प्रयागराज के गोविंदपुर में मेला रोड पर स्थित एक किराए के मकान में रहने वाले दीपेंद्र कुमार के पिता बस्ती में खेती-किसानी करके परिवार का पेट भरते हैं. अधिकारी बनने का सपना लिए दीपेंद्र पिछले वर्ष प्रयागराज आकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए थे. इनकी मेहनत रंग लाई. दीपेंद्र ने पहले ही प्रयास में पीसीएस-2019 की प्रारंभिक परीक्षा पास कर ली थी.
इसके बाद वे पूरे जी-जान से 20 अप्रैल से प्रस्तावित पीसीएस मुख्य परीक्षा की तैयारी में जुटे थे. कोरोना के बढ़ते संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन ने दीपेंद्र की सारी तैयारियों को अधर में लटका दिया. लॉकडाउन का दूसरा चरण लागू होते ही उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने पीसीएस मुख्य परीक्षा स्थगित कर दी. पिता जो थोड़े पैसे दीपेंद्र को भेज पाते थे उसी से वे गुजारा कर रहे थे लेकिन एक हफ्ता पहले इनकी जेब खाली हो गई. साथियों से राशन लेकर उन्होंने किसी तरह एक दिन के भोजन का इंतजाम किया. इसी दौरान उन्हें जानकारी मिली कि छात्रों को उनके घर पहुंचाने के लिए सरकार ने बसों का इंतजाम किया है.
28 अप्रैल की शाम को दीपेंद्र अपना सारा सामान लेकर बस पकडऩे लोक सेवा आयोग चौराहे पर पहुंच गए. बेहद निराश दीपेंद्र बताते हैं, ''लॉकडाउन के चलते परीक्षा स्थगित होने से गरीब छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. सभी लोग अपने भविष्य को लेकर बेहद चिंता में हैं.'' एक अनुमान के मुताबिक, प्रयागराज में पांच लाख से अधिक छात्र-छात्राएं सलोरी, ओम गायत्रीनगर, अल्लापुर, गोविंदपुर, कटरा, मक्वफोर्डगंज, तेलियरगंज, शिवकुटी, एलनगंज, जॉर्ज टाउन, सोहबतिया बाग में रहकर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं. प्रतियोगी परीक्षाओं के टलने से इन इलाकों में रहने वाले आधे से ज्यादा छात्र-छात्राएं प्रयागराज में अपना ठिकाना छोडऩे का मन बना चुके हैं.
कोरोना वायरस का संक्रमण बढऩे के बाद उत्तर प्रदेश राज्य लोक सेवा आयोग ने 22 मार्च से लेकर 3 मई के बीच होने वाली चार बड़ी परीक्षाओं को स्थगित कर दिया है (देखें बॉक्स). इन परीक्षाओं में 10 लाख से अधिक अभ्यर्थी शामिल होने थे. कोरोना वायरस का संक्रमण जारी रहने पर आगे की परीक्षाओं के टलने की आशंका भी काफी प्रबल हो गई है. राज्य लोक सेवा आयोग के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार कहते हैं, ''जब तक प्रदेश का एक भी हिस्सा सील है, आयोग परीक्षा नहीं करा सकता.'' (देखें इंटरव्यू)
लॉकडाउन की बंदिशों के बीच राज्य लोक सेवा आयोग ने 21 अप्रैल को नोटिफिकेशन जारी कर सम्मिलित राज्य/प्रवर अधीनस्थ सेवा (पीसीएस) प्रारंभिक परीक्षा-2020 तथा सहायक वन संरक्षक (पीसीएफ)/ क्षेत्रीय वन अधिकारी (आरएफओ) प्रारंभिक परीक्षा-2020 के लिए ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं. यह प्रक्रिया 21 मई तक चलेगी.
