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बेस्ट यूनिवर्सिटीः वक्त के साथ पुरजोर कदमताल

विश्वविद्यालय ने अपने ई-लर्निंग मॉडल को काफी विस्तार दिया और वनडीयू फ्लैगशिप प्रोग्राम शुरू किया, जिसके तहत विश्वविद्यालय के सभी ई-लर्निंग रिसोर्सेज को एक ही प्लेटफॉर्म पर ले आया गया.

शक्ति स्तंभ विश्वविद्यालय परिसर में प्रो. पी.सी. जोशी
शक्ति स्तंभ विश्वविद्यालय परिसर में प्रो. पी.सी. जोशी
अपडेटेड 5 अगस्त , 2021

देश की बेस्ट यूनिवर्सिटी 
सामान्य (सरकारी)
नं. 2 दिल्ली विश्वविद्यालय 
नई दिल्ली


प्रो. पी.सी. जोशी
वर्ष 2020 दिल्ली विश्वविद्यालय के लिए कई वजहों से चुनौतीपूर्ण था. इसकी कई वजहें तो सोच से परे थीं और विश्वविद्यालय का उन पर कोई काबू नहीं था. लेकिन कोविड महामारी के सबसे मुश्किल दौर में भी विश्वविद्यालय ने अपने तय विजन और मिशन के लक्ष्यों को हासिल करने का प्रयास किया.

पिछले एक साल के दौरान खासकर छात्र केंद्रित गतिविधियों पर ध्यान रहा है, जैसे, ऑनलाइन क्लासेज, ऑनलाइन परीक्षा और आकलन, डिजिटल प्रोविजनल सर्टिफिकेट और डिग्री, दाखिला प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन बनाने के साथ ही प्लेसमेंट और इंटर्नशिप.

महामारी और लॉकडाउन ने मिड-सेमेस्टर के दौरान दिल्ली विश्वविद्यालय का कामकाज लगभग ठप कर दिया. पारंपरिक क्लासरूम की जगह ऑनलाइन लर्निंग प्लेटफॉर्म ने ले ली. छात्रों को पाठ्य सामग्री ऑनलाइन मुहैया कराई गई. इंटरनल एसेसमेंट और परीक्षाएं पहली बार ऑनलाइन कराई गईं.

किताब खोलकर परीक्षा (ओबीई) पहली बार कराना—और वह भी इतने ज्यादा छात्रों और कोर्स के लिए—न केवल बहुत मुश्किल था बल्कि यह एक तरह का प्रयोग ही था (गौरतलब है कि अगस्त 2020 में पहली ओबीई में 2,90,000 छात्रों ने हिस्सा लिया और दिसंबर 2020 में 1,70,000 ने).

कोविड महामारी
छात्रों ने अपने घर के सहज माहौल में परीक्षा दी; शिक्षकों ने उनका मूल्यांकन इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से किया. अंतिम वर्ष के छात्रों को परीक्षा पास करने के बाद ‘डिजिटल प्रोविजनल सर्टिफिकेट’ दिए गए ताकि वे विदेशी विश्वविद्यालयों समेत उच्च शिक्षा के लिए आवेदन कर सकें. छात्रों को पहली बार 'डिजिटल डिग्री’ भी दी गई.

अकादमिक वर्ष 2020-21 में विभिन्न पाठ्यक्रमों और स्नातक तथा स्नातकोत्तर समेत सभी डिग्रियों के लिए ऑनलाइन दाखिले किए गए और विश्वविद्यालय ने—अपने संसाधनों और विशेषज्ञता के साथ—पेश आई तमाम तरह की समस्याओं का समाधान निकाला. सेंट्रल प्लेसमेंट सेल ने इंटर्नशाला (इंटर्नशिप और ट्रेनिंग प्लेटफॉर्म) के साथ कोलैबोरेट किया. विश्वविद्यालय के 6,000 से ज्यादा छात्रों को डब्ल्यूएफएच (वर्क फ्रॉम होम) इंटर्नशिप और अन्य 4,000 को 'चलो इंडिया’ कार्यक्रम के तहत इंटर्नशिप के अवसर मिले.

कोविड महामारी, ई-लर्निंग मॉडल, ऑनलाइन शिक्षा
विश्वविद्यालय ने अपने ई-लर्निंग मॉडल को काफी विस्तार दिया और वनडीयू फ्लैगशिप प्रोग्राम शुरू किया, जिसके तहत विश्वविद्यालय के सभी ई-लर्निंग रिसोर्सेज को एक ही प्लेटफॉर्म पर ले आया गया. वनडीयू सभी विभागों, कॉलेजों, सेंटरों और विश्वविद्यालय से संबद्ध संस्थाओं में ऑनलाइन शिक्षा को प्रोत्साहन देगा. इसका उद्देश्य पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी सभी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके शिक्षा को सबक लिए सुलभ बनाना, इसकी सर्वश्रेष्ठ परिपाटियां तैयार करना और प्रोफेशनल डेवलपमेंट को ज्यादा से ज्यादा बढ़ावा देना है.

