scorecardresearch

श्रेष्ठता के कई रूपों की कविताएं

इस संग्रह में एक कविता-शृंखला है ‘प्रगतिशील लेखक संघ के ऐलबम से.’ इसमें कई चित्र हैं जो लेखकों-कलाकारों की सामूहिकता की दुर्लभ छवियों को सामने लाते हैं.

योगफल
योगफल
अपडेटेड 14 अक्टूबर , 2019

मनोज कुमार झा

यह किताब योगफल प्रसिद्ध कवि अरुण कमल का नया काव्य-संग्रह है. उन्होंने अपने शुरुआती संग्रहों में ही अपनी काव्य-भाषा अर्जित कर ली थी, जो किसी भी कवि के लिए वांछनीय लेकिन दुर्लभ है. अपने पहले संग्रह अपनी केवल धार से ही वे कविताओं में जीवन के बड़े प्रश्न उठाते रहे हैं. उन्होंने हिंदी कविता के वाक्य-स्वभाव और कथ्य-स्वभाव को काफी—कुछ बदला है.

इस संग्रह की कविता योगफल में कवि की दुनिया की विभिन्न उपस्थितियों—वज्र, व्याघ्र से लेकर शव तक—को लेकर उत्कट अपनापे की कामना है. ये पंक्तियां देखिए—कभी कभी मैं उस वज्र की तरह लगना चाहता हूं/जानना चाहता हूं कि क्या कुछ चल रहा उस मयूर/उस कुक्कुट की देह में इस ब्रह्म मुहूर्त में. इस कविता को पूरा पढ़कर ही उस करुणा-सौंदर्य का साक्षात्कार किया जा सकता है जो संकीर्णताओं की विभिन्न कोटियों को तजकर युज्यता के कई रूपों को सामने लाता है.

अरुण कमल की कविता हमेशा पूरा पढऩे की मांग करती है. उन्हें पढ़ते हुए महसूस होता है कि श्रेष्ठ कविताएं कई रूपों में घटित हो सकती हैं—कहन के कई ढंग में, कविता के स्थापत्य के कई विधान में, मिट्टी के अलग-अलग प्रकार में, हवा की भिन्न-भिन्न उपस्थिति में.

इस संग्रह में एक कविता-शृंखला है ‘प्रगतिशील लेखक संघ के ऐलबम से.’ इसमें कई चित्र हैं जो लेखकों-कलाकारों की सामूहिकता की दुर्लभ छवियों को सामने लाते हैं. जैसे कि—जबलपुर के उस कॉलेज के एक हॉल में/जहां दिन में कक्षाएं चली होंगी/मैंने देखा भीष्म जी ने दरी बिछा दी/और चादर दुहराकर/पेटी को तकिया बना लेट गए/बगल में पैर मोड़े गुलाम रद्ब्रबानी ताबां. यह एक साधारण दिखता चित्र है, पर अपनी व्याप्ति में लिटफेस्ट की संस्कृति की समीक्षा है.

जो पीछे छूट गया है, अरुण कमल की कविता उसके लिए बढ़ा हुआ हाथ है—अभी जब इतनी तेज बारिश हो रही है/तब मैं उन लोगों के बारे में सोच रहा हूं/जो अपने डूबे घरों की छप्पर पर बैठे हैं/और पानी चढ़ता जा रहा है. पूरी सभ्यता पर नजर रखने के साथ उनकी कविता समकाल से गहरा तादातम्य रखती है.

अपनी सूक्ष्म अंतर्दृष्टि और गहरी संवेदन क्षमता के जरिए वे वहां तक जाते हैं जहां धरती के नीचे जल है. ये ऐसी कविताएं हैं जिनके कुछ अंश उद्धृत करने का मन होगा, पर आपका पाठक आपको रोक देगा कि नहीं, इतना ही नहीं, यह तो मात्र एक वातायन है, पूरी कविता के बगैर इस घर के रहनवार कहां दिख पाएंगे.

योगफल (कविता संग्रह)

कविः अरुण कमल

प्रकाशकः वाणी प्रकाशन

मूल्यः 150 रुपए

***

Advertisement
Advertisement