43 वर्षीय अशोक दुधाग्रा टेक्सटाइल्स एंजेल फाइबर्स के मालिक हैं.
उनकी कहानी भी रंक से राजा बनने जैसी है. गुजरात में जामनगर जिले की कालावाड़ तहसील में नंदपुर गांव के गरीब किसान के बेटे अशोक दुधाग्रा को 90 के दशक में रोहतक के कोटक कॉलेज में केमिस्ट्री में बीएससी की पढ़ाई के दौरान अक्सर खाली पेट सोना पड़ता था.
लेकिन आज कालावाड़ के निकट दुधाग्रा की अत्याधुनिक कताई मिल है, जिसमें 250 से ज्यादा लोग काम करते हैं. 2014 में 75 करोड़ रु. की लागत से स्थापित इस मिल का कारोबार 60 करोड़ रु. के अतिरिक्त निवेश के साथ अगले साल 200 करोड़ रु. तक पहुंचने की उम्मीद है. मिल में तैयार उन्नत किस्म का सूती धागा अमेरिका, चीन और विएतनाम समेत आधा दर्जन देशों में निर्यात किया जा रहा है. उनके भारतीय खरीदारों में सियाराम सूटिंग्स, डोनियर सूटिंग्स, विकी फैशन और ललिता एक्सपोर्ट्स शामिल हैं.
कुछ समय शेयर बाजार और रियल एस्टेट के कारोबार में बिताने के बाद उन्होंने एक पार्टनर के साथ 2014 में 2.6 करोड़ रु. की लागत से रुई ओटाई का कारखाना लगाया. तब 2011 में गुजरात के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कपड़ा नीति ने उनकी महत्वाकांक्षाओं को हवा दे दी.
वे कहते हैं, "फार्मर्स से फैशन तक 5एफ नाम की उस नीति में में काफी रियायतें दी गई थीं.'' एक मित्र की फैक्टरी देखने के बाद कहानी ही बदल गई. वे बताते हैं, "वहां केवल जगुआर, पोर्श और बीएमडब्ल्यू कारें ही बाहर निकल रही थीं. तभी मुझे एहसास हुआ कि पैसा तो यहीं है.''
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