अपनी तीन दशक की नौकरी के दौरान राजबीर सिंह इतने दबाव में कभी नहीं रहे जितना उन्होंने कोविड महामारी के दौरान महसूस किया, लेकिन उन्हें इतना गौरव भी पहले कभी महसूस नहीं हुआ था. दिल्ली के व्यस्ततम डाकघरों में से एक, कनॉट प्लेस में पोस्टमैन राजबीर सिंह और देशभर के उनके सहकर्मियों ने महामारी के दौरान भी देश को चलाए रखा.
डाक विभाग के सचिव प्रदीप्त कुमार बिसोई बताते हैं कि डाक विभाग के 1,56,000 डाक घरों के मजबूत नेटवर्क में से 1,41,000 ग्रामीण इलाकों में हैं और लॉकडाउन के दौरान इनके जरिए न सिर्फ मेडिकल किट, वेंटिलेटर और अहम डाक पहुंचाई गई, बल्कि पेंशन और सामाजिक क्षेत्र के लाभ भी घरों तक पहुंचे.
इंडिया पोस्ट सर्विस ने 9,166 करोड़ रुपए के 3.8 करोड़ इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक (आइपीपीबी) लेनदेन किए; जिनमें से 1.17 करोड़ आधार भुगतान में 2,196 करोड़ रुपए का लेनदेन लॉकडाउन की अवधि में हुआ, जबकि 2,00,000 से ज्यादा पोस्टमैन और ग्रामीण डाक सेवकों ने नकदी की घर-घर जाकर डिलिवरी की.
डाक विभाग ने रेलवे के माल ढुलाई नेटवर्क का इस्तेमाल नजदीकी शहरों तक पहुंचने के लिए किया और वहां से उनकी मेल मोटर सर्विस गाडिय़ों ने आवश्यक वस्तुओं को आगे तक पहुंचाया.
विभाग के सैकड़ों कर्मचारी कोविड के कारण जान गंवा बैठे. बिसोई कहते हैं, ''ऐसी परिस्थिति के लिए हमने 10 लाख रुपए के त्वरित मुआवजे और नजदीकी परिजन को नौकरी देने का विशेष प्रबंध किया है.''
क्यों जीता: आवश्यक सेवाओं—खासकर चिकित्सा आपूर्ति की डिलिवरी सुनिश्चित करने के लिए रोजाना काम किया पक्का किया कि ग्राहक बैंक लेनदेन कर पाएं जरूरतमंदों में 6,00,000 राशन किट बांटे