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शहर में हरा-भरा जंगल

157 एकड़ में फैला यमुना जैवविविधता पार्क याद दिलाता है कि नदी के किनारे का यह बियाबान किसी जमाने में कैसा दिखता होगा.

चंद्रदीप कुमार
चंद्रदीप कुमार
अपडेटेड 28 मार्च , 2018

उत्तरी दिल्ली में जगतपुर गांव की तरफ जाने वाली धूल भरी सड़क अचानक एक अचंभे में खत्म हो जाती है. बेतरतीब, बिना पुते ईंट के मकानों और खुली नालियों से गुजरते हुए आप एक विशाल हरे दरवाजे के सामने खुद को खड़ा पाते हैं, जिसके आगे ऊंचे उठते पेड़ के चंदोवे लहलहा रहे हैं.

एक जंगली रास्ता इमारती परिसर और बांस के झुरमुट से आगे बढ़ता है और एक झील तक ले जाता है, जिसके पानी में किनारे-किनारे कमल उग आए हैं और लाल कलगीधारी बत्तख सरीखे सजीले पक्षी धीमे-धीमे तैर रहे हैं. 157 एकड़ में फैला यमुना जैवविविधता पार्क याद दिलाता है कि नदी के किनारे का यह बियाबान किसी जमाने में कैसा दिखता होगा.

यह उन कोशिशों की भी अगुआई करता है जो देश भर के शहरों से जुड़े शहरी इलाकों में देशज पेड़-पौधों और वन्यजीवन को दोबारा बहाल करने के मकसद से की जा रही हैं.

यह शहरों की योजनाएं बनाने वालों के सोच-विचार में आ रहे बुनियादी बदलाव का भी सबूत है—जो बगीचों या पौधारोपण पर जोर देने के बजाए अब शहरों में वन्य जीवन को दोबारा बहाल कर रहे हैं.दिल्ली विश्वविद्यालय के सेंटर फॉर एनवायरनमेंटल मैनेजमेंट ऑफ डिग्रेडेड ईकोसिस्टम्स के प्रमुख सी.आर. बाबू कहते हैं, ''जब 2004 में हमने काम शुरू किया था, तब यहां कुछ भी नहीं उगता था.

हरेक ने हमें कहा कि हमारे हाथ नाकामी के अलावा कुछ नहीं लगेगा," दिल्ली विकास प्राधिकरण के साथ काम करते हुए बाबू ने एक टीम इकट्ठा की, जिसमें बहाली में निपुण पारिस्थिकीविद्, कीटविज्ञानी, पशु विशेषज्ञ और एक वनस्पतिशास्त्री थे. यमुना के किनारे की दलदली जमीन और मूल जंगल वक्त के साथ गायब हो चुके थे. शुरू में इस पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को सावधानी से पोषित करने की जरूरत थी. यही कोई एक दशक के बाद कुदरत ने खुद अपनी कमान संभाल ली.

धीरे-धीरे इस तरह के प्रयोग और जगहों पर भी होने लगे. राजस्थान के वन महकमे ने जयपुर में 133 एकड़ का कुलिश स्मृति वन 2005 में नए सिरे से बहाल करना शुरू किया. बाबू 2016 में उस वक्त नाज से भर उठे जब एक तेंदुए ने उनके पहले जैवविविधता पार्क को घर बनाया.

मगर जंगल महकमा डर गया और कुछ हफ्ते में ही उसने इस मांसभक्षी को दूसरी जगह बसा दिया. वे कहते हैं, ''मुझे सच्ची खुशी तभी मिलेगी जब वे मेरे तेंदुए को रहने देंगे."

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