विश्वविद्यालय में शोध पर लगातार जोर बढ़ रहा है. इसने विश्वविद्यालय के लिए अधिक एच-इंडेक्स के मामले में ठोस नतीजे दिए हैं, जो 197 से बढ़कर जून 2020 में 218 हो गया. यह आंकड़ा देश के विश्वविद्यालयों में सबसे ऊपरी कतार में शामिल है. इसके अलावा, पिछले एक साल के दौरान स्कोपस में शामिल जर्नलों में शोधपत्रों की संख्या में करीब पांच फीसद इजाफा हुआ है. यह भी ऐसे संकट काल में किसी उपलब्धि से कम नहीं है.

यह विश्वविद्यालय मल्टीडिसिप्लिनरी अध्ययन और शोध को बढ़ावा देता रहा है. हाल ही में एक मल्टीडिसिप्लिनरी पोस्टग्रेजुएट कोर्स एमएससी बायोफिजिक्स (2021-22) शुरू किया गया है. यह जीवविज्ञान, भौतिकशास्त्र, रसायनशास्त्र, गणित, कंप्यूटर साइंस और सांख्यिकी का मिश्रण है. विश्वविद्यालय ने एनवायरनमेंटल साइंस प्रोग्राम में बीएससी (ऑनर्स) का नया कोर्स भी शुरू किया है, जो आज जलवायु परिवर्तन की समस्याओं के मामले में खास अहमियत रखता है.

विश्वविद्यालय में अंडरग्रेजुएट और पोस्टग्रेजुएट स्तरों पर पहले ही चॉएस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) लागू कर दिया गया है. सीबीसीएस की पाठ्यचर्या मुख्य पाठ्यक्रम (फाउंडेशनल), वैकल्पिक पाठ्यक्रम (स्पेशलाइजेशन) और मुक्त वैकल्पिक पाठ्यक्रम (स्किल बेस्ड या मल्टीडिसिप्लिनरी) में विभाजित है.

सीबीसीएस 2018-19 से ही अंडरग्रेजुएट पाठ्यक्रमों में लागू है. इस स्तर पर हर कोर्स में एक मल्टीडिसिप्लिनरी तत्व है. मिसाल के तौर पर, बीएससी (ऑनर्स) ऐंथ्रोपोलॉजी में जेनरिक इलेक्टिव के रूप में टूरिज्म एडमिनिस्ट्रेशन, फूड टेक्नोलॉजी और मेरीन साइंस जैसे विषय हैं. बीएससी बायोमेडिकल साइंस में ‘ब्रिजिंग इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी ऐंड बायोटेक्नोलॉजी’ और 'इंटेलेक्चुअल प्रोपर्टी राइट्स ऐंड ड्रग डेवलपमेंट’ जैसे पेपर हैं.

दरअसल, विश्वविद्यालय में भविष्य को ध्यान में रखकर तमाम तरह की कोशिश की जा रही है. मसलन, नई शिक्षा नीति 2020 क्रियान्वयन समिति का भी गठन किया गया है. यह समिति विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति लागू करने के बारे में सुझाव देगी.

यह मल्टीडिसिप्लिनरी एप्रोच को ध्यान में रखते हुए शैक्षणक कार्यक्रमों और पाठ्यक्रमों, भाषाओं की पढ़ाई, नीतिशास्त्र, सामाजिक मूल्य-बोध तथा संस्कृति, पाठ्येतर गतिविधियों और खेलकूद, हुनर विकास तथा शोध समेत समग्र पाठ्यचर्या से जुड़े मुद्दों पर विचार कर रही है. इससे नए दरवाजे खुलेंगे. ठ्ठ
—शेली आनंद से बातचीत पर आधारित

गुरु वाणी
दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोविड चुनौती के अनुरूप ढलने के लिए अपनी व्यवस्थाओं को दुरुस्त किया है
—प्रो. पी.सी. जोशी
प्रो वाइस-चांसलर, दिल्ली विश्वविद्यालय

मेरा विश्वविद्यालय
‘‘दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में पढ़ाई में व्यावहारिक नजरिए पर भी जोर दिया जाता है, जो हमें दुनियादारी में काम आता है और अपने करियर में मदद करता है. मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे देश के प्रतिष्ठित अर्थशास्त्रियों से पढ़ने का
मौका मिला’’
—श्रेयस मेहरा,
अर्थशास्त्र में एमए, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय

पिछले एक साल में स्कोपस में शामिल जर्नलों में शोध-पत्रों की संख्या में करीब 5 फीसद का इजाफा हुआ है. विश्वविद्यालय में एक मल्टीडिस्पलिनरी कोर्स बॉयोफिजिक्स में एमएससी शुरू किया गया है. इसमें जीव विज्ञान, भौतिकी, रसायन, गणित, कंप्यूटर विज्ञान और सांख्यिकी सभी का मिश्रण है
 

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