जब पिनराई विजयन सरकार ने पहली बार स्वायत्त संस्था केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट फंड बोर्ड (केआइआइएफबी) का जून, 2016 में गठन किया था, तो सार्वजनिक वित्त के कई जानकार कह रहे थे कि यह 'एक और विपदा' साबित होगी, खासकर केरल की अर्थव्यवस्था की खराब हालत को देखते हुए.
लेकिन तमाम आलोचनाओं के बावजूद, केआइआइएफबी ने अच्छी प्रगति की है. राज्य के वित्त मंत्री थॉमस आइजक कहते हैं, ''कोई अचरज की बात नहीं कि केआइआइएफबी हमारे कई मर्जों की दवा है. हमने इसे विकास की कई अड़चनों से निबटने के लिए एक प्रयोग के रूप में शुरू किया था और इसका नतीजा काफी उत्साहजनक रहा है.''
आइजक कहते हैं कि फंड जुटाने के लिए अगर परंपरागत साधनों का सहारा लिया जाता तो इस खाई को दूर करने में और 20 साल लग जाते. इसलिए, ''फंड जुटाने और भविष्य में भी राजस्व उगाही आश्वस्त करने के लिए स्पेशल परपज व्हीकल (एसपीवी) का सहारा लिया गया.''
कई सामाजिक सूचकांकों में वैश्विक मानक पर खरे होने के बावजूद केरल में बुनियादी ढांचे का समुचित विकास नहीं हो पाया है. 2016 के एक ट्रैफिक सर्वेक्षण से यह पता चलता है कि तिरुवनंतपुरम से कासरगोड की 550 किमी की सड़क की दूरी तय करने में 17 घंटे लग जाते हैं.
इसकी वजह यह है कि राज्य में जमीन अधिग्रहण के मसलों की वजह से नई सड़कों का निर्माण एक तरह से ठप रहा. लगभग सभी सरकारें जमीन मालिकों और बड़ी जोत रखने वाले धार्मिक संगठनों से पंगा लेने से डरती रही हैं.
इसका नतीजा यह है कि राज्य में अवरोध एक 'मानक' बन गया है. मई, 2016 में कार्यभार ग्रहण करने के बाद मुख्यमंत्री विजयन ने सार्वजनिक तौर पर यह घोषणा की थी कि सभी राष्ट्रीय राजमार्गों को 45 मीटर तक चैड़ा किया जाएगा और वे किसी दबाव के आगे नहीं झुकेंगे.
इसका पहला चरण था केरल इन्फ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट एक्ट 1999 में संशोधन और केआइआइएफबी का गठन. सरकार ने रोड टैक्स संग्रह और ईंधन सेस का 50 फीसदी हिस्सा इस बोर्ड को देना शुरू किया.
वाहन टैक्स और ईंधन सेस से जुटाए गए 4,270 करोड़ रुपए के अलावा सरकार धन जुटाने के लिए पब्लिक बॉन्ड भी जारी करने की योजना बना रही है. लेकिन कई अड़चनें भी हैं. कीझथ्थूर और मलप्पम में भूमि अधिग्रहण के विरोध में हुए प्रदर्शनों को विरोधी दलों और कुछ इलाकों में सत्तारूढ़ माकपा के नेताओं का समर्थन मिला है.
केआइआइएफबी के सीईओ के.एम. अब्राहम (पूर्व मुख्य सचिव) कहते हैं कि, ''परियोजनाओं को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से लागू किया जा रहा है.'' गुणवत्ता बनाए रखने के लिए एक स्वतंत्र जांच प्राधिकरण गठित किया गया है.
केआइआइएफबी के लिए उत्साह बढ़ाने वाली बात यह है कि-दो महत्वपूर्ण परियोजनाएं, कोच्चि में 86.34 करोड़ रु. की वितिला फ्लाइओवर और तिरुवनंतपुरम में टेक्नोसिटी के विस्तार की 105.44 करोड़ रु. की परियोजना, समय से चल रही हैं.
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