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राजस्थानः अफीम के काले धंधे

राजस्थान के अफीम के खेतों में पनप रहा है गैर-कानूनी धंधा, जिसमें नशे के साथ अवैध बिक्री, किसान-अफसर सांठगांठ और भ्रष्टाचार की खूब चांदी

आर्कीमेज/एलामी फोटो
आर्कीमेज/एलामी फोटो
अपडेटेड 9 अक्टूबर , 2019

जब चित्तौडग़ढ़ जिले के बेगू से कांग्रेस विधायक राजेंद्र एस. बिधूड़ी ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के आइजीपी दिनेश एम.एन. को बताया कि एसएचओ वीरेंद्र सिंह चरण ने अवैध अफीम भूसी के व्यापार से एकत्रित रिश्वत में से उन्हें 50 लाख रुपये देने की पेशकश की है तो वे अवाक रह गए. वे कहते हैं, ''ऐसा कभी-कभार ही होता है कि 'रिवर्स ट्रैप' का ऐसा मामला सामने आता है.'' उनके पास इस पर विश्वास करने के पर्याप्त कारण थे.

बिधूड़ी के साथ रिकॉर्ड की गई बातचीत में, चरण ने कहा कि उसके इलाके से सालाना 4 करोड़ रुपए अफीम के रिश्वत से निकलते हैं. इस साल जनवरी में, एसीबी ने अफीम की अवैध खेती के लिए रास्ता बनाने के लिए सेंट्रल ब्यूरो ऑफ नारकोटिक्स (सीबीएन) के कोटा के डिप्टी कमिश्नर, सहीराम मीणा को भारी रिश्वत लेते पकड़ा था. अप्रैल में तीन और अधिकारी भी एसीबी के फंदे में आए थे. खबर मिलने के तुरंत बाद, एसीबी ने पहले एसएचओ के एजेंट को और फिर चरण को गिरफ्तार कर लिया.

भारत में अफीम की खेती पर काफी हद तक कानूनी नियंत्रण है, जिसमें राजस्थान के छह जिलों में 37,000 लाइसेंस प्राप्त खेत शामिल हैं. सीबीएन विभिन्न एजेंसियों के लिए औषधीय उपयोग के लिए अफीम की खरीद करता है. 2016 के बाद से, सरकार ने अफीम या खसखस की भूसी को जलाने का आदेश दिया है, जिसे पहले मेडिकल पर्चे पर लाइसेंस प्राप्त वेंडरों के माध्यम से बेचा जाता था. सीबीएन, पुलिस और आबकारी विभाग के साथ मिलकर हर खेत में उगाई जाने वाली अफीम की मात्रा को चिन्हित करने के लिए कई कदम उठाती है. वे फसल पर नजर रखते हैं, फसल के तैयार हो जाने पर उसे इकट्ठा करते हैं और यह तय करते हैं कि भूसी जला दी गई है.

ब्यूरो के अधिकारियों ने लाइसेंस और पर्यवेक्षण की सुविधा के लिए एक किसान को कुछ उत्पादकों के प्रमुख के रूप में नामित किया है, लेकिन एसीबी के एडीजी सौरभ श्रीवास्तव कहते हैं, ''किसान हमेशा अधिक उत्पादन करना चाहते हैं, ताकि वे अतिरिक्त अफीम को अवैध रूप से बेच सकें. इसका नियमन करने वाले अपना हिस्सा लेते हैं. इसमें फसल के खराब होने की घोषणा कराना शामिल है जबकि वह वास्तव में खराब नहीं होती है और भूसी को जलाने के बदले उसकी तस्करी की जाती है.'' एसीबी ने सहीराम मीणा के पास से 2.5 करोड़ रुपए नकद और 200 करोड़ रुपए की संपत्ति बरामद की थी. खेत के स्तर पर अनुमानित रिश्वत 100 करोड़ रुपए है.

एसएचओ चरण का आरोप है कि अफीम उगाने वाले जिलों के कलेक्टर और पुलिस प्रमुखों को रिश्वत का हिस्सा पहुंचाया जाता है. चित्तौडग़ढ़ के भाजपा सांसद सी.पी. जोशी ने सीबीआइ जांच और अफीम उगाने वाले क्षेत्रों के प्रमुख अधिकारियों और खुद अपने सहित सभी नेताओं का नार्को टेस्ट कराने की मांग की है.

ऐसे आरोप भी हैं कि बिधूड़ी ने एसएचओ को गिरक्रतार कराया ताकि अपने खास आदमी की नियुक्ति करा सकें. अवैध अफीम को राज्य के अधिकांश हिस्सों में मौजूद नशेडिय़ों और पंजाब तथा हरियाणा में बेच दिया जाता है. 'उड़ता राजस्थान' में, अफीम किसानों के शक्तिशाली वोट बैंक को गंवाने के डर से बहुत कम लोग इस अवैध व्यापार पर सख्ती दिखाना चाहते हैं.

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