नरेंद्र मोदी सरकार ने 31 मई को नई सरकार की पहली कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ सभी किसानों को देकर अपना चुनावी वादा पूरा किया. इस योजना के तहत गरीब किसानों को तीन किस्तों में सालाना 6,000 रु. सीधे उनके बैंक खातों में डालने का प्रावधान है. सरकार के इस फैसले का नतीजा यह होगा कि अब इस योजना का लाभ पाने वालों की संख्या करीब 14.5 करोड़ हो जाएगी और इसके कारण राजस्व पर सालाना 87,000 करोड़ रु. का बोझ पड़ेगा.
भारतीय जनता पार्टी ने लोकसभा चुनाव के अपने चुनावी घोषणापत्र में वादा किया था कि प्रधानमंत्री किसान योजना का लाभ जमीन के आकार पर ध्यान दिए बगैर सभी पात्र किसान परिवारों को दिया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 10 अप्रैल को पटना की चुनावी सभा में इसकी घोषणा की थी. उन्होंने कहा था, ''हमारी सरकार बनने के बाद इस योजना के तहत लाभ उठाने के लिए अधिकतम पांच एकड़ (दो हेक्टेयर) जमीन की बाध्यता को खत्म कर दिया जाएगा.'' इसके साथ ही उन्होंने किसानों में वरिष्ठ नागरिकों को नियमित पेंशन देने का भी वादा किया था. प्रधानमंत्री ने कहा था, ''हमारी सरकार 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन देगी.''
प्रधानमंत्री किसान योजना की घोषणा फरवरी, 2019 को पेश अंतरिम बजट में की गई थी और शुरुआती तौर पर दो हेक्टेयर तक जमीन वाले करीब 12 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिलना था. इस योजना के रूप में भाजपा को कांग्रेस की न्याय योजना को चित करने का कारगर उपाय मिल गया था. न्याय योजना के तहत कांग्रेस ने देश के 20 फीसद गरीबों को सालाना 72,000 रु. की निश्चित आय का वादा किया था.
नए कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के मुताबिक, ''प्रधानमंत्री किसान योजना से करीब 14.5 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा. कई राज्यों ने अपने यहां के किसानों की जानकारी नहीं दी है और इस वजह से वे इस योजना का लाभ नहीं उठा सके हैं. हालांकि, तीन करोड़ से अधिक किसानों को इस योजना का लाभ मिल चुका है.''
नेशनल रेनफेड एरिया अथॉरिटी के सीईओ और कृषि तथा किसान कल्याण मंत्रालय में सचिव डॉ. अशोक दलवई प्रधानमंत्री किसान योजना के विस्तार के प्रभाव के बारे में बताते हैं, ''जब 2018 में प्रधानमंत्री किसान योजना की घोषणा की गई, तो यह कानूनन 85 फीसदी लघु और सीमांत किसानों को कवर कर रही थी. लेकिन इसे विस्तार देने से अब सौ फीसदी किसानों को कवर किया जा रहा है.''
इसके अलावा, पिछले बजट में असंगठित क्षेत्र के कामगारों के लिए लाई गई अंशदायी पेंशन योजना की तर्ज पर छोटे किसान और खुदरा व्यापारी भी अब इन योजनाओं का लाभ उठा सकेंगे. प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना का लक्ष्य 5 करोड़ लघु और सीमांत किसानों को लाभ पहुंचाना है. इस योजना पर तीन साल में सरकार को लगभग 10,775 करोड़ रु. खर्च करने पड़ेंगे. व्यापारी पेंशन योजना से 1.5 करोड़ जीएसटी टर्नओवर से कम आय वाले 3 करोड़ दुकानदार, खुदरा व्यापारी और स्व-रोजगार कर रहे लोगों को लाभ मिलेगा. इन दोनों योजनाओं का लाभ 18-40 आयु वर्ग के लोग उठा सकते हैं. इस योजना का लाभ उठाने वाले ग्रामीणों को 55-100 रु. देने होंगे जिसमें सरकार की ओर से समान रकम का योगदान किया जाएगा. व्यक्ति की उम्र 60 साल की होने पर उसे 3,000 रु. की मासिक पेंशन मिलने लगेगी.
उम्मीद है कि 2014 से 2016 के बीच लगातार पड़े सूखे के कारण ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आए संकट के माहौल को दूर करने में कैबिनेट के इस फैसले से मदद मिलेगी. 31 मई को जारी केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, वित्त वर्ष 2018-19 के बीच कृषि क्षेत्र की वृद्धि मात्र 2.9 फीसद रही, जबकि 2017-18 के दौरान यह 5 फीसद थी. पिछले पांच वर्षों के दौरान औसत कृषि विकास दर 2 फीसदी से भी नीचे रही है.
पहली कैबिनेट बैठक में ही प्रधानमंत्री किसान योजना का दायरा बढ़ाने का कदम संकेत देता है कि मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में कृषि को सबसे ज्यादा प्राथमिकता दी जाएगी.
ग्रामीण विकास मंत्रालय के उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक, ग्रामीण क्षेत्र पर अधिक खर्च करने से सुस्त पड़ी ग्रामीण खपत को बढ़ावा मिलेगा और गांवों में मांग बढ़ेगी. इससे मंदी का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलेगी. सचिव स्तर के एक अधिकारी कहते हैं, ''ग्रामीण इलाकों में प्रधानमंत्री किसान योजना और पेंशन योजनाओं के कारण मांग बढऩे की उम्मीद है और यह विकास को बढ़ावा देने वाला एक अहम कदम साबित हो सकता है.''
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