आज के डिजिटल दौर में इजहार-ए-इश्क के तरीके भले बदल गए हों पर 'प्रेम-पत्र' शब्द आज भी उतना ही रोमांचित करता है. और बात राजा-महाराजाओं के प्रेम-पत्रों की हो तो कहना ही क्या. ऐसा ही एक दिलचस्प पत्र बीकानेर के राज्य अभिलेखागार में है, जिसमें जोधपुर के महाराजा मान सिंह को 'माथा रा मोड़' और 'सिर रा सेवरा फूला रा बीच गुलाब' जैसी 100 से ज्यादा उपमाओं से संबोधित किया गया है. राजस्थानी में लिखे पत्र मं प्रेमिका की इल्तिजा है कि महाराजा दीदार कराएं. अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेंद्र खडग़ावत कहते हैं, ''वैसे इसमें समय का उल्लेख नहीं है पर जितनी जानकारी मिल पाई है, उसके मुताबिक यह पत्र महाराजा मान सिंह को लिखा गया था. ''
करीब 300 साल पहले लिखे गए इस पत्र पर अगर अभिलेखागार ने ध्यान नहीं दिया होता तो यह रद्दी का कागज बनकर रह जाता. इसे संरक्षित ही नहीं बल्कि डिजिटाइज करके ऑनलाइन कर दिया गया है. यह तो मात्र बानगी है. अभिलेखागार के दावे के मुताबिक यहां करीब 50 करोड़ अभिलेख हैं, जिनमें से अब तक 55 लाख को डिजिटाइज किया जा चुका है. उनमें से 50 लाख ऑनलाइन भी हो चुके हैं. यहां ऐतिहासिक तौर पर कई महत्वपूर्ण दस्तावेज हैं. मसलन, ताजमहल बनाने के लिए आमेर और मकराना से संगमरमर मंगाने को लिखे फरमान से लेकर मुगल-मराठा संबंधों से जुड़े दस्तावेज, शिवाजी के औरंगजेब के दरबार को छोड़कर जाने का दस्तावेज, औरंगजेब का भेजा पंजा, 1857 की क्रांति से जुड़े दस्तावेज और पुरंदर संधि के दस्तावेज तक.
यहां के 327 ऐतिहासिक शाही फरमानों में से 82, फारसी से हिंदी में अनूदित कर दो खंडों में प्रकाशित हो चुके हैं. तीसरे खंड को अगस्त, 2015 में प्रकाशित करने की योजना है. यहां डिजिटाइजेशन अब भी जारी है और 5 करोड़ दस्तावेजों को डिजिटाइज करने का लक्ष्य रखा गया है. डॉ. खडग़ावत बताते हैं, ''दस्तावेज हमें जीर्ण-शीर्ण अवस्था में मिलते हैं, जिन्हें हम माइक्रोफिल्मिंग और डिजिटाइजेशन से संजो रहे हैं. '' डिजिटाइजेशन का ही कमाल है कि पिछले 20 माह में अभिलेखागार की वेबसाइट को 60,000 से ज्यादा लोगों ने देखा है, जबकि इसके पहले विजिटर्स न के बराबर होते थे.
इतना ही नहीं, जॉर्जिया और ईरान ने भी बीकानेर अभिलेखागार के डिजिटाइजेशन में रुचि दिखाई है तथा जानकारियां साझा करने का प्रस्ताव दिया है. जॉर्जिया का राष्ट्रीय अभिलेखागार ऑनलाइन डॉक्युमेंटेशन में समन्वय चाहता है तो ईरान की दिलचस्पी शाही फरमानों में है. इस बाबत फरमानों के दोनों खंड ईरान भेजे जा चुके हैं तो तीसरे खंड के बारे में उसने जानकारी मांगी है. दक्षिण अफ्रीका, श्रीलंका, इराक, अमेरिका और संयुक्त अरब अमीरात के राष्ट्रीय अभिलेखागार भी फरमानों के खंड मंगा चुके हैं. इन फरमानों के अनुवाद से मध्यकालीन भारत का इतिहास अपडेट हो रहा है. सवाई राजा जय सिंह को भेजे गए फरमान मुगल शासकों जहांगीर, शाहजहां और औरंगजेब के समय के हैं, जो इससे पहले प्रकाश में नहीं आए थे. डॉ. खडग़ावत कहते हैं, ''प्रस्ताव पर राज्य सरकार की सहमति के बाद जॉर्जिया को पत्र लिखकर नियम और शर्तों की जानकारी मांगी गई है. ''
जाहिर है, ये ढेर सारे ऐतिहासिक दस्तावेज महज एक क्लिक दूर हैं.
इतिहास क्लिक भर दूर
बीकानेर अभिलेखागार में 50 लाख दस्तावेज हुए ऑनलाइन, विदेशी संस्थानों की भी रुचि.

अपडेटेड 13 जुलाई , 2015
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