जब पिछले जून में सोशल मीडिया के धुरंधर फेसबुक ने भारत में रिसेलर्स के ऑनलाइन मार्केटप्लेस, मीशो में निवेश किया तो उसके इरादे साफ हो गए थे. फरवरी, 2004 में स्थापना के बाद पहले 12 वर्ष फेसबुक अपने यूजर्स का आधार बढ़ाने में जुटी रही. 2016 में इसने तरक्की का अगला मोर्चा संभाला—ऑनलाइन बाजार का. तब से फेसबुक कंपनियों के अधिग्रहण और इस बाजार के लिए नए उत्पाद शुरू करने में जुटी हुई है. इसलिए जैसे ही रिलायंस इंडस्ट्री की सहयोगी कंपनी, जियो प्लेटफॉर्म में निवेश का मौका दिखा फेसबुक ने उसे लपक लिया.
रिलायंस के साथ फेसबुक ने 43,574 करोड़ रु. का सौदा किया और जियो प्लेटफॉर्म में 9.99 फीसद हिस्सेदारी खरीद ली जिसकी घोषणा 22 अप्रैल को हुई. अप्रैल के चौथे सप्ताह में रिलायंस इंडस्ट्री की सहयोगी कंपनी रिलायंस रिटेल के ऑनलाइन से ऑफलाइन प्लेटफॉर्म जियोमार्ट ने मुंबई के तीन उपनगरों के लिए व्हाट्सऐप से गठजोड़ किया. उसमें उपभोक्ता व्हाट्सऐप के जरिए जियोमार्ट पर जाकर खरीदारी की लिस्ट तैयार कर सकते हैं, फिर व्हाट्सऐप के जरिए रिटेल स्टोर से संपर्क साध किराने की दुकान से सामान ले सकते हैं.
रिलायंस के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक मुकेश अंबानी ने दो साल पहले नए कारोबार की जो परियोजना शुरू की, किराना उसका छोटा-सा हिस्सा भर है. फेसबुक से सौदे की घोषणा करते हुए रिलायंस ने कहा, ''यह साझेदारी भारत के विकास को तेज करेगी, भारत के लोगों और अर्थव्यवस्था की जरूरतें पूरा करेगी. हमारा पूरा ध्यान देश के छह करोड़ सूक्ष्म, छोटी एवं मझोले कारोबारी इकाइयों, 12 करोड़ किसानों, तीन करोड़ छोटे व्यापारियों और अनौपचारिक क्षेत्र के लाखों छोटे एवं मध्यम उद्योगों पर है.''
वैसे, दोनों साझेदारों ने भविष्य की रणनीति के बारे में कोई अतिरिक्त सूचना नहीं दी. खासकर, रिलायंस ने नहीं बताया कि लाखों छोटे व्यापारियों, लघु एवं मझोली इकाइयों का लाभ लेने में उसने कितनी प्रगति की है. यह स्पष्ट है कि अंबानी और फेसबुक के सीईओ मार्क जकरबर्ग, दोनों अरबपति खुदरा कारोबार के बाजार में कुछ बड़ा कर दिखाने की महत्वाकांक्षा रखते हैं.
हाल के वर्षों में फेसबुक ने ई-कामर्स में हाथ आजमाने की कोशिशें तेज की हैं. पिछले साल दिसंबर में मीशो के अधिग्रहण के बाद इसने वीडियो खरीदारी के स्टार्टअप पैकेज्ड का अधिग्रहण किया, इसमें ग्राहक सीधे लाइव स्ट्रीमिंग से सामान खरीद सकते हैं. क्रेडिट स्विस का कहना है कि फेसबुक अपने ऐप के लिए ऐसे फीचर तैयार कर चुकी है जिससे इस पर कारोबारी सौदा हो सकेगा.
उसमें 'चेकआउट' फीचर शामिल है जिससे उपयोगकर्ता पूरा सौदा बिना ऐप से बाहर आए पूरा कर सकेंगे. क्रेडिट स्विस की एक रिपोर्ट के अनुसार, ''फेसबुक का ध्यान विज्ञापनों को तेजी से बढ़ाने पर रहा है, इसमें हैरत नहीं, क्योंकि कंपनी का 98.5 फीसद मुनाफा विज्ञापन से आता है...हाल में इसने कॉमर्स में उतरने का इरादा भी दिखाया है.''
जियो की हिस्सेदारी बेचने से रिलायंस का कर्ज कम होगा. हांगकांग के ब्रोकरेज और निवेश समूह सीएलएसए के अनुसार, रिलायंस का कुल जमा शुद्ध कर्ज 2019-20 में 2.35 लाख करोड़ रुपए होने का अनुमान है जो 2018-19 में 2.40 लाख करोड़ रुपए था. जियो प्लेटफॉर्म्स का कारोबारी मूल्य 4.62 लाख करोड़ रुपए बढ़ गया है.
फेसबुक सौदे में दो तरह के लाभ देख रहा है: जियो के 38.8 करोड़ उपभोक्ताओं तक पहुंच से ऑनलाइन विज्ञापन का बाजार इसकी और ज्यादा पकड़ में आ जाएगा.
वहीं, रिलायंस को साथ लेकर फेसबुक नियामकों की उस बाधा को पार कर सकता है जिसे वह भारत में झेल रहा है. उसके लिए यह अमेरिका के बाहर सबसे बड़ा बाजार है. भारत में कंपनी के पास 32.8 करोड़ फेसबुक यूजर्स और 40 करोड़ व्हाट्सऐप यूजर्स हैं. कंपनी ने 2018 में व्हाट्सएप पे सर्विस का बीटा लॉन्च किया था, पर इसे पूरी तरह शुरू करने की मंजूरी अभी तक नहीं मिली.
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