लिए पारिस्थितिक तंत्र तैयार करेगा और अन्य संस्थानों के शोधकर्ताओं के साथ नेटवर्क की स्थापना का मंच प्रदान करेगा.

कैंसर जीव विज्ञान, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, हर्बल और प्राकृतिक उत्पाद, सार्वजनिक स्वास्थ्य और अपशिष्ट प्रबंधन जैसे अनुसंधान के 50 से अधिक क्षेत्रों में अनुसंधान समूह बनाए गए हैं. हमने विज्ञान, प्रौद्योगिकी और संबंद्ध क्षेत्रों में 1,530 से अधिक पेटेंट दायर किए हैं.

महामारी के कारण पढ़ाई-लिखाई प्रभावित न हो, इसके लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई हैं. हमारी घरेलू आइटी टीम और संकाय सदस्यों ने मिलकर युद्धस्तर पर काम किया, ताकि छात्रों को घर की सुरक्षा में रहते हुए पठन-पाठन की व्यवस्था मुहैया हो सके. हम पिछले साल मार्च में देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा से पहले ही ऑनलाइन कक्षाएं शुरू करने वाले विश्वविद्यालयों में से एक थे.

माइक्रोसॉक्रट टीक्वस प्लेटफॉर्म पर आयोजित 15,000 से अधिक ऑनलाइन मेंटर-मेंटी सत्रों के माध्यम से सभी छात्रों को व्यन्न्तिगत रूप से मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया. इस तरह हम लगातार हर वह इन्फ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि छात्रों को सुविधा हो और उन्हें करियर में मदद मिले.
— शेली आनंद से बातचीत पर आधारित

गुरु वाणी

 हम विभिन्न विषयों में रचनात्मक का पुट देकर कोर्स में दखिले और उससे बाहर निकलने के कई विकल्प मुहैया कराते हैं
—प्रोफेसर बलविंदर शुक्ला
कुलपति, एमिटी विश्वविद्यालय, नोएडा

मेरा विश्वविद्यालय
‘‘एमिटी ने वर्चुअल पढ़ाई को लजवाब इंटरऐक्टिव और समझने-सीखने में आसान बना दिया है. क्लासरूम की पढ़ाई-लिखाई के साथ कॉर्पोरेट जगत के साथ जुड़ाव भी बेजोड़ है. इससे हम कॉर्पोरेट जगत की कार्यशैली और जरूरतों से वाकिफ हो जाते हैं. यकीनन इसका फायदा हमें अपने करियर में मिलेगा और हमें अपने साथ लेने को तत्पर कॉर्पोरेट जगत के लिए भी यह मुनासिब होगा’’
—मन्नत गिल,
तीसरे सेमिस्टर की छात्रा, एमबीए फाइनांस, एमिटी यूनिवर्सिटी, नोएडा.

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