मृणि देवनानी और अदिति पै.
स्मार्ट एजुकेशन-डिजिटल लर्निंग
शिक्षा क्षेत्र की जानी-मानी लेखिका डोन्ना जे. एबरनेथी कहती हैं, ऑनलाइन शिक्षा अब 'आने वाले समय' की सबसे बड़ी चीज नहीं है बल्कि यह 'मौजूदा समय' की सबसे बड़ी चीज है. कोविड-19 ने दुनिया भर में स्वास्थ्य और आर्थिक क्षेत्र के लिए कई चिंताएं पैदा की हैं, लेकिन उसने शिक्षा क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव भी कर डाला है. घर बैठे शिक्षा हासिल करने के लिए छात्र जूम ऐप पर क्लास में हिस्सा ले रहे हैं और टीचर्स भी बच्चों की शंकाओं का समाधान करने के लिए ऐप पर 'अपना हाथ उठाएं' का बटन इस्तेमाल कर रहे हैं या फिर उनसे ऑनलाइन चैट कर रहे हैं. स्कूल और विश्वविद्यालय अब इस बात को सुनिश्चित करने के नए-नए तरीके खोज रहे हैं कि ई-क्लास जितनी सहजता से हो सकता है, चलाई जाती रहें.
स्कूलों की स्थिति
टीचर्स का कहना है कि ऑनलाइन शिक्षण नियमित क्लास से निश्चित रूप से काफी अलग होता है. बिड़ला ओपन माइंड्स इंटरनेशनल स्कूल (बीओएमआइएस), मुंबई अपने छात्रों के लिए तीन घंटे के दौरान 40-40 मिनट के तीन लेक्चर जूम के जरिए आयोजित करता है और उनमें अंतराल रखा जाता है ताकि बच्चों का स्क्रीन टाइम एक साथ ज्यादा न हो.
इन क्लास में अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, पर्यावरण अध्ययन, योग और डांस जैसे विषयों पर ज्यादा ध्यान दिया जाता है. कोलकाता के गोखले मेमोरियल गर्ल्स स्कूल में जब अंग्रेजी के कोर्स की बात आती है तो स्कूल का जोर उसमें से साहित्य अध्ययन को जल्दी से जल्दी पूरा करने पर रहता है और इसलिए भाषा अध्ययन को फिलहाल किनारे कर दिया गया है. गोखले मेमोरियल में रेक्टर संघमित्रा मुखर्जी कहती हैं, ''ऑनलाइन पढ़ाते समय टीचर्स को थोड़ा धीमे चलना होता है, खास तौर पर छोटी कक्षाओं के लिए.
क्लास में आमने-सामने पढ़ाना ज्यादा इंटरेक्टिव होता है.'' दिल्ली में वसंत वैली स्कूल एक संतुलित शिक्षण पर जोर दे रहा है और इसके लिए उसने बाकी विषयों के साथ शारीरिक शिक्षा, कला और पेस्टोरल केयर की कक्षाएं भी शामिल कर रखी हैं. वसंत वैली की प्रिंसिपल रेखा कृष्णन कहती हैं, ''हमने छात्रों के लिए इस तरह के सत्र तैयार किए हैं जिनमें वे अध्यापकों से निजी स्तर पर संवाद कर सकते हैं.''
सीखने के उपकरण
शिक्षा तेजी से तकनीक आधारित होती जा रही है. मुंबई के ओबरॉय इंटरनेशनल स्कूल (ओआइएस) जैसे संस्थान जूम, गूगल हैंडआउट्स, सीसॉ और मैनेजबैक जैसे ऐप का इस्तेमाल पढ़ाने, समीक्षा करने और बच्चों की तरक्की पर विचार करने की खातिर टीचर्स की मीटिंग तक आयोजित करने के लिए कर रहे हैं. डीपीएस नागपुर ने तीसरी से सातवीं क्लास के मूल्यांकन के लिए गूगल शीट्स, जूम क्लास, इंटरफेस-व्हाइट बोर्ड और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म फस्र्ट इन मैथ के मुफ्त ऐक्सेस का प्रयोग शुरू कर दिया है.
डीपीएस नागपुर की प्रिंसिपल रितु शर्मा बताती हैं, ''हम ऑडियो, वीडियो और पावर-प्वॉइंट प्रेजेंटेशन के जरिये क्लास आयोजित करने में सक्षम हुए हैं. हम अपने स्कूल ऐप्प पर अभिभावकों को भी जोड़ रहे हैं.'' स्कूल रोज के स्कूली अनुभव का डिजिटल स्वरूप भी तैयार करा रहे हैं, जैसे-स्कूल की रोज की प्रार्थना को संगीत शिक्षक से रिकॉर्ड कराके रोजाना बच्चों के साथ शेयर किया जाता है.
