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करिश्माई कारोबारी: किसानों के लिए शक्तिपुंज

खेती-किसानी की पृष्ठभूमि से ताल्लुक रखने वाले दिनेश पाटीदार ने 12 लाख रु. के कारोबार को तीन दशक में 335 करोड़ रु. का बनाया

अपडेटेड 14 दिसंबर , 2015
दिनेश पाटीदार (53 वर्ष ) चेयरमैन, शक्ति पंप्स

कभी पढ़ाई करने के दौरान कमजोर आर्थिक स्थिति के कारण सब्जी बेचने को मजबूर हुए दिनेश पाटीदार आज हिंदुस्तान की नामी कंपनी शक्ति पंप्स के चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर हैं. गरीबी की वजह से ही वे बी.कॉम की पढ़ाई भी पूरी नहीं कर पाए थे लेकिन आज वे उस कंपनी के मालिक हैं जो 100 देशों में पंप एक्सपोर्ट करती है. 
इंदौर के इंडस्ट्रियल एरिया पीथमपुर में इस कंपनी की नींव दिनेश पाटीदार के पिता मनोहर लाल पाटीदार ने 1982 में रखी थी, जो किसान थे और किसानों की बेहतरी के लिए काम करना चाहते थे. यही वजह थी कि उन्होंने पंप का कारोबार करने का मन बनाया और पंप निर्माण का कारखाना खोला.  1986 में इसकी बागडोर उनके बेटे दिनेश पाटीदार ने संभाल ली. जिस वक्त दिनेश ने कारोबार संभाला, इस कंपनी का राजस्व 12 लाख रु. था. तीन दशक में उन्होंने कारोबार को 335 करोड़ रु. तक पहुंचा दिया.
दिनेश बताते हैं कि उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाने में कई लोगों का योगदान रहा है लेकिन मध्य प्रदेश सरकार की महत्वपूर्ण भूमिका को वे खास तौर से याद करते हैं. वे बताते हैं, ''1986 में मुझे मध्य प्रदेश फाइनेंस कॉर्पोरेशन से 9 लाख रु. की मदद मिली. इस रकम से मुझे कारोबार को आगे बढ़ाने में काफी मदद मिली." कारोबार को बढ़ाने की खातिर दिनेश ने 1995 में आइपीओ के जरिए अपनी कंपनी के लिए 5 करोड़ रु. की पूंजी बाजार से उठाई. यही वह वक्त था जब एम.एस. शूज और हर्षद मेहता जैसे दलाल की वजह से बाजार पर से आम लोगों का भरोसा उठ गया था. लेकिन दिनेश के आइपीओ पर लोगों ने भरोसा दिखाया. अगले साल ही कंपनी ने विदेशों में अपने उत्पाद बेचने शुरू किए और सबसे पहले दुबई में माल एक्सपोर्ट किया. आज दुबई, ऑस्ट्रेलिया और यूएसए में भी कंपनी के ऑफिस हैं. दिनेश स्पष्ट करते हैं, "हम खुद किसान रहे हैं. किसानों के दर्द को हमसे ज्यादा कौन जान सकता था. इस अनुभव से हम खुद भी गुजरे हैं. किसान समय पर अपनी फसल को पानी नहीं दे पाता है तो उसकी पूरी फसल सूख जाती है. इसलिए हमेशा से हमारी कोशिश किसानों के लिए ऐसा पंप बनाने की थी जो 
कम बिजली में पानी उपलद्ब्रध करवा पाता हो."
कंपनी की सफलता का एक पैमाना यह भी है कि 1987 में मध्य प्रदेश में 20 लघु उद्योग थे, जिनमें से 18 आज बंद हो चुके हैं. लेकिन शक्ति पंप्स न सिर्फ मौजूद है बल्कि सफलता के नए आयाम भी तय कर रही है. दिनेश कहते हैं, "सफलता के लिए विजन, स्पष्टता और पागलपन की हद तक जुनून जरूरी है."
