अपराजिता शर्मा
अगर आप जीवन बीमा खरीदने की योजना बना रहे हैं, तो यह बात आपको जरूर पता होनी चाहिए कि आइआरडीएआइ (भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण) ने नॉन-लिंक्ड और यूनिट-लिंक्ड बीमा पॉलिसियों में अहम बदलाव किए हैं. इन बदलावों ने उन्हें ग्राहकों के ज्यादा अनुकूल और पारदर्शी बना दिया है. 1 फरवरी से केवल नए नियमों के अनुसार बनी पॉलिसियां ही बाजार में मिल रही हैं और पुरानी पॉलिसियों को या तो वापस ले लिया गया है या फिर से आइआरडीएआइ के सामने पेश किया गया है. हालांकि मौजूदा पॉलिसीधारकों को अभी इंतजार करना पड़ेगा. उन्हें पहले जैसे फायदे देने के लिए नियम और दिशानिर्देश अभी तय होने हैं.
नए नियमों के मुताबिक आप यूएलआइपी यानी यूलिप से आंशिक निकासी कर सकते हैं, अपने पेंशन प्लान से ज्यादा रकम निकाल सकते हैं, सभी बीमा कंपनियों से एक समान सरेंडर वैल्यू तय करवा और हासिल कर सकते हैं और लैप्स हो गई पॉलिसियों को फिर से शुरू करने (रिवाइवल) की अवधि में बढ़ोतरी का इस्तेमाल कर सकते हैं. पॉलिसीएक्स.कॉम के संस्थापक और सीईओ नवल गोयल कहते हैं, ''नए दिशानिर्देशों की मदद से पॉलिसी धारक बीमित रहते हुए ज्यादा बचत कर सकते हैं.'' यहां पेश हैं जीवन बीमा पॉलिसियों में हुए बड़े बदलाव और उनके असर:
लंबा रिवाइवल पीरियड
पहले अगर आपकी पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान न करने के कारण लैप्स हो जाती थी, तो आप उसे आखिरी बार प्रीमियम (एफयूपी) भरने की तारीख से दो साल के भीतर ही रिवाइव कर सकते थे. अब यह अवधि बढ़ाकर यूलिप प्लान के लिए तीन साल और नॉन-लिंक्ड प्लान के लिए पांच साल कर दी गई है. हालांकि आपको बकाया सभी प्रीमियम चुकाने होंगे. एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस के डायरेक्टर, स्ट्रेटजी, संजय तिवारी कहते हैं, ''अगर यूलिप का नया ग्राहक पहले पांच साल में प्रीमियम का भुगतान बंद कर देता है और पॉलिसी को रिवाइव न करने का विकल्प चुनता है, तो रिवाइवल पीरियड पहले पांच साल की बाकी बची अवधि तक सीमित हो सकता है, क्योंकि पॉलिसी पांच साल पूरे होने पर खत्म हो जाएगी.''
पहले यह होता था कि यूलिप के लिए अगर आपने पहले तीन सालाना प्रीमियम का भुगतान कर दिया है, तो आपकी पॉलिसी चुकता पॉलिसी बन जाती थी और अगर आपने उसके बाद एक भी प्रीमियम अदा न किया हो तब भी शुरुआत में तय परिपक्वता तक जारी रह सकती थी. अब यह बदल गया है. तिवारी यह भी कहते हैं, ''अगर यूलिप का नया ग्राहक पांच साल बाद प्रीमियम का भुगतान बंद कर देता है और पॉलिसी को रिवाइव नहीं करता, तो चुकता पॉलिसी का विकल्प तीन साल के रिवाइवल पीरियड तक सीमित रहता है और पॉलिसी उसके बाद खत्म हो जाती है. चुकता प्रीमियम या प्रीमियम का भुगतान नहीं करने वाली यूलिप पॉलिसी शुरू में तय परिपक्वता तक जारी नहीं रहेगी.''