पढ़ाने की तकनीक भी इस तरह बदली गई है कि यह नया सामान्य स्वरूप उसमें झलके. बीओएमआइएस की प्रिंसिपल हिना देसाई इसको विस्तार से बताती हैं, ''शिक्षण के बेहतर नतीजे हासिल करने के लिए शिक्षकों को मूल्यांकन को रीडिजाइन करना होता है, चाहे वो फॉर्मेटिव हो या फिर समेटिव. चूंकि किसी बच्चे का ध्यान स्क्रीन पर बहुत लंबे समय तक केंद्रित रख पाना मुश्किल होता है इसलिए फीडबैक के तरीके भी खासे अहमियत रखते हैं.''
टीचर्स को भी नई तकनीकी कुशलता हासिल करनी होती है. उनका कहना है कि उनके काम का बोझ बढ़ गया है और संचार की पुरानी सीमाएं अब खो गई हैं. माता-पिता भी कह रहे हैं कि उन्हें तालमेल बैठाने में मुश्किल आ रही है—लेकिन ये सारी शुरुआती दिक्कतें किसी भी नई व्यवस्था का हिस्सा होती ही हैं.
विश्वविद्यालयों की हालत
लाइव सेशन, लेक्चर, नोट्स, मेंटर प्रोग्राम से लेकर वेबिनार तक—देशभर में विश्वविद्यालय ई-क्लास के नए-नए तरीकों को खोज-खोजकर लागू कर रहे हैं. पंजाब में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी ने अपना सॉफ्टवेयर तैयार किया है—'एलपीयू लाइव', जिसकी मदद से उसने अपने छात्रों और फैकल्टी के सदस्यों को आपस में संवाद करने के लिए एक प्लेटफॉर्म उपलब्ध करा दिया है.
लेक्चर के नोट्स और तमाम अध्ययन सामग्री, सब ऑनलाइन उपलब्ध हैं. लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में एडमिशन डिवीजन के डीन राजीव सोबती कहते हैं, ''हमारे यहां शिक्षा का स्तर जांचने के लिए ऑनलाइन मूल्यांकन और परीक्षण उपलब्ध है पर यह औसत से कम स्तर वाले उन छात्रों के लिए थोड़ा मुश्किल हो जाता है, जिन्हें गति बनाए रखने के लिए थोड़ा निजी ध्यान चाहिए होता है.''
एक क्लिक पर उपलब्ध उद्योग
नोएडा की एमिटी यूनिवर्सिटी रोज अपने 70,000 छात्रों से संपर्क करती है. फैकल्टी की मीटिंग भी ऑनलाइन होती है. एमिटी यूनिवर्सिटी के कुलपति बलविंदर शुक्ला कहते हैं, ''हम शिक्षक-शिक्षार्थी कार्यक्रमों पर काम करते रहे हैं ताकि शिक्षक और छात्र छोटे समूहों में साथ काम कर सकें.'' वे बताते हैं कि लॉकडाउन के दौरान उद्योग क्षेत्र के विशेषज्ञों के साथ 30 से ज्यादा वेबिनार आयोजित किए जा चुके हैं. मूल्यांकन और अन्य अकादमिक जिम्मेदारियों वाले सारे काम तयशुदा कार्यक्रम के साथ चल रहे हैं, जिनमें नॉन-टीचिंग क्रेडिट कोर्स का आंतरिक मूल्यांकन और अंतिम मूल्यांकन, सब शामिल हैं.
कौशल परीक्षण
ऑनलाइन लर्निंग की तरफ अग्रसर होने के लिए बीएमएल मुंजाल यूनिवर्सिटी गुडग़ांव कई सूचना और संचार प्रौद्योगिकी प्लेटफॉर्म और सॉफ्टवेयर संसाधनों का इस्तेमाल कर रही है. इनमें स्वयं और कोर्सएरा जैसे प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध ई-लर्निंग सामग्री और विशाल खुले ऑनलाइन कोर्स शामिल हैं. आंतरिक मूल्यांकन, असाइनमेंट, केस स्टडी, प्रेजेंटेशन और सेमिनार—सब ऑनलाइन आयोजित किए जा रहे हैं.