दिनेश हमेशा ऐसे पंप बनाने की तकनीक की खोज में तो रहते ही हैं जिसमें बिजली का इस्तेमाल कम से कम हो, साथ ही वे सौर ऊर्जा के इस्तेमाल की दिशा में भी कदम बढ़ाना चाह रहे हैं.
शक्ति पंप्स कंपनी के विज्ञापन में मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन इस पंप के फायदे बताते नजर आते हैं. दिनेश बताते हैं, ''अमिताभ बच्चन हमारे प्रोडक्ट का विज्ञापन करेंगे, यह फैसला मैंने निरमा कंपनी के प्रमुख करसन भाई पटेल से मुलाकात के बाद लिया था.''
दरअसल, पीथमपुर में जिस जगह आज शक्ति पंप्स कंपनी है वहीं कभी निरमा कंपनी की फैक्ट्री हुआ करती थी. दिनेश ने यह जमीन खरीद ली. बातचीत के दौरान जब दिनेश ने करसन पटेल को बताया कि वे देश के सबसे बेहतरीन पंपों का उत्पादन करते हैं तो पटेल ने उन्हें बताया कि उन्होंने तो कभी शक्ति पंप का नाम भी नहीं सुना. यहीं करसन भाई ने दिनेश को महत्वपूर्ण सलाह दी. उन्होंने कहा, ''अगर आप सबसे अच्छा उत्पाद बनाते हैं तो यह जरूरी है कि लोगों को उसके बारे में बताने का तरीका भी बेस्ट होना चाहिए.'' उन्होंने सोच लिया था कि वे अपने उत्पाद की जानकारी फिल्म इंडस्ट्री के सबसे नामी अभिनेताओं में से एक अमिताभ बच्चन के जरिए लोगों तक पहुंचाएंगे. दिनेश के मुताबिक, विज्ञापन में बच्चन के होने से कंपनी की ब्रांड वैल्यू बढ़ी है.
एक बेटे और एक बेटी के पिता दिनेश को उनके परिजन कभी सख्त तो कभी नरम मिजाज वाला व्यक्ति मानते हैं. सुबह ठीक 9 बजे दफ्तर में पहुंचने वाले दिनेश का दफ्तर आने का समय तो निश्चित है लेकिन घर लौटने का नहीं. कुछ साल पहले जब वे पंपों की डिजाइन पर काम कर रहे थे तो आधी रात को घर पहुंचते थे और सुबह होते ही फिर से दफ्तर निकल जाते थे.
अपने दप्तर में उन्होंने अपने पिता मनोहर लाल पाटीदार की तस्वीर लगा रखी है, जिसे देखकर उनमें नई ऊर्जा भर जाती है. वे कहते हैं, ''काम करने की प्रेरणा पिताजी ने ही दी है. उनके मार्गदर्शन के बगैर मैं इस मुकाम तक नहीं पहुंच सकता था.''
दिनेश के 27 वर्षीय बेटे अंकित अपने पिता के नक्शे-कदम पर चलते हुए कंपनी की मार्केटिंग का जिम्मा संभाल रहे हैं. उनकी पत्नी इंदिरा कंपनी की कॉर्पोरेट-सोशल रेस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) संभालती हैं. वे बताती हैं, ''कंपनी ने सीएसआर के तहत रंगवासा के स्कूल को गोद लिया है.''
रंगवासा दिनेश का पैतृक गांव है. इसके अलावा कंपनी कई गरीब बच्चों की इंजीनियरिंग की फीस भी देती है. कंपनी का शक्ति फाउंडेशन के नाम से ट्रस्ट है, जिसके तहत स्वास्थ्य, पानी और शिक्षा के क्षेत्र में काम किया जाता है. शक्ति पंप्स ने कई स्थानों पर किसानों की मदद के लिए सोलर पंप भी लगाए हैं.
आज शक्ति पंप्स 260 से भी ज्यादा डिजाइन के पंपों का उत्पादन कर रही है और उनके उपभोक्ताओं में देश-विदेश की कई कंपनियां शामिल हैं. इसके साथ ही यह देश की पहली ऐसी कंपनी है जिसने 100 फीसदी स्टेनलेस स्टील पंपों का निर्माण शुरू किया है. 
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