एक समान सरेंडर वैल्यू
सरेंडर वैल्यू यानी समर्पण मूल्य वह रकम है जिसका भुगतान बीमा कंपनी परिपक्वता से पहले पॉलिसी से बाहर निकलने पर करती है. पहले पॉलिसी को केवल तीन साल बाद ही खत्म किया जा सकता था. अब अगर प्रीमियम की अवधि 10 साल से कम है तो आप दो साल बाद पॉलिसी को खत्म कर सकते हैं. यही नहीं, सरेंडर वैल्यू का गुणांक, जो बीमा कंपनी पहले अपने हिसाब से तय किया करती थी, अब सभी बीमा कंपनियों के लिए बीमा नियामक ने तय कर दिया है. अगर आप दो साल बाद पॉलिसी सरेंडर करते हैं, तो कुल चुकाए गए प्रीमियमों की 30 फीसद तक निश्चित धनराशि पहले अदा किए जा चुके सरवाइवल या उत्तरजीविता लाभ घटाकर दी जाएगी. तीन साल वाले मामलों में समर्पण मूल्य 35 फीसद और चार या सात साल के बाद 50 फीसद होगा.
यूलिप पर पहले से कम बीमित राशि
यूलिप में किए गए बदलाव सबसे ज्यादा अहम हैं. पहले 45 साल से ज्यादा उम्र के लोग ही सालाना प्रीमियम के 10 गुना से कम मृत्यु कवर वाली यूलिप खरीद सकते थे. अब नियमित प्रीमियम और सीमित प्रीमियम अदा करने वाली पॉलिसी पर मृत्यु कवर घटाकर सालाना प्रीमियम का सात गुना कर दिया गया है, फिर पॉलिसी खरीदते वक्त आपकी उम्र चाहे जो हो. इस बदलाव के नतीजतन बेहतर रिटर्न मिलेगा क्योंकि मॉर्टेलिटी चार्ज या मृत्यु शुल्क के तौर पर कम धनराशि की कटौती होगी. अलबत्ता अगर आप कम धनराशि, यानी सालाना चुकाए गए प्रीमियम से 10 गुना कम धनराशि, का बीमा करवाते हैं, तो आपको कर लाभ नहीं मिलेंगे. मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के डायरेक्टर और चीफ मार्केटिंग ऑफिसर आलोक भान कहते हैं, ''धारा 80सी और 10(डी) के तहत आयकर लाभ हासिल करने के लिए न्यूनतम बीमित धनराशि सालाना प्रीमियम की 10 गुना होनी चाहिए, तभी पॉलिसी धारक कर छूटों का फायदा ले पाएगा.''
एक्साइड लाइफ इंश्योरेंस ने ज्यादा लंबे वक्त की पॉलिसियों के लिए ज्यादा बीमा कवर जारी कर रखा है. तिवारी कहते हैं, ''ज्यादा लंबे वक्त की पॉलिसियों पर ज्यादा कवर से हमारे ब्रांड का फलसफा जाहिर होता है. हमने 45 साल की प्रवेश उम्र से कम प्रीमियम के सात गुना के गुणांक का जीवन कवर नहीं देना चुना है, ताकि इन तमाम ग्राहकों को कर लाभ मिलना पक्का कर सकें.''
यूलिप से आंशिक निकासी
पहले के यूलिप प्लान में आंशिक निकासी के कोई परिभाषित नियम मौजूद नहीं थे. अब आइआरडीएआइ ने उच्च शिक्षा, बेटे/बेटी की शादी, खुद/जीवनसाथी की गंभीर बीमारी और रहने के लिए घर खरीदने/बनाने सरीखे कामों के लिए इसकी इजाजत दी है. इस तरह इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना के मुकाबले प्रतिस्पर्धी बना दिया है. आप पॉलिसी की अवधि के दौरान तीन बार फंड वैल्यू की 25 फीसद रकम निकाल सकते हैं, बशर्ते पॉलिसी को पांच साल पूरे हो चुके हों. गौर करने वाली बात यह है कि आंशिक निकासी से बीमा कवर भी घट जाएगा.
यूलिप पर ज्यादा जोखिम कवर
यूलिप निवेशक की मृत्यु होने की स्थिति में पहले निवेशक के नॉमिनी या नामित व्यक्तियों को बीमित राशि या निधि मूल्य में जो ज्यादा हो, वह मिला करता था. कम बीमित धनराशि या ज्यादा लंबी अवधि वाली पॉलिसियों के मामलों में कई बार एक समय के बाद चुकाया गया प्रीमियम बीमित धनराशि से ज्यादा हो जाता था. बाजार में गिरावट की स्थिति में कई मामलों में मृत्यु के लाभ चुकाए गए प्रीमियमों से कम हो सकते थे. अलबत्ता अब नामित व्यक्तियों को ज्यादा धनराशि मिलेगी. गोयल कहते हैं, ''निपटान अवधि पर यूलिप कुल चुकाए गए प्रीमियम के 105 फीसद के बराबर जोखिम कवर के साथ मिलेंगी (उस स्थिति में जब यह धनराशि बीमित राशि और फंड वैल्यू से ज्यादा हो).''
