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कैप्टन की नई सेना

सीएम की नई योजना से राज्य की आंख और कान बनेंगे पूर्व सैनिक

प्रभजोत गिल
प्रभजोत गिल
अपडेटेड 9 अक्टूबर , 2017

अब भी दिल से एक सैनिक कैप्टन अमरिंदर सिंह पंजाब के विकास में रिटायर्ड सैनिकों को लगाने के अपने चुनावी वादे को पूरा करने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि अभी कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है, लेकिन राज्य सरकार 'गॉर्जियन ऑफ गवर्नेंस' (खुशाली दे रखवाले) योजना को शुरू करने के लिए तैयार है. इस योजना के तहत तीनों सेनाओं के पूर्व सैनिकों की गांव से लेकर शहर तक राज्य की आंख और कान बनाने यानी विकास योजनाओं की निगरानी के लिए भर्ती की जाएगी.

देश में अपनी तरह की इस पहली योजना के तहत पंजाब के सभी 12,700 गांवों और शहरों-कस्बों के प्रत्येक वार्ड में एक-एक पूर्व सैनिक की नियुक्ति की जाएगी. इस कार्यक्रम के वाइस चेयरमैन मेजर जनरल (रिटायर्ड) एस.पी.एस. ग्रेवाल हैं, जो पंजाब एक्स सर्विसमेंस कॉर्पोरेशन (पीईएससीओ) के मौजूदा प्रमुख भी हैं. ग्रेवाल कहते हैं कि ये पूर्व सैनिक राज्य के सभी विकास कार्यों पर गहरी नजर रखेंगे और किसी तरह की अनियमितता, असंगति या भ्रष्टाचार का मामला पाए जाने पर उसकी रिपोर्ट देंगे. जीओजी योजना की शुरुआत राज्य के पांच जिलों—लुधियाना, अमृतसर, जालंधर, बरनाला और तरन तारनकृके 2,000 गांवों से होगी. इन जिलों में उपयुक्त कैंडिडेट के चयन की प्रक्रिया चल रही है. ग्राम स्तर के इस पद के लिए 10,000 से ज्यादा पूर्व सैनिकों, जिनमें बड़ी संख्या में मुख्यमंत्री की अपनी दूसरी सिख रेजिमेंट के पूर्व सैनिक भी शामिल हैं, ने अर्जियां दी हैं. इस योजना के लिए बजट रक्षा कल्याण विभाग से दिया जाएगा. इस पद पर चयनित व्यक्ति को हर महीने 10,000 रुपए का मानदेय दिया जाएगा और इसी में उसका टेलीफोन और यात्रा सभी तरह का खर्च शामिल होगा.

जीओजी योजना के प्रारूप निर्माण में शामिल पूर्व सरकारी डॉक्टर गुरप्रीत संधू बताते हैं कि इन पूर्व सैनिकों को पंचायतों की बैठकों में प्रेक्षक के रूप में शामिल होना होगा, उन्हें अपने गांव में विकास कार्यों की प्रगति और गुणवत्ता के बारे में साप्ताहिक रिपोर्ट देनी होगी. संधू के शब्दों में, ''ये जीओजी अधिकारियों-कर्मचारियों के काम में किसी तरह की दखलअंदाजी नहीं करेंगे. उनका काम बस तहसील, जिला और राज्य स्तर के सुपरवाइजरी गार्जियन तक रिपोर्ट भेजना होगा.'' उन्होंने कहा कि यदि किसी चीज में हस्तक्षेप करने की जरूरत है तो उसकी जानकारी चंडीगढ़ स्थित उस विभाग के सचिव को दी जाएगी.

पंजाब की नौकरशाही में कार्यपालिका के कार्यों की निगरानी करने के इस योजना के इरादों पर तंज किया जा रहा है, लेकिन ज्यादातर लोग खुलकर बोलने को तैयार नहीं हैं. कौन बोलेगा? आखिरकार, जीओजी कार्यक्रम के प्रमुख स्वयं मुख्यमंत्री हैं और उनके पुराने दोस्त तथा सेना में सहकर्मी रह चुके लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) टी.पी.एस. शेरगिल सीनियर वाइस चेयरमैन. पूर्व सैन्य अधिकारियों—शेरगिल और ग्रेवाल—को पूरा भरोसा है कि इस योजना से भ्रष्टाचार काफी कम होगा और पंजाब के गांवों में सरकारी योजनाओं की आपूर्ति में दक्षता सुनिश्चित होगी. यदि कहीं कोई गड़बड़ी या अनियमितता की शिकायत मिलती है तो पूर्व सैनिकों से मिली रिपोर्ट के आधार पर उसे दूर करने में मदद मिलेगी. साथ ही पूर्व सैनिकों को 10,000 रु. का मानदेय भी मिलेगा.

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