राजस्थान में नागौर जिले का मौलासर गांव. ई-मित्र कियोस्क (बूथ) का शटर ऊपर करते ही दर्जनभर लोगों की कतार लग गई. इनके हाथों में आधार कार्ड, भामाशाह और राशन कार्ड बनवाने के लिए जरूरी दस्तावेज हैं. आधार कार्ड बनवाने के लिए अपने दस्तावेज सौंपते हुए डाबड़ा गांव की मंजू पूछती हैं, “कार्ड कब तक बनकर आएगा?” कियोस्क संचालक शिवकुमार शर्मा का जवाब है, “बनते ही आपके मोबाइल में मैसेज आ जाएगा और हफ्ते भर में घर तक पहुंच जाएगा.” जो आधार कार्ड पहले छह महीने तक बन कर नहीं आता था, वह हक्रते-दस दिन में बनकर आने लगा है. लाइन में लगी कौशल्या देवी को राशन कार्ड बनने के लिए भी इतने ही दिन का हवाला दिया गया. कियोस्क के कामकाज के बारे में शर्मा बताते हैं, “जरूरी दस्तावेज मिलने के बाद अब आगे की प्रक्रिया में ज्यादा वक्त नहीं लगता.”
यही वजह है कि कभी वीरान पड़े रहने वाले ई-मित्र कियोस्क अब आबाद हो गए हैं. आलम यह है कि प्रदेश में कियोस्क की मार्फत केवल पिछले सितंबर में ही 163 सरकारी सेवाओं के 81 लाख काम हुए हैं. पिछले चार महीने का रिकॉर्ड देखें तो लोग ई-मित्र की सेवाओं से लगातार जुड़ रहे हैं. लोगों ने इसके जरिए जून में 36 लाख, जुलाई में 46 लाख, अगस्त मे 58 लाख सेवाएं ली हैं. इनमें मुख्य तौर पर राशन कार्ड, भामाशाह कार्ड, मूल निवास प्रमाण, जाति प्रमाण पत्र, ऑनलाइन फार्म, आधार कार्ड आदि बनवाए गए.
सरकारी योजनाओं और सेवाओं को जनता तक ऑनलाइन पहुंचाने के लिए राजस्थान में 2004 में ई-मित्र योजना शुरू की गई थी. इसके तहत ई-मित्र कियोस्क स्थापित हुए. शुरू में यह योजना काफी सुस्त थी क्योंकि इनके पास बड़ी सेवाएं नहीं थीं और न ही लोगों को ई-मित्र कियोस्क भरोसेमंद लग रहे थे. इसलिए ये फेल हो रहे थे. वसुंधरा राजे सरकार ने सत्ता में आने के बाद तेजी से ई-मित्र पर सेवाओं का विस्तार किया. फिलहाल जनता को ई-मित्र के मार्फत 225 सेवाएं मिल रही हैं. बैकिंग से जुड़ी सेवाओं को भी इसमें जोडऩे की योजना है. सरकार ने 42 कंपनियों से प्रदेश में ई-मित्र कियोस्क लगाने का करार कर रखा है. इन कंपनियों के जरिए 33,391 कियोस्क चल रहे हैं. शहरी क्षेत्र में इनकी संख्या करीब 10,000 और ग्रामीण क्षेत्र में 23,000 हैं. इनमें 8,000 अटल सेवा केंद्रों में और बाकी निजी जगहों पर चल रहे हैं.
ग्राहकों की भीड़ को देखते हुए गांव-गांव ई-मित्र कियोस्क खुल गए हैं. प्रदेश सरकार के आइटी और कम्युनिकेशन विभाग के संयुक्त निदेशक आर.के. शर्मा कहते हैं, “ई-मित्र के प्रति लोगों का जबरदस्त जुड़ाव देखने को मिल रहा है. अभी डेटा ऑनलाइन का काम चल रहा है. उसके बाद काम चुटकियों में होने लगेगा.”
सरकार ने काम के बदले कियोस्क के लिए कमिशन तय कर रखा है. निजी कंपनियों को 25 फीसदी और कियोस्क को 75 फीसदी कमिशन मिलना तय है. बिजली, पानी और टेलीफोन के बिल जैसी निःशुल्क सेवाओं का कमिशन संबंधित विभाग देता है. बाकी सेवाओं जैसे राशन कार्ड के लिए 30 रु., मूल निवास प्रमाण और जाति प्रमाण पत्र के लिए 15 रु., आधार नामांकन के लिए 15 रु., बिजली-पानी के कनेक्शन के आवेदन के 50-50 रु. ई-मित्र कियोस्क सीधे ग्राहकों से चार्ज करते हैं. शर्मा बताते है, “ग्रामीण क्षेत्र में एक कियोस्क प्रति माह 5,000 रु. से 15,000 रु. तक कमा सकता है, तो शहरी क्षेत्र में इससे भी ज्यादा.” सारा काम ऑनलाइन है तो ई-मित्र कियोस्क की कमाई का रिकॉर्ड भी रहता है, जिससे गड़बड़ी का अंदेशा भी नहीं रहता.