यूलिप प्रीमियम कम करने की सहूलत
अगर आप अपना सालाना निवेश कम करना चाहते हों, तो उस स्थिति में नए यूलिप के साथ आपको ज्यादा लचीलापन मिलेगा. गोयल कहते हैं, ''पांच साल के लॉक-इन पीरियड के बाद आपको अपना प्रीमियम मूल सालाना प्रीमियम के 50 फीसद तक कम करने का विकल्प मिलेगा. यह उस स्थिति में आपके लिए सुविधाजनक होगा, जब आप किसी वित्तीय आकस्मिकता के कारण ज्यादा प्रीमियम चुकाने की हालत में न हों.''
बेहतर हुए पेंशन प्लान
बीमे से जुड़े पेंशन प्लान वाले पॉलिसीधारक परिपक्वता लाभ की 60 फीसद तक धनराशि निकाल सकते हैं. अभी तक यह पूरी धनराशि की 33 फीसद तय थी. अलबत्ता गौर करने वाली बात यह है कि पेंशन प्लान में समूचे कोष की पूरी 60 फीसद नहीं बल्कि केवल एक तिहाई राशि कर मुक्त रहेगी.
प्रोबस इंश्योरेंस ब्रोकर लिमिटेड के निदेशक राकेश गोयल कहते हैं, ''हालांकि कर छूट वही रहती है, पर तब भी यह निवेशक को परिपक्वता पर ज्यादा धनराशि निकालने का विकल्प देता है. यह विकल्प निवेशक के रहन-सहन की बढ़ती लागत को पूरा करने की चिंता दूर करेगा.''
एन्यूइटी या वार्षिकी प्रदाता को बदलना
डेफर्ड एन्यूइटी या स्थगित वार्षिकी प्लान में निवेशक आम तौर पर एकमुश्त धनराशि निवेश करते और इंतजार करते हैं, या ज्यादा बड़ा कोष बनाने के लिए समय के साथ नियमित धनराशि का निवेश करते हैं. वेस्टिंग उम्र (जब से पेंशन के रूप में एक नियमित धनराशि मिलनी शुरू हो जाती है) में पहुंचने के बाद जब वार्षिकी का भुगतान शुरू होता है, तब उनके पास एन्यूइटी या वार्षिकी प्रदाता को बदलने का कोई विकल्प नहीं होता, फिर भले ही अन्य कंपनियां ज्यादा ऊंची दर की पेशकश कर रही हों. अब निवेशकों को वेस्टिंग पीरियड के समय अपने कोष की 50 फीसद धनराशि किसी दूसरे एन्यूइटी प्रदाता को सौंपने की इजाजत है.
बाजार से जुड़े सेवानिवृत्ति लाभ
नए नियम ने पॉलिसी धारक को अपने निवेश पर ज्यादा रिटर्न कमाने की संभावना का विकल्प दिया है. ऐसा करने के लिए उन्हें 'नो गारंटी विकल्प' चुनना होगा और अपनी बीमा कंपनी को पॉलिसी में इक्विटी एक्सपोजर या अंशपूंजी जोखिम बढ़ाने के लिए कहना होगा. गोयल कहते हैं, ''अगर आप यह जोखिम उठा सकें तो आप बीमे से जुड़े पेंशन प्लान में निवेश पर विचार कर सकते हैं. अगर नहीं तो पारंपरिक सेवानिवृत्ति लाभों को तरजीह देना बेहतर होगा.''—अपराजिता शर्मा
इसमें आपके लिए क्या है
● अब अपनी लैप्स हो चुकी यूलिप को तीन साल के भीतर और नॉन-लिंक्ड प्लान को पांच साल के भीतर रिवाइव करें.
● सरेंडर वैल्यू अब सभी बीमा कंपनियों को दो से सात साल के लिए 30 से 50% के बीच देनी होगी.
● यूलिप के लिए पॉलिसी के पांच साल बाद तीन हिस्सों में 25% तक आंशिक निकासी की इजाजत दी गई है.
● पूरे चुकता प्रीमियमों पर 105 प्रतिशत न्यूनतम मृत्यु लाभ की गारंटी.
● पांच साल बाद यूलिप प्रीमियम घटाकर 50 प्रतिशत करने की छूट.
● बाजार से जुड़े पेंशन उत्पादों पर 'नो गारंटी विकल्प'.
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