पीसीएस में पदों की संक्चया करीब 200 है जबकि पीसीएफ और आरएफओ का अधियाचन न मिलने से आयोग ने इन परीक्षाओं के नोटिफिकेशन में पदों की संख्या का जिक्र नहीं किया है. ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया प्रतियोगी छात्रों को रास नहीं आ रही है. प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के मीडिया प्रभारी अवनीश पांडेय बताते हैं कि परीक्षा की तैयारी कर रहे बहुत से छात्रों के पास लैपटॉप, प्रिंटर नहीं हैं.
लॉकडाउन की स्थिति में साइबर कैफे भी बंद हैं.
छात्र भी बाहर नहीं निकल सकते ऐसे में आयोग की परीक्षा के लिए आवेदन करने में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं को काफी दिक्कतें आ रही हैं. अवनीश पांडेय कहते हैं, ''लॉकडाउन लागू होने के बाद बहुत सारे छात्र-छात्राएं इधर-उधर फंसे हुए हैं.
शैक्षिक दस्तावेज भी इनके पास नहीं हैं. साइबर कैफे बंद होने और अभ्यर्थियों के पास प्रिंटर की सुविधा न होने से ऑनलाइन भरे आवेदनपत्र का प्रिंटआउट भी वे आयोग में नहीं जमा कर सकते हैं. इन छात्र-छात्राओं की परेशानियों को देखते हुए आयोग को आवेदन प्रक्रिया में बदलाव करना चाहिए.''
लॉकडाउन से न केवल आयोग की चयन प्रक्रिया ठप हो गई बल्कि पूरी हो चुकी चयन प्रक्रिया की नियुक्ति फंस गई है. समीक्षा अधिकारी-आरओ /सहायक समीक्षा अधिकारी एआरओ-2017 के तहत चयनित अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अभी इंतजार करना पड़ेगा.
आयोग ने आरओ-एआरओ परीक्षा-2017 का नतीजा पिछले वर्ष घोषित किया था.
आयोग के चेयरमैन प्रभात कुमार को अभ्यर्थियों से फीडबैक मिला कि इस परीक्षा में चयनित हुए कई अभ्यर्थियों की नौकरी लग गई है, इनकी जगह दूसरे लोगों को ले लें.
आयोग में प्रावधान है कि कई विभागों से जुड़े पदों की परीक्षा में वेटिंग लिस्ट नहीं बनती.
ऐसे में अगर कुछ लोगों ने जॉइन नहीं किया तो पद आगे के लिए रिक्त ही रह जाते हैं.
आयोग ने आरओ-एआरओ परीक्षा के नतीजें के संदर्भ में अखबारों में विज्ञापन प्रकाशित किया कि जिन लोगों की नौकरी कहीं और लग गई है और जो अब इन पदों पर कार्य करने के इच्छुक नहीं हैं वे आयोग को अपना प्रार्थना पत्र दे दें.
इसके बाद 160 अभ्यर्थियों ने आयोग को पत्र के माध्यम से जानकारी दी कि वे आरओ-एआरओ पद पर कार्य करने के इच्छुक नहीं हैं. इन 160 में 40 अभ्यर्थी चयनित हुए.
आयोग ने इन 40 लोगों को चयन प्रक्रिया से निकालते हुए मेरिट में नीचे वाले लोगों को चयन सूची में जगह दी गई. चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति से पहले आयोग की तरफ से अभ्यर्थियों के अभिलेखों का सत्यापन कराया जाता है.
इसके लिए आयोग ने 26 मार्च से 3 अप्रैल तक विभिन्न तिथियां निर्धारित की थीं. अलग-अलग तिथियों पर अभ्यर्थियों को अभिलेखों के सत्यापन के लिए बुलाया गया था. इसी बीच लॉकडाउन की घोषणा होने से यह प्रक्रिया पर ठप हो गई है.
कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण और लॉकडाउन के बीच बने माहौल में प्रतियोगी छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है. सरकार को इन अभ्यर्थियों के बीच पनप रही हताशा को दूर करने के लिए कुछ ठोस योजना लेकर सामने आना चाहिए.
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