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जोखिम भरी नई शुरुआत

कांग्रेस हाइकमान ने आखिरकार हरियाणा की कमान बदल दी है, लेकिन इससे पार्टी में उठापटक और बढ़ने की आशंका

खुशी हरियाणा कांग्रेस में बदलाव के बाद मिठाई खाते हुड्डा
खुशी हरियाणा कांग्रेस में बदलाव के बाद मिठाई खाते हुड्डा
अपडेटेड 12 सितंबर , 2019

आखिरकार, लंबी फजीहत के बाद कांग्रेस नेतृत्व ने हरियाणा की कमान बदली और पहली बार उसे एक महिला, कुमारी शैलजा को सौंपकर साहस का परिचय दिया है. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब पार्टी में सिरफुटौवल चरम पर और विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. इस बदलाव के तहत हाल तक पार्टी छोडऩे की धमकी देने वाले भूपेंद्र सिंह हुड्डा विधानसभा चुनाव समिति के अध्यक्ष और विधानसभा में पार्टी के नेता नियुक्त किए गए हैं. ऐसे में अब हुड्डा के सुर बदल गए हैं और वे सोनिया गांधी की तारीफों के पुल बांध रहे हैं, ''मैं सोनिया जी के फैसले का सम्मान करता हूं. मुझे जो जिम्मेदारी दी गई है, उसे बखूबी निभाऊंगा.''

अशोक तंवर को हटाकर राज्यसभा सदस्य कुमारी शैलजा को प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष का पद किरण चौधरी से लेकर हुड्डा को सौंप दिया गया है. इस बदलाव से पहले हुड्डा और चौधरी की सोनिया गांधी से मुलाकात हुई थी. प्रदेश इकाई में होने वाले बदलाव को लेकर उन्हें विश्वास में लेने की कोशिश की गई होगी. चौधरी नेता प्रतिपक्ष की कुर्सी को लेकर बेहद आक्रमक थीं. विधायकों के पाला बदलने से जब इंडियन नेशनल लोकदल के अभय चौटाला से नेता प्रतिपक्ष का पद छिन गया था तो चौधरी ने पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को विश्वास में लिए बिना विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इस पद पर अपनी दावेदारी ठोक दी थी. अब पद छिन जाने से उनकी नाराजगी बढ़ेगी.

वहीं, तंवर खेमे में नाराजगी बढऩे का खतरा है. यह धड़ा इस प्रयास में था कि विधानसभा चुनाव की कमान अशोक तंवर को सौंप दी जाए. यही कारण है कि 18 अगस्त को रोहतक रैली में जब हुड्डा ने 'कांग्रेस के राह भटकने' का आरोप लगाया तो तंवर ने ही सर्वाधिक तीखी प्रतिक्रिया की. उन्होंने हुड्डा को तानाशाह तक कहा और उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की थी. कांग्रेस का कैप्टन अजय यादव और कुलदीप बिश्नोई का खेमा भी हुड्डा को पसंद नहीं करता.

ऐसे में कैप्टन और बिश्नोई कोकार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने की चर्चा है. अगर दोनों नेताओं को संतुष्ट नहीं किया गया तो वे चुनाव में कांग्रेस का खेल बिगाड़ सकते हैं. पार्टी में बदलाव से कुछ गैर-जाट नेताओं के पाला पदलने के भी संकेत हैं. इस उठापटक पर चुटकी लेते हुए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर कहते हैं, ''मैं तो समझ रहा था, हुड्डा पार्टी से नाराज होकर अलग दल बनाएंगे, मगर यह तो खोदा पहाड़ निकली चुहिया, वह भी मरी हुई.''

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