scorecardresearch

सरकारी बंगलों से सियासी दांव

एक रणनीति के तहत अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ में पूर्ववर्ती सपा सरकार में शुरू किए गए प्रोजेक्ट का मुआयना करते हैं और प्रदेश की भाजपा सरकार पर विकास, पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाते हैं.

निकल पड़े  सरकारी बंगला खाली करने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मायावती
निकल पड़े सरकारी बंगला खाली करने के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री मायावती

सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद राज्य सरकार से पूर्व मुख्यमंत्री के रूप में सरकारी बंगला खाली करने का नोटिस मिलने पर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष मायावती ने एक चतुराई भरा राजनैतिक दांव चल दिया. लखनऊ में मॉल एवेन्यु इलाके में बसपा के प्रदेश कार्यालय के ठीक सामने मौजूद 13-ए नंबर के आलीशान बंगले के बाहर 21 मई की सुबह 'श्री कांशीराम यादगार विश्राम स्थल' लिखा हुआ एक नीले रंग का बोर्ड लगा दिया गया

यह वही बंगला था जहां रहकर मायावती यूपी की राजनीति में दोबारा अपनी धमक दिखाने की तैयारी कर रही थीं. इसके बाद बसपा की राष्ट्रीय अध्यक्ष ने अपने सिपहसालार और पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री सतीश मिश्र को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास भेजकर 13-ए मॉल एवेन्यु वाले बंगले को 'कांशीराम यादगार विश्राम स्थल' के रूप में स्थापित करने की पुरजोर पेशबंदी शुरू की.

बंगला खाली करने की 15 दिन की तय मियाद के अंतिम दिन मायावती ने 9 मॉल एवेन्यु के पते वाले अपने निजी आवास में जाने से पहले आम जनता के बीच हमेशा से जिज्ञासा का केंद्र रहे 13-ए मॉल एवेन्यु के बंगले के एक-एक कोने को मीडिया को दिखाया.

मायावती ने पहली बार एक गाइड की तरह मीडिया को बंगले में लगे बसपा के संस्थापक कांशीराम के 'म्यूरल' दिखाए. मायावती ने वह 'म्यूरल' खास तौर पर दिखाया जिसमें बहुजन समाज के सात महापुरुषों के साथ कांशीराम और वे खुद नजर आ रही हैं.

कांशीराम के अंतिम संस्कार और अस्थि कलश के म्यूरल दिखाकर मायावती ने यह साबित करने की कोशिश की कि 13-ए मॉल एवेन्यु वाला बंगला असल में 'कांशीराम यादगार विश्राम स्थल' ही है और इसके एक कोने में वे अभी तक रहती आई हैं.

गोरखपुर, फूलपुर और उसके बाद कैराना संसदीय उपचुनाव में लगातार मिली हार से उबरने में जुटी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की सरकार फौरी तौर पर मायावती के इस दांव की कोई काट नहीं ढूंढ पाई. लखनऊ विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर मनीष हिंदवी बताते हैं, ''लोकसभा चुनाव से पहले दलित वोटों को सहेजने में जुटी भाजपा सरकार मायावती के मास्टर स्ट्रोक के आगे नरम ही रही, जबकि मायावती बंगला खाली करने के मसले पर आक्रामक रुख अपनाकर अपने कोर दलित वोट बैंक को संदेश देने में कामयाब रहीं.''

अब राज्य संपत्ति विभाग 13-ए मॉल एवेन्यु वाले बंगले को दो भागों में बांटने की तैयारी कर रहा है. एक भाग को 'कांशीराम यादगार विश्राम स्थल' के रूप में विकसित किया जाएगा तो दूसरे भाग को रिहाइशी बंगले के तौर पर उपयोग में लाया जाएगा.

वहीं दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री के तौर पर लखनऊ के 4 विक्रमादित्य मार्ग पर बने आलीशान बंगले में रह रहे समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बंगला खाली करने के साथ मॉल एवेन्यु में राजकीय अतिथि गृह में परिवार समेत डेरा डाल दिया.

सुल्तानपुर रोड पर मौजूद अंसल सिटी में तैयार हो रहे अपने नए आवास में जाने से पहले अखिलेश यादव रोज सुबह लखनऊ की सड़कों पर साइकिल दौड़ाते दिख रहे हैं. एक रणनीति के तहत अखिलेश यादव राजधानी लखनऊ में पूर्ववर्ती सपा सरकार में शुरू किए गए प्रोजेक्ट का मुआयना करते हैं और प्रदेश की भाजपा सरकार पर विकास, पिछड़ा विरोधी होने का आरोप लगाते हैं.

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की घेराबंदी करने के लिए 8 जून को 4 विक्रमादित्य मार्ग के बंगले की चाबी मिलने के अगले दिन राज्य संपत्ति विभाग के अधिकारियों ने मीडिया को बुलाकर बंगले में हुई तोडफ़ोड़ दिखाई. अधिकारियों ने परोक्ष रूप से यह साबित करने की कोशिश की कि कैसे सपा अध्यक्ष ने सरकारी संपत्ति को क्षति पहुंचाई है? अखिलेश यादव कहते हैं, ''भाजपा मुझे बदनाम कर रही है. सरकार बंगले में हुए नुक्सान की लिस्ट मुझे सौंपे, हम उसकी भरपाई करेंगे.''

वहीं सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पांच पूर्व मुख्यमंत्रियों—मुलायम सिंह यादव, मायावती, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह और अखिलेश यादव—के खाली हो चुके बंगलों को लेकर अब भाजपा सरकार के मंत्रियों के बीच रस्साकशी शुरू हो चुकी है. इन आलीशान बंगलों में रहने की हसरत पाले भाजपा के मंत्रियों में कौन-कौन कामयाब होगा, यह आने वाले वक्त में ही पता चलेगा.

***

Advertisement
Advertisement