ऑनलाइन गड़बड़ी भले ही न हो लेकिन इन कियोस्क पर ऑफलाइन लूट जमकर हो रही है. यहां तक कि कहीं-कहीं तय शुल्क से पांच गुना अधिक राशि वसूली जा रही है. प्रदेश में ई-मित्र कियोस्क पर बीते महीने 81 लाख काम हुए हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कितनी अवैध वसूली हो सकती है. दरअसल, अधिकतर कियोस्क पर सरकार की ओर से तय शुल्क सूची चस्पां नहीं की जाती, जिससे लोग झांसे में आ जाते हैं. फॉर्म और फोटो कॉपी के नाम पर भी अतिरिक्त पैसे वसूल जा रहे हैं. वहीं अटल सेवा केंद्रों पर संबंधित काम के दस्तावेज भी तैयार करवाए जा रहे हैं, जिनमें ग्राम सेवक या सरपंच की मुहर लगानी होती है. इसके बदले भी संचालक अतिरिक्त चार्ज करते हैं. इसे काम करवाने की जल्दी कहें या सरकारी योजनाओं से वंचित होने का डर, ग्रामीण आसानी से अवैध रकम दे रहे हैं. डीडवाना के किसान नेता भागीरथ यादव हंसते हुए इस ओर इशारा करते हैं, “ये तो सुविधा शुल्क ही है, जो पहले बाबू या पंचायत के निचले कर्मचारी को देना पड़ता था, पर अब इस शुल्क में तुंरत काम हो रहा है.”
वहीं आइटी और कम्युनिकेशन विभाग, नागौर के जिला अधिकारी घनश्याम गोयल बताते हैं, “हमारे पास इस तरह की कोई शिकायत नहीं आई है.” उन्होंने अनियमिता बरतने पर पिछले दिनों 100 से ज्यादा ई-मित्र कियोस्क पर कार्रवाई की है, जिन्होंने तय शुल्क की सूची चस्पां नहीं की थी. वहीं ऑफलाइन चार्ज वसूलने के आरोप में प्रदेश भर में करीब एक दर्जन कियोस्क के लाइसेंस रद्द किए गए हैं. फिर भी लूट जारी है. उधर ई-मित्र के पास जाने से पहले ग्राहकों को संबंधित कार्य के दस्तावेज तैयार कराने के लिए आज भी भटकना पड़ रहा है.
सरकार पर जनता से जुड़ी सेवाओं को बिना संसाधनों के सीधे ई-मित्र से जोडऩे का आरोप भी लग रहा है. कई गांवों में आज भी बिजली न के बराबर आती है तो कई गांवों में ब्रॉडबैंड की सुविधा तो दूर फोन कनेक्शन भी नहीं हैं. उदाहरण के तौर पर, नागौर जिला मुख्यालय से करीब 30 किमी दूर, फरड़ौद गांव में पिछले चार साल से फोन कनेक्शन कटे पड़े हैं. यहां के एनआरआइ सरपंच और नागौर सरपंच संघ के अध्यक्ष हणमानराम फरड़ौदा कहते हैं, “जिले में सैकड़ों ऐसे गांव हैं जहां ब्रॉडबैंड सुविधा नहीं है. ऐसे में ई-मित्र किसके सहारे काम करेगा.”
बहरहाल, सारे विभागों की सेवाएं ई-मित्र पर उतारने की सरकार की पहल रंग ला रही है और लोगों का सरकारी काम उनके इलाके में ही हो रहा है. लेकिन साथ ही सरकार को ई-मित्र पर निगरानी भी जरूरत है, वरना वे जनता के बीच सरकार की छवि को खराब भी कर सकते हैं.
राजस्थान में रंग ला रही ई-मित्र सेवा
राजे की ई-मित्र कियोस्क पर सारी सरकारी सेवाएं उतारने की मंशा रंग ला रही है, लेकिन कियोस्क की निगरानी की भी जरूरत.

अपडेटेड 12 अक्टूबर , 2015
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