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नई भूमिका, नया सियासी कद

निशंक 1991 में पहली बार कर्णप्रयाग से कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवानंद नौटियाल को पटखनी देकर विधायक बने थे. 1991 से 2012 तक वे पांच बार विधायक रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने राज्य में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली.

फिर सक्रिय हरिद्वार में गंगा पूजन करते मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
फिर सक्रिय हरिद्वार में गंगा पूजन करते मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक
अपडेटेड 4 जुलाई , 2019

उत्तराखंड में हरिद्वार से सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल 'निशंक' राज्य में एक बार फिर काफी सक्रिय दिख रहे हैं. राज्य की भाजपा इकाई में वे चर्चा का विषय हैं. केंद्रीय मंत्री बनने के बाद राज्य की राजनीति में उनका कद बढऩे से उनके समर्थकों में खासा उत्साह है. अब तक राज्य से जुड़े केवल दो नेता केंद्र में मानव संसाधन मंत्री बने थे—मुरली मनोहर जोशी और के.सी. पंत. ऐसे में निशंक से राज्य की अपेक्षाएं काफी अधिक हैं.

निशंक मंत्री बनने के बाद 15 जून को पहली बार हरिद्वार पहुंचे तो उन्होंने बाबा रामदेव से लेकर विभिन्न संतों और मठाधीशों के दर पर जाकर उनका आशीर्वाद लिया. दरअसल, माना जा रहा है कि हरिद्वार की संत लॉबी और बाबा रामदेव लोकसभा चुनाव के बाद उन्हें मंत्री बनाने के लिए प्रयासरत थे. हरिद्वार के ही भारत माता मंदिर के संस्थापक स्वामी सत्य मित्रानंद के महाप्रयाण यात्रा में भी शामिल होने वे हरिद्वार पहुंचे.

उसके बाद वे देहरादून स्थित पार्टी मुख्यालय में गए. वहां अपने स्वागत समारोह में निशंक ने कहा, ''मेरे लिए यह बड़ी चुनौती है. मैं इसे अवसर में बदलने का प्रयास करूंगा. प्रधानमंत्री ने मुझ पर भरोसा किया है.'' वे केदारनाथ भी गए. इसके बाद दिल्ली लौटने के बाद संसद के सत्र में व्यस्त होने के बावजूद वे ऋषिकेश में प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में भाग लेने पहुंचे. यहां उन्होंने कहा, ''केंद्र सरकार 32 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव करने जा रही है.

उत्तराखंड में भी शिक्षा नीति में आमूलचूल बदलाव देखने को मिलेगा.'' वे प्रधानमंत्री और राष्ट्रीय अध्यक्ष का गुणगान करते नहीं थक रहे. ऐसे में संकेत मिलता है कि उनकी नजर अब प्रदेश के संगठन पर भी है. आगामी दिनों में प्रदेश भाजपा अध्यक्ष का चुनाव होना है और प्रदेश मंत्रिमंडल में तीन मंत्रियों के पदों को भी भरा जाना है, इसलिए निशंक का सक्रिय रहना मायने रखता है.

निशंक 1991 में पहली बार कर्णप्रयाग से कांग्रेस के दिग्गज नेता शिवानंद नौटियाल को पटखनी देकर विधायक बने थे. 1991 से 2012 तक वे पांच बार विधायक रह चुके हैं. इस दौरान उन्होंने राज्य में विभिन्न मंत्रालयों की जिम्मेदारी भी संभाली. 2009 में बी.सी. खंडूड़ी को हटाने के बाद वे प्रदेश के मुख्यमंत्री बने. फिर 2011 में वे मुख्यमंत्री पद से हटे तो उन्हें भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया. वे 2014 में हरिद्वार से सांसद चुने गए.

इस दौरान निशंक ने प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का भरोसा जीतने में कामयाबी हासिल की. पूर्व मुख्यमंत्री और नैनीताल से सांसद भगत सिंह कोशियारी का कहना है, ''इस बार उनकी मेधा का इस्तेमाल सरकार में हो रहा है, यह राज्य के लिए गौरव की बात है. वे मंत्रालय पर अपनी छाप जरूर छोड़ेंगे और यह भी तय है कि प्रदेश में उनका कद और बढ़ेगा.''

निशंक के मंत्री बनने के बाद पार्टी में उनके विरोधी भी अब उनके साथ चलने को विवश हैं. हालिया हरिद्वार दौरे के दौरान निशंक के कट्टर विरोधी माने जाने वाले मदन कौशिक भी उनके साथ दिखे. कौशिक मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के करीबी माने जाते हैं. 2021 के हरिद्वार महाकुंभ के लिए राज्य केंद्र सरकार पर बहुत निर्भर रहेगा. शहरी विकास मंत्रालय की जिम्मेदारी होने की वजह से कौशिक के पास महाकुंभ संपन्न कराने की जिम्मेदारी भी है. ऐसे में उन्हें निशंक के आशीर्वाद की जरूरत पड़ेगी. इसलिए अब कौशिक उनके पीछे लगे नजर आ रहे हैं. कई विधायकों से निशंक के करीबी संबंध होने के कारण मुख्यमंत्री भी उनकी उपेक्षा नहीं कर सकेंगे.

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