अब एक नया सूर्य मंदिर बनने जा रहा है. ओडिशा के पुरी जिले में कोणार्क की ही तर्ज पर एक और सूर्य मंदिर देखकर लोग हैरान हो जाएंगे. आदित्यनारायण मंदिर नाम के इस मंदिर का निर्माण शीघ्र शुरू होने वाला है. इसे बनाने का बीड़ा मशहूर संगतराश पद्मविभूषण रघुनाथ महापात्र ने उठाया है. उन्होंने भुवनेश्वर स्थित अपनी वर्कशॉप में हूबहू कोणार्क मंदिर जैसी दीवार, सूर्य के रथ के पहिए और उसके आसपास नक्काशी करके इशारा दे दिया है कि उनके जेहन में क्या है.
जीर्णशीर्ण हो चुका कोणार्क मंदिर फिलहाल भव्यता खो रहा है. इसे बचाने के लिए गर्भगृह से सूर्य देवता की मूर्तियां 117 साल पहले हटा ली गई थीं. लगातार टूट रहे इस ढांचे को बचाने के लिए मोटे-मोटे पाइप लगाकर वास्तविक स्वरूप में लाने की मैराथन कवायद जारी है.
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण और इंटैक वाले जैसे-तैसे इसे संभाल रहे हैं. लेकिन इसका पुराना स्वरूप लौट पाएगा, इस पर संशय है. ऐसे में महापात्र की कोणार्क में एक और कोणार्क बनाने की अनूठी पहल सराहनीय बताई जा रही है.
एक कार्यक्रम में जब महापात्र ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को अपने इस ड्रीम प्रोजेक्ट की जानकारी दी तो वे हैरान हो गए. वे महापात्र के आमंत्रण पर भुवनेश्वर स्थित उनकी कार्यशाला भी देखने गए. जहां पत्थर से तैयार कोणार्क मंदिर की दीवार, हाथी और सिंह की आकृति तथा सूर्य देवता के रथ के चक्रों की दीवारों और उस पर नक्काशी दिखाते हुए मुख्यमंत्री को महापात्र ने बताया कि जब यह बनाया जा सकता है तो बाकी ढांचा क्यों नहीं.
इस पर पटनायक मुस्करा दिए. लेकिन धार्मिक स्थल के लिए जमीन देने का प्रावधान न होने के कारण सरकार ने हाथ खींच लिए. पटनायक ने वर्कशॉप में कोणार्क मंदिर की दीवार बनाने के काम का उद्घाटन भी किया.
उनके नाम की पट्टिका आज भी वहां लगी है. लोगों को यकीन है कि पुरी मंदिर की तर्ज पर बालेश्वर में श्रीजगन्नाथ मंदिर का निर्माण कर चुके महापात्र आदित्य नारायण मंदिर का काम निश्चित पूरा कर लेंगे.
इस मंदिर की ड्राइंग तैयार कर ली गई है. महापात्र बताते हैं कि तीन महीने के अंदर शुभ मुहूर्त में भूमि पूजन करके काम विधिवत शुरू कर दिया जाएगा. इसकी ड्राइंग तैयार है जिसे आर्किटेक्ट सरकारी विभाग में दाखिल करेंगे.
डिजाइन के अनुसार 12 चक्रों और सात घोड़ों से खींचा जाने वाला सूर्य देवता का रथ बनाया जाएगा. तीन मंडपों में जगमोहन बनेगा. सूर्य देवता की मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. पहले की तरह पूजा पाठ चलेगा.
पुरी के साक्षीगोपाल नामक स्थान पर मंदिर बनाने की योजना है. यहां सौ एकड़ जमीन की जरूरत है जिसके प्रबंध में रघुनाथ महापात्र और उनकी टीम जी-जान से जुटी है. अब तक 60 एकड़ जमीन ले ली गई है और 22 एकड़ का एग्रीमेंट हो चुका है.
यह भी देरसवेर मिल जाएगी. 18 एकड़ का इंतजाम किया जा रहा है. ज्यादातर जमीन के मालिक ओडिशा छोड़कर बड़े शहरों में बस गए हैं. देश भर में अब तक 15 प्रमुख मंदिर बना चुके पद्मविभूषण रघुनाथ महापात्र बताते हैं कि उनके पास संसाधन और इच्छा शक्ति दोनों ही है.
सरकार के पास इच्छा शक्ति नहीं है. कोणार्क मंदिर का स्वरूप लौटेगा तो राज्य का पर्यटन तेजी से बढ़ेगा और पीढ़ी दर पीढ़ी के लिए एक धरोहर ओडिशा के पास हो जाएगी. महाप्रभु श्रीजगन्नाथ मंदिर के जीर्णोद्धार पर केंद्र गंभीर है.
उम्मीद थी, यही संजीदगी कोर्णाक के प्रति भी हो सकती है. महापात्र कहते हैं, ''यही सोचकर मैंने आठेक महीने पहले प्रधानमंत्री के प्रमुख सचिव नृपेंद्र मिश्र से समय लेकर उन्हें डिजाइन, अलबम आदि दिया.
बाद में मिश्र का पत्र मिला कि यदि यह प्रोजेक्ट पर्यटन मंत्रालय के निर्धारित मानकों में आता है तो सरकार जरूर मदद करेगी. इसके बाद कुछ नहीं हुआ. महाप्रभु जगन्नाथ सब रास्ता बनाते जा रहे हैं.
तभी तो 75 साल की आयु में इतना बड़ा प्रोजेक्ट लिया है."कारीगरों के सवाल पर वे कहते हैं कि 1960 से 1990 तक उन्होंने 3,000 कारीगर तैयार किए हैं. उनकी एक वर्कशॉप बालेश्वर में भी है. जहां 400 लोग काम करते हैं.
शिल्पकारों की टीम तैयार कर ली गई है. यहां भुवनेश्वर में सौ लोग हैं. देश में इस तरह के कई उदाहरण हैं. स्वामी नारायण मंदिर इसकी मिसाल है. राजा नरसिंह देव ने सन् 1255 में दस एकड़ में कोणार्क मंदिर बनवाया तब 12 साल लगे थे.
अब तो तकनीकी सपोर्ट इतना है कि यह काम नौ साल मे हो जाएगा. समाजसेवी शुभाश्री दास कहती हैं, ''महापात्र पर ओडिशा को विश्वास है कि वे लुप्त होती धरोहरों के वैभव को बेहतर ढंग से लौटा सकते हैं. पर्यटन विकास मंत्री अशोक कुमार पंडा का मानना है कि यह महापात्र का निजी प्रयास है. '''सरकार से नियमानुसार जो बन पड़ेगा, करेगी."
महापात्र पूरी दृढ़ता के साथ कहते हैं कि ''75 साल की आयु में एक और कोणार्क मंदिर बनाने की ठानी है. महाप्रभु सब करवा रहे हैं.'' अब देखना है कि महापात्र का आदित्यनारायण मंदिर शिल्प को किस ऊंचाई तक ले जाएगा.
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