रामनवमी पर 21 अप्रैल को सबसे दौलतमंद हिंदू तीर्थ के संरक्षक तिरुपति तिरूमला देवस्थानम (टीटीडी) ने 'मिथकीय, उत्कीर्णित और ज्योतिषीय साक्ष्य' पेश किए जिसमें दावा है कि तिरुमला ही भगवान हनुमान की जन्मस्थली है. दावे को बल देने के लिए दिसंबर, 2020 में टीटीडी ने आठ सदस्यों वाली समिति बनाई गई जिसमें संस्कृत और वेदों के विद्वान शामिल थे, यहां तक कि उसमें भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक भी थे ताकि हनुमान जन्मभूमि से जुड़े 'अकाट्य' साक्ष्य पेश हो सकें. यह काम तब किया गया था जब पिछले साल जून में टीटीडी की ओर से आयोजित धर्म सभा में प्रतिभगियों ने सवाल उठाए कि जन्मस्थान को लेकर अनिश्चितता क्यों है. इस संदर्भ में हनुमान जी के भक्तों ने एक जैसे उच्चारण वाली कई जगहों के नामों का उल्लेख किया था.
अब टीटीडी ने घोषणा की है कि देवस्थानम के तहत आने वाली सात पहाड़ियों में से एक अंजनाद्री ही हनुमान का जन्मस्थान है. यह निर्णय प्राचीन हिंदू शास्त्रों के संदर्भों के साथ ही उनका ज्योतिषीय गणनाओं के साथ मिलान करके किया गया है. समिति की अध्यक्षता राष्ट्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, तिरुपति के कुलपति मुरलीधर शर्मा कर रहे थे और उन्होंने कहा कि ''वाल्मीकि रामायण (श्लोक 81 से 83) में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि एक तपस्या के बाद इन्हीं पवित्र पर्वतों पर अंजना ने हनुमान को जन्म दिया था.
उन्हें आंजनेय कहा गया और इसलिए पहाड़ी का नाम अंजनाद्री पड़ा.'' रिपोर्ट में महाभारत का संदर्भ भी दिया गया है जहां, ''भीमसेन के साथ बातचीत के दौरान, हनुमान जी कहते हैं कि वे वायुदेव का आशीर्वाद से पंजीकस्तला नाम की एक अप्सरा के पेट से पैदा हुए जो एक शाप के कारण वानर स्त्री यानी अंजना हो गई थी.'' समिति ने तिरुमला मंदिर में उत्कीर्ण 1491 के एक शिलालेख का संदर्भ भी दिया है, और दूसरे संदर्भित शिलालेख का समय 1545 है जिसमें अंजनाद्री को जन्मस्थान बताया गया है.
इन उत्कीर्णनों के साथ ही, भारतीय साहित्य में भी जन्मस्थान के कई संदर्भ हैं. अंजनाद्री महात्म्य, जिसकी डिजिटल पांडुलिपि ब्रिटिश लाइब्रेरी में उपलब्ध है, साफ तौर पर अंजनाद्री को हनुमान जी का जन्मस्थान बताती है. एपिग्राफिका इंडिका में भी अंजानाद्री के संदर्भ दिए गए हैं. शोध के लिए पैनल ने मोटे तौर पर शिव, ब्रह्म, ब्रह्मांड, वाराह और मत्स्य पुराणों के शास्त्रीय साक्ष्यों पर भरोसा किया है.
बहरहाल, कुछ इतिहासकारों ने यह कहते हुए अपना शक प्रकट किया है कि कुछ ऐसे और भी स्थान हैं जो आंजनेय की जन्मभूमि होने का दावा पेश करते हैं. कर्नाटक में हंपी के पास अंजेयानाद्री नाम की पहाड़ी है, झारखंड में गुमला से 21 किमी दूर पर अंजन गांव है, गुजरात के नवसारी इलाके में अंजन पहाड़ है, हरियाणा का कैथल और महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्रयंबकेश्वर से 7 किमी दूर भी एक अंजनेरी है. इन सभी स्थानों का जन्मस्थान होने का दावा है.
कर्नाटक ने पहले ही विवाद खड़ा कर दिया है और कहा है कि हनुमान जी का जन्मस्थान कोप्पल जिले में अनेगुंडी में किष्किंधा में उसकी सीमा में स्थित है. हंपी से सटी किष्किंधा की पहाड़ियों का रामायण में भी जिक्र है जिसमें इस स्थान को वही जगह बताया गया है जहां पर राम और लक्ष्मण हनुमान से मिलते हैं. अंजनेयाद्री पहाड़ी की चोटी पर हनुमान जी का एक मंदिर है जिसमें पत्थर पर राम, लक्ष्मण और सीता की मूर्तियां उकेरी हुई हैं और परिसर में अंजना देवी का भी मंदिर है. कर्नाटक के कृषि मंत्री बी.सी. पाटिल कहते हैं वे ''इस इलाके को तीर्थस्थल के रूप में विकसित कर रहे हैं और इसे हनुमान जन्मस्थल के तौर पर बना रहे हैं.''
टीटीडी पैनल के गठन के ठीक बाद, कर्नाटक पर्यटन विभाग अंजनेयाद्री पहाड़ी को धार्मिक पर्यटन के रूप में विकसित करने की परियोजना की घोषणा की. कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी.एस. येद्दियुरप्पा खुद हनुमान के बहुत बड़े भक्त हैं. राज्य के पर्यटन मंत्री सी.पी योगेश्वर के मुताबिक, 50.2 करोड़ रुपए के लागत की एक परियोजना राज्य मंत्रिमंडल से स्वीकृति के लिए तैयार है. लेकिन जन्मस्थान के लिए एक और दावेदार है. शिमोगा में रामचंद्रपुर मठ के प्रमुख राघवेश्वर भारती का दावा है कि असल जन्मस्थल कर्नाटक के तटीय कस्बे गोकर्ण का कडल बीच है.
विवाद देखते हुए टीटीडी अब जुटाए साक्ष्यों की किताब प्रकाशित करने की योजना बना रहा हैं. टीटीडी के श्री वेंकटेश्वर हायर वैदिक स्टडीज के परियोजना निदेशक और आंजनेय जन्मभूमि समिति के समन्वयक अकेल्ला विभीषण शर्मा कहते हैं, ''तिरुमला हिंदू धर्म का मुख्य स्रोत है. हमारा कर्तव्य है कि हम शंकाएं दूर करें और हनुमान जन्मभूमि से जुड़े तथ्यों को स्थापित करें.''