बीएमएल मुंजाल यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर मनोज के. अरोड़ा कहते हैं, ''स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, लॉ और इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी के ज्यादातर पाठ्यक्रमों के लिए हम मई में ऑनलाइन परीक्षाएं आयोजित करने जा रहे हैं. हम मर्सेर मेटल, मेरिटटेक और डिजिप्रोक्टर जैसी कंपनियों से बात कर रहे हैं और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंट आधारित ऑटो-प्रोक्टरिंग तरीकों में प्रयोग कर रहे हैं ताकि परीक्षाओं पर वेब कैमरों व स्क्रीनशॉट के जरिये कड़ी निगरानी रखी जाए.''
वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्लोनॉजी, चेन्नै ने भी क्रेडिट कोर्स ऑनलाइन करने की पहल की है. वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के चांसलर जी. विश्वनाथन कहते हैं, ''कुल 18,000 से ज्यादा छात्र इस मौके का इस्तेमाल कर रहे हैं. इंटरेक्टिव सत्रों और मूल्यांकनों के जरिए ऑनलाइन पढ़ाना तथा सीखना दोनों ही हमारे लिए ज्यादा प्रभावी साबित हो रहे हैं. हालांकि इसके प्रभाव को उन कोर्सों के संदर्भ में नहीं मापा जा सकता जो कौशल विकास से जुड़े हैं और जिनमें विद्यार्थी को लैब में काम करना जरूरी होता है.''
काम को मुस्तैद
दिल्ली विश्वविद्यालय ने भी गूगल क्लासरूम का इस्तेमाल करते हुए कक्षाएं ऑनलाइन कर दी हैं. लेकिन यह उन प्रोफेसरों के लिए चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है जो या तो तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं या फिर जिनके घरों के पास अच्छी स्पीड वाले इंटरनेट कनेक्शन नहीं हैं. दिल्ली विश्वविद्यालय में नॉन-कॉलेजियट वूमेंस एजुकेशन बोर्ड में गेस्ट फैकल्टी अंकित जायसवाल कहते हैं, ''मैं अपने छात्रों के साथ लाइव सत्र आयोजित कर रहा हूं और उन्हें नियमित अध्ययन सामग्री भी भेज रहा हूं. पर यह मुश्किल काम है क्योंकि कई बार नेटवर्क टूट जाता है और सारे छात्र अपने आपको एक ही पेज पर नहीं पाते हैं.
फिर कई छात्रों के पास ऑनलाइन क्लास में हिस्सा लेने के लिए स्मार्टफोन नहीं हैं.'' परीक्षाएं स्थगित कर दी गई हैं और तदर्थ परीक्षा तिथियां भी वापस ले ली गई हैं. लॉकडाउन के बाद से अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के प्रोफेसर मोहम्मद असीम सिद्दीकी ने पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के साथ 50 ऑनलाइन क्लास कर ली हैं. वे कहते हैं, ''हम जूम क्लाउड मीटिंग का इस्तेमाल कर रहे हैं. हमारी सामान्य क्लास में तो छात्रों का ध्यान बंट जाता है और वे बात करने लगते हैं, पर ऑनलाइन क्लास में इसकी कोई संभावना नहीं होती.''
अब भले ही यह जबरिया बदलाव है, लेकिन छात्रों, शिक्षकों और संस्थानों के लिए यह टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करने का और कुशलता हासिल करने का बेहतरीन समय है.
नया सामान्य
(बाएं से) एएमयू के प्रोफेसर सिद्दीकी लाइव क्लास के दौरान; डीपीएस नागपुर में अर्थ डे पर एक स्टुडेंट की बनाई पेंटिंग का ऑनलाइन प्रदर्शन; मुंबई के ओबेरॉय इंटरनेशनल स्कूल की एक छात्रा; एमिटी यूनिवर्सिटी की एक शिक्षिका डिजिटल प्रजेंटेशन तैयार करते हुए
शिक्षा अब तेजी से तकनीकी प्रभाव वाली होती जा रही है. स्कूल और कॉलेज डिजिटल प्लेटफॉर्म और ऑनलाइन पाठ्यक्रम सामग्री का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं
दिल्ली विश्व-विद्यालय भी ऑनलाइन हो रहा है लेकिन यह उन प्रोफेसरों के लिए चुनौतीपूर्ण होता जा रहा है जो या तो तकनीकी रूप से दक्ष नहीं हैं या फिर जिनके पास घरों पर अच्छी स्पीड वाले इंटरनेट कनेक्शन नहीं